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Author: The Quint
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© 2024 The Quint
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सुनिए दिन की बड़ी खबर क्विंट हिंदी के Big Story पॉडकास्ट में
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376 Episodes
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Russia has kept the world on its toes as tensions on the Ukraine border keep escalating, with the reports of the former Soviet Union country adding more troops in preparation for an invasion any day now.
The world is uncertain about President Vladimir Puntin’s endgame for this crisis – will it be an extensive round of diplomatic talks or are we headed for an unthinkable war?
And at the forefront of this entire crisis, in an effort to subdue and judge the Russians, is the United States, with President Joe Biden warning that the US is prepared to respond diplomatically and decisively if Russia attacks Ukraine.
The crisis has turned into a dangerous game of charades among three players – Russia claiming that it has pulled back some troops from the border, the US intelligence assessing that Russia is lying about the de-escalation, while Ukraine and the rest of the world left interpreting what these actions mean.
In our previous episode on this crisis, we dived into why Russia – pertinently Putin – wants Ukraine and has placed over 150,000 troops at its border. In today’s episode, we discuss how the US, being a global superpower, has responded to this crisis so far, what options does it have, and we will also try to answer the big question – how will this all end?
Joining me today to discuss this is Dr Georg Löfflmann, a professor in War Studies and US Foreign Policy at the University of Warwick.
Host and Producer: Himmat Shaligram
Editor: Saundarya Talwar
Also listen to:
Ukraine-Russia Conflict: In this Game of Chicken, Who Will Yield First?
Music: Big Bang Fuzz
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30 जनवरी की शाम स्वतंत्र पत्रकार मनदीप पूनिया को दिल्ली पुलिस गिरफ्तार करती है, करीब 12 घंटे बीत जाने के बाद तक मनदीप के परिवार, दोस्तों, साथी पत्रकारों को कोई खबर नहीं दी जाती है कि मनदीप कहां है, इस दौरान मनदीप के साथ मार-पिटाई की जाती है, उनका कैमरा, मोबाइल छीन लिया जाता है. उसे एक थाने से दूसरे थाने में घुमाया जाता है. जब मनदीप को कोर्ट में पेश करने की बारी आती है तो दिल्ली पुलिस बिना कानूनी सहायता के ही मनदीप को कोर्ट में पेश कर देती है. और इसके बाद उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया जाता है. लेकिन इस सब के बाद भी मनदीप को जब बाद में जमानत मिलती है तो वो जेल के अंदर से भी अपनी रिपोर्ट अपने शरीर पर लिखकर ले आते हैं.
आज के पॉडकास्ट में दिल्ली में चल रहे किसान प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किए गए पत्रकार मनदीप पुनिया से उनके साथ हुई ज्यादती पर खुलकर बात करेंगे.
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26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर रैली के हिंसक हो जाने के बाद से किसान आंदोलन को लेकर दिल्ली पुलिस सख्त हो गई. लेकिन सख्ती ऐसी कि जिसने भी देखा वो बिना कुछ कहे नहीं रह पाया. दिल्ली की सीमाओं की तुलना पाकिस्तान और चीन के बॉर्डर से होने लगी. ये सब इसलिए हुआ क्योंकि दिल्ली के बॉर्डर पर कई लेयर में बैरिकेडिंग, बैरिकेडिंग के ऊपर और बीच में कंटीली तारें, सड़कों पर सीमेंट से दबाई गईं लंबी कीलें और भारी संख्या में सुरक्षाबल तैनात कर दिया गया. जिस पर लोगों ने सवाल उठाए कि ये तैयारी किसी दुश्मन के लिए है या फिर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के लिए.
आज के पॉडकास्ट में हम बात करेंगे दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को रोकने के क्रूर सरकारी तरीकों के बारे में. सरकार ने किसान आंदोलनों की जिस तरह से किलेबंदी की है, आजाद भारत के इतिहास में जितने भी आंदोलन हुए हैं शायद ही इस तरह की तस्वीरें देखने को मिली हैं. पुलिस ने दिल्ली की बॉर्डर्स पर किसानों को रोकने के नाम पर जो भी इंतजाम किए ये किस कानून के तहत आते हैं? क्या पुलिस की ये हरकतें कानून के दायरे में आती हैं? मानव अधिकारों के पैमाने पर ये व्यवस्था कहां खड़ी होती हैं. इन सवालों पर करेंगे बात.
पॉडकास्ट में बात करेंगे हमारे ग्राउंड रिपोर्टर शादाब मोइजी से, जो गाजीपुर बॉर्डर गए थे और वहां के हालातों का उन्होंने जायजा लिया. बात करेंगे रिटायर्ड IPS अधिकारी एनसी अस्थाना से, और उनसे समझेंगे कि पुलिस ने जो किया है वो क्यों गलत है और किस तरह कानून के खिलाफ है.
