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Another Perspective / दूसरा पहलू
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तुम्हारा पेट भरा था
इसलिए तुम बुद्ध हुए
अन्यथा तुम मजदूर होते ! - उमेश स्वामी 'यायावर'
सौ जूते और सौ प्याज़ वाली कहावत तो पुरानी है, लेकिन आज भी प्रासंगिक है!
ये गिनकर पचास जूते मारने की कला केवल इलाहाबादियों को ही आती है! अब आप पूछेंगे कि ये क्या बकैती है, जूता भी कोई गिनकर मारता है क्या ? तो सुनिये एक इलाहाबादी किस्सा जो मेरे एक वरिष्ठ ने मुझे सुनाया था ..
जब वज़ीर को सज़ा के तौर पर 100 जूता और 100 प्याज़ दोनों खाने पड़े 😊
एक चील ने पहले एक साँप को फिर एक मेंढक को अपने पंजों में दबोच लिया। चील दोनों को पंजों में दबोचे हुए आसमान में उड़ने लगी। चील जब तक ऊँचाई पर पहुँचती तब तक साँप और मेंढक दोनों चील के पंजों में सहज हो चुके थे।
साँप ने देखा सामने पास ही में एक मेंढक है। साँप मेंढक को निगलने के लिए लपका। उधर मेंढक ने देखा कि बगल में एक साँप है और उसकी तरफ झपट रहा है। साँप को झपटते देख मेंढक दूसरी तरफ छलाँग मारकर उससे बचने की कोशिश करने लगा। मौत के पंजों में दबे साँप और मेंढक की फितरत देख चील मुस्कराने लगी।
चील आज भी मुस्करा रही होगी।
एक खूबसूरत कहानी.. खूबसूरत संदेश के साथ कि व्यक्ति को एक अच्छा इंसान बनने की कोशिश करनी चाहिए।
कहानी बाघ और बकरी की..
छोटी उम्र के सपने का
सपने में अनुवाद हो गया,
मातृभाषा में देखे जाने वाले सपने पर भी
तुम्हारा ही राज हो गया!
मीडिया के कृष्ण - सुदामा की दोस्ती की कहानी
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