DiscoverKrishan Bhajan
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मेरा आपकी कृपा से, सब काम हो रहा है। करते हो तुम कन्हैया, मेरा नाम हो रहा है। आइये सुनते है कृष्ण जी का प्रसिद्ध भजन जिसे गा कर मिलती है मन को ख़ुशी।
अधरं मधुरं वदनं मधुरं,नयनं मधुरं हसितं मधुरम्।हृदयं मधुरं गमनं मधुरं,मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
अच्युतम केशवम एक भक्ति भजन है जो कृष्णा के लिए गाया जाता है। ये विभिन्न विष्णु पूजा और रामायण पाठ, सुंदरकांड, विजयदशमी, रामचरितमानस, अखंड रामायण आदि में गया जाना वाला प्रमुख भजन है। इन पंक्तियों में भगवान् श्री कृष्ण जो विष्णु जी के अवतार हैं उनको उनकी लीलाओं के आधार पर विभिन्न नामों से पुकारा गया है। श्री कृष्ण को ही अच्युत कहा गया है जो अपने स्थान पर अटल है, च्युत नहीं हुआ है। केशव, कृष्ण राम नारायण का अर्थ भगवान् श्री विष्णु जी हैं क्योंकि कृष्ण और राम उन्ही के अवतार हैं।
" श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, है नाथ नारायण वासुदेवा। " इस महामंत्र का जप अत्यंत पुण्यदायी है। यह मन्त्र श्री कृष्ण जी का महामंत्र है जिसके द्वारा कृष्ण का आशीर्वाद सुगमता से प्राप्त होता है। इस मन्त्र का अर्थ है की है प्रभु आप सभी को आकर्षित करने वाले हैं। आप मुझे भी भक्ति की तरफ आकर्षित कीजिए। आप गोविन्द हैं और आप ही मुरारी हैं। श्री कृष्ण गायों के रखवाले हैं, कृष्ण को गोविन्द नाम इंद्र भगवान ने पवित्र जल के छिड़काव के उपरांत प्रदान किया है। श्री कृष्ण स्वंय से भी अधिक ध्यान गाय का रखते थे। मुरारी से आशय है की श्री कृष्ण जी ने मुरा नाम के राक्षश का वध किया था।