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Storybox with Jamshed Qamar Siddiqui

Storybox with Jamshed Qamar Siddiqui
Author: Aaj Tak Radio
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Description
जमशेद क़मर सिद्दीकी के साथ चलिए कहानियों की उन सजीली गलियों में जहां हर नुक्कड़ पर एक नया किरदार है, नए क़िस्से, नए एहसास के साथ. ये कहानियां आपको कभी हसाएंगी, कभी रुलाएंगी और कभी गुदगुदाएंगी भी. चलिए, गुज़रे वक्त की यादों को कहानियों में फिर जीते हैं, नए की तरफ बढ़ते हुए पुराने को समेटते हैं. सुनते हैं ज़िंदगी के चटख रंगों में रंगी, इंसानी रिश्तों के नर्म और नुकीले एहसास की कहानियां, हर इतवार, स्टोरीबॉक्स में.
Jamshed Qamar Siddiqui narrates the stories of human relationships every week that take the listener on the rollercoaster of emotions, love, and laughter. Stories are written by Jamshed and by his fellow writers that talks about the various colors of life conflicts from father-son relationships to love triangle. Stories that let you be someone else for some time to see this world from a different angle.
Jamshed Qamar Siddiqui narrates the stories of human relationships every week that take the listener on the rollercoaster of emotions, love, and laughter. Stories are written by Jamshed and by his fellow writers that talks about the various colors of life conflicts from father-son relationships to love triangle. Stories that let you be someone else for some time to see this world from a different angle.
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पांच साल के बाद वो अचानक दिखी एक अस्पताल में. ये वही लड़की थी जो हमेशा ब्रैंडेड कपड़े पहनती थी. महंगे शौक रखती थी लेकिन आज उसकी हालत ख़राब थी. कपड़े औसत, बाल बिखरे, चप्पलें घिसी हुई, चेहरे का रंग उड़ा और हाथ में मेडिकल रिपोर्ट्स. ये वही लड़की थी जिसने कभी मेरा इश्क़ ठुकराया था. सुनिए जमशेद क़मर सिद्दीक़ी की लिखी कहानी 'एक कागज़ का फूल' स्टोरीबॉक्स में.
बंदूक मेरी कनपटी पर थी और उंगली ट्रिगर पर. मेरी ज़िंदगी और मौत के बीच बस चंद लम्हों का फ़ासला था, लेकिन तभी मन किया कि ज़िंदगी की एक आख़िरी सिगरेट पी लूं - सुनिए जमशेद क़मर सिद्दीक़ी की लिखी कहानी 'स्टोरीबॉक्स' में.
सैलून पर मैंने अभी शेव बनवाना शुरु ही किया था कि मेरे हाउस ब्रोकर का फोन आया और उसने कहा कि कोई मेरा घर किराए पर लेना चाहता है. मैंने हां बोल दिया लेकिन तभी उसने किरायेदार का नाम बताया और वो नाम सुनकर मैं चौंक गया - सुनिए पूरी कहानी स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी के साथ.
आतिश साहब को एक रोज़ सड़क पर एक औरत पर्चा पकड़ा गई जिसमें लिखा था कि ये पर्चा आगे एक हज़ार लोगों को छपवाकर बढ़ाइए, अब क्या करेंगे आतिश साहब... क्या वाकई पर्चा नहीं छपवाने पर कुछ बुरा होगा? सुनिए स्टोरीबॉक्स में नई कहानी जमशेद क़मर सिद्दीक़ी के साथ
एक ट्रेन में मिले दो जादूगर और एक-दूसरे को दिया चैंलेज. कौन है बड़ा जादूगर? उस्ताद और शागिर्द के बीच हुए जादू के मुकाबले में कौन जीता और किसकी हुई हार? सुनिए सत्यजीत रे की लिखी कहानी का ऑडियो वर्जन स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से.
