बच्चपन से लेकर युवा अवश्था तक और फिर पूर्ण पुरुसत्व तक यीशु अकेला शुद्धता और विश्वास में जीया।
यीशु अपने ज्ञान और अपने प्रश्न से फसह के पर्ब्ब में विद्वानों को चकित कर दिया; परन्तु वह अपने माता – पिता के प्रति समर्पित था।
जैसा परमेश्वर ने छोटा यीशु को हेरोदेस से अपने स्वर्गदूतों और युसुफ और मरियम के द्वारा रक्षा किया, उसी प्रकार वह अपने बिश्वासी बच्चों का रक्षा करता है।
पूरब के ज्ञानी लोग यीशु के तारे देखे क्योंकि वे सच में ज्ञानी थे, इसमें कि वे परमेश्वर के शास्त्त्रों में ढूढ़ें, और उसके निर्देश का पालन किया।
यीशु ख्रीस्त के अर्पण के साथ बलिदान और भेंट का प्रतीक लगभग वास्तविक में बदलने वाला था।
यीशु जन्मा कि वह मनुष्य की दरिद्रता में अपना धन लाये, मनुष्य के पाप के जगह अपना धार्मिकता दे, और अपना जीवन मरते मनुष्य के लिए दे।
यीशु का दिव्य शक्ति जन्म से अंधा व्यक्ति को दोनों शारीरिक और आत्मिक दृष्टि प्रदान किया।
यीशु उस व्यक्ति को जो 38 साल से लंगड़ा था सब्बत के दिन चंगा किया जो जीने की आखरी आशा खो रहा था
यीशु के अनुग्रह और क्षमा ने एक पापिन को परिवर्तित कर उसके जीवन में नई शुरुआत दी
यहूदा के पास सुअवसर था की वह यीशु के साथ रहे और उसके जीवन और सेवा को नजदीकी से देखे; फिर भी वह उद्धार को अस्वीकार किया।
यीशु जीवन का पानी देता है, जिसे, यदि मनुष्य पीता है, वह कभी फिर प्यासा नहीं होगा।
यीशु के पास किसी भी कुल के लोगों को चंगा करने में कोई दीवार नहीं है।
यीशु हमें हमारे सभी रोगों से चंगा कर सकता है और हमें अपने पापों से बचा सकता है ।
यीशु की उपस्थिति और उसके प्रेम ने यहूना को परिवर्तित किया।
Samanta tanzeem
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Venkata Mohan Avadhanula
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