आजकल जो नहारी दिल्ली में मिलती है वो कोई नहारी है साहब? नहारी तो बंटवारे से पहले मिलती थी दिल्ली में. दुकान का नाम था गंजे भाई की नहारी. ऐसी नहारी कि अलीगढ़ से लेकर लाहौर तक से खाने वाले आते थे. सुनिए कहानी स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
पारितोष साहब के घर के पास उस शाम मैंने जिस आदमी को देखा वो कौन था और क्या ये सिर्फ़ इत्तिफ़ाक था कि जिस दिन शैंकी गायब हुआ और पारितोष साहब की मौत हुई, वो उस दिन भी दिखाई दिया था - सुनिए नई थ्रिलर कहानी 'वो कौन था' स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
चचा छक्कन वो आदमी थी कि जैसे ही वो पेंचकस लेकर ख़राब रेडियो खोलने बैठते थे घर वाले नया रेडियो खरीदने का मन बना लेते थे. जानते थे कि जिस चीज़ पर हाथ रख दिया वो खराब होकर रहेगी. एक दिन चचा के ज़िम्मे एक काम आ गया. काम बस इतना था कि एक तस्वीर दीवार पर टांगनी थी. क्या क्या हुआ तस्वीर टांगने में... सुनिए स्टोरीबॉक्स विद जमशेद में इम्तियाज़ अली ताज की लिखी कहानी 'चचा छक्कन'
अगर आप एक पुरानी कार ख़रीदना चाहते हैं तो ध्यान दें। कार वैसे बढ़िया है लेकिन कभी कभी स्पीड ब्रेकर आने पर बोनट खुल कर खड़ा हो जाता है, और गियर वाला लीवर थोड़ा ढीला है तो अपने आप रिवर्स में गिर जाता है जिसकी वजह से गाड़ी सड़क पर आगे जाते-जाते अचानक पीछे चलने लगती है। हॉर्न थोड़ा प्लैनिंग के साथ बजाना पड़ता है यानि अगर आप अभी दबाएंगे तो तीन गली बाद जाकर बजेगा - सुनिए पूरी कहानी स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से.
आधी रात को गांव में शोर मचा "चोर.. चोर" लोग अपने घरों से निकलकर आवाज़ की तरफ भागे. किसी ने बताया कि चोर उस खेत में घुस गया है... सब लोग उसी तरफ भागे...एक ने कहा, "खेत को आग लगा देते हैं, खुद बाहर आएगा" जिसका खेत था वो लोगों के पैरों में गिर गया कि ऐसा मत करो, बहुत नुकसान हो जाएगा लेकिन लोग सुनने को तैयार नहीं थे, वो बस चोर को खत्म कर देना चाहते थे.. तभी एक शख्स ने माचिस निकाली - सुनिये श्रीलाल शुक्ल की लिखी कहानी जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से स्टोरीबॉक्स में.
आग़ा शिराज़ी साहब वैसे तो नेक आदमी थे लेकिन उनको एक बीमारी थी कि हर बात के लिए उनके पास चार शेर होते थे. अगर आप कभी कहें कि मुझे दिल का दौरा पड़ रहा है और मैं मरने वाला हूं एंबुलेंस बुला दीजिए तो कहेंगे "बुलाता हूं लेकिन पहले मौत पर चार शेर सुन लीजिए" - सुनिये एक सनकी शायर की मज़ेदार कहानी स्टोरीबॉक्स में
ये जो सुबह सुबह बड़े शहरों में आप टिफिन कंधे पर लटकाए मल्टी नैशनल कंपनियों की शीशे की ऊंची-ऊंची इमारतों में दाखिल होते हुए देखते हैं, ये लोग ऑफ़िसों में पूरे दिन क्या करते हैं - जमशेद क़मर सिद्दीक़ी के साथ सुनिये 'दफ्तर का एक दिन' में
सिगरेट पीने वाले दो लोगों की दोस्ती तब होती है जब वो साथ में सिगरेट पीते हैं, वो दोस्ती पक्की तब होती है जब वो एक-दूसरे की सिगरेट पीने लगते हैं और पक्की दोस्ती जिगरी दोस्ती में तब बदलती है जब वो सिगरेट के चक्कर में आपस में झगड़ा करने लगते हैं - सुनिये "सिगरेट पीने वाले लोग" स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
लंदन में रहने वाले मुखर्जी साहब के पास एक डायरी थी जिसमें उन तमाम ख़ूबसूरत औरतों के नाम थे जो उनसे पिछले 15 सालों में मिली थीं. जब भी उनके पास कुछ फ़ुर्सत होती तो डायरी खोलते और लाइन से लिखे नामों पर फोन करने लगते. उन्होंने नामों के आगे ये भी लिख रखा था कि आखिरी बार बात हुई थी तो क्या बात हुई थी. फोन करते ही उसी बात से बात शुरु करते ताकि लगे कि पुरानी जान पहचान है. उस रोज़ भी वो कोई खास मसरूफ़ नहीं थे - सुनिये कहानी 'मुखर्जी साहब की डायरी' STORYBOX में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
दुनिया का हर पिता अपनी औलाद की खुशी के लिए तो जीता है. बच्चे की एक मुस्कुराहट के लिए खुद को थोड़ा-थोड़ा रोज़ खत्म करता है. सुनिये कहानी पापा की कलाई घड़ी, सिर्फ स्टोरीबॉक्स पर
चांद की सरकार को ये सिखाने के लिए कि कम मेहनत में ज़्यादा क्रिमिनल कैसे पकड़े जाएं, देश की सरकार ने अपने कर्मठ कर्मचारी इंस्पेक्टर मातादीन को चांद पर भेजने का फैसला किया. फिर क्या हुआ? जानने के लिए सुनिए हरिशंकर परसाई की लिखी कहानी ‘इंस्पेक्टर मातादीन चांद पर’, स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी के साथ.
आदमी के कपड़े क्या उसकी शख्सियत तय करते हैं? कोई कहता है हां और कोई कहना है ना, तो भइय्या मैंने अपनी बीवी से लगाई शर्त और फटी पुरानी कमीज़ पहनकर चल दिये डॉक्टर साहब की क्लीनिक. क्या हुआ वहां, सुनिए स्टोरीबॉक्स में जमशेद कमर सिद्दीक़ी से 'मेरी पुरानी कमीज़' में.
उसकी नींद का कमरा अजीब-अजीब सपनों के काले पर्दों से ढका था. घबरा कर उठ जाना जाने नियति थी या आदत लेकिन हर बार यूँ पसीने से लथपथ घबराई सी हालत में उठने के बाद वह सबसे पहले अपना चेहरा देखने की कोशिश करती. जब भी वह जागती तब गाल पर, हथेलियों पर, कलाईयों पर अलग अलग से निशान मिला करते. सुंदर होना उसके लिए अभिशाप बन गया था. सुनिए सुष्मा गुप्ता की लिखी कहानी 'तुम्हारे पास कोई दास्तां है' स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से.
किसकी बिरयानी सबसे बढ़िया? ये एक ऐसा सवाल है जिसको लेकर आए दिन हैदराबाद, लखनऊ और दिल्ली वाले आपस में तूतू-मैंमैं किया करते हैं. यही बहस एक दिन शुरु हो गयी मोहल्ले की चाय की टपरी पर जहां मौजूद थे एक हैदराबादी, एक लखनऊ और एक दिल्ली वाले. बहस में किस शहर की हुई जीत? सुनिए जमशेद कमर सिद्दीक़ी से स्टोरीबॉक्स में
सामने वाली सीट पर बैठी उस लड़की को जब मैं देखने लगा तो काका बोले, "सुनो तुम मत देखो. मैं देख सकता हूं. इस देश में बूढ़े लोगों को प्रिवलेज मिला है कि वो किसी को भी देख सकते हैं लेकिन तुम मत देखो, तुम अभी जवान हो" पेश है सटायर के उस्ताद हरिशंकर परसाई की लिखी कहानी 'प्रेमी के साथ एक सफर'