इसके अलावा क्विंट के लीगल एडिटर वकाशा सचदेव से बात करेंगे और जानेगें कि पुलिस के पास ये सब करने के लिए अधिकार किस कानून के तहत आते हैं और इसके मानवीय पहलू क्या हैं
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पिछले करीब दो महीने से किसान आंदोलन सुर्खियों में है, फिर चाहे वो नवंबर के महीने में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों की धमक हो, या फिर गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई हिंसा, किसान आंदोलन की चर्चा लगातार होती रही. लेकिन अब किसान आंदोलन ग्लोबल बनता नजर आ रहा है, दुनियाभर के लोग अब इस आंदोलन को अपना समर्थन दे रहे हैं और पूछ रहे हैं कि इस बार आखिर बात क्यों नहीं हो रही है? कुछ छुटपुट आवाजें भले ही विदेशों से उठ रही थीं, लेकिन हॉलीवुड पॉप स्टार रिहाना के एक ट्वीट ने किसानों के मुद्दे को ग्लोबल बनाने का काम कर दिया. रिहाना के बाद किसानों के समर्थन में क्लाइमेट चेंज एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग, अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी, मीना हैरिस, पूर्व पॉर्न स्टार मियां खलीफा जैसे तमाम लोगों ने इसी मुद्दे पर ट्वीट किए.
अब इस सबके बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया, जिसमें ये लिखा था कि कुछ लोग इस विरोध प्रदर्शन का फायदा उठाते हुए भारत के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय समर्थन जुटाने की भी कोशिश कर रहे हैं. वो कौन लोग हैं, हालांकि उनके नाम स्टेटमेंट में नहीं थे. इसके बाद बॉलीवुड के कुछ एक्टर भी एक्टिव हुए और उन्होंने सरकार को समर्थन देते हुए विदेशी हस्तियों के ट्वीट्स की अलोचना कर डाली.
अब सवाल ये उठता है कि किसी दूसरे देश की पब्लिक फिगर के एक ट्वीट पर भारत सरकार की इस प्रतिक्रिया का क्या मतलब है? इसी पर आज पॉडकास्ट में बात करेंगे.
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1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बजट पेश किया. भारत का ये बजट ऐसे वक्त में आया है जब हम एक वैश्विक महामारी का सामना करके बाहर निकल रहे हैं, अर्थव्यवस्था नेगेटिव ग्रोथ में हैं और हम तकनीकी रूप से मंदी में हैं. दूसरी तरफ कई सारे लोगों की नौकरियां गई हैं, सैलरी कट हुआ है और कई लोग कम सैलरी पर काम करने के लिए मजबूर हैं. वहीं देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन चल रहा है. तो सवाल ये है कि क्या ऐसी विपरीत परिस्थितियों में जो बजट वित्त मंत्री ने पेश किया है क्या वो जरूरत के मुताबिक सही है?
आज पॉडकास्ट में हम लगातार दूसरी बार बजट पर बात कर रहे हैं. लेकिन आज हम आपको बजट से जुड़ी जानकारियां नहीं देंगे बल्कि आज हमारा जोर होगा बजट से जुड़े विश्लेषण पर.
पॉडकास्ट में हम बात करेंगे देश के बड़े अर्थशास्त्री और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी के डायरेक्टर रथिन रॉय से. उनसे समझेंगे कि वो कौन सी बातें हैं जो बजट को डिटेल में पढ़ने पर सामने आती हैं और भाषण में जिन पर जोर नहीं दिया जाता.
इसके अलावा बात करेंगे द क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया से और समझेंगे कि सरकार ने कैसे बजट के जरिए राजनीतिक दांव चलने की कोशिश की है. साथ ही संजय जी से महंगाई पर भी बात करेंगे.
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केंद्रीय बजट 2021 आ गया है. 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में देश का पहला पेपरलेस बजट पेश किया. बजट पेश होने के बाद कॉरपोरेट दुनिया और शेयर बाजार ने तो इस बजट को सलामी दी है लेकिन दूसरी तरफ बजट में जो तेज निजीकरण करने की योजना तय की गई है उसकी कुछ लोग आलोचना भी कर रहे हैं. बजट में सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर, हेल्थकेयर, एग्रीकल्चर पर खासा फोकस दिया है. लेकिन इसके बदले में सरकार ने एग्री इंफ्रा सेस लगा दिया है, जिसके बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं. कुछ लोगों का कहना है कि इसकी वजह से महंगाई बढ़ सकती है.
आज पॉडकास्ट में बात होगी बजट पर. आपको बताएंगे कि बजट में क्या है आपके काम की बात. क्या-क्या बदलाव हुए हैं. सरकार का बहीखाता कैसा रहने वाला है इस पर करेंगे बात. आपको सुनवाएंगे महिंद्र ग्रुप के चीफ इकनॉमिस्ट सच्चिदानंद शुक्ला की बात. इसके अलावा बात करेंगे क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया से. साथ ही दिग्गज निवेशक विजय केड़िया से खास अंदाज में जानेंगे कि क्यों ये बजट है 'सुपरहिट'.
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क्या आपको पता है कि मुकेश अंबानी जितना एक सेकंड में कमाते हैं, एक अनस्किल्ड वर्कर को कमाने में 3 साल लगेंगे. ऐसे ही कई दिलचस्प लेकिन सोचने पर मजबूर करने वाले आंकड़े ऑक्सफेम की इनइक्वालिटी रिपोर्ट में निकलकर आए हैं. ऑक्सफेम ने 25 जनवरी को अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने भारत के बिलिनेयर्स और अनस्किल्ड वर्कर्स के बीच आय असमानताओं को बढ़ा दिया है. इसके अलावा कोरोना वायरस संकट से लेकर अब वैक्सीनेशन में भी अमीर और गरीब देशों के बीच का फर्क साफ दिखा है.
आज के पॉडकास्ट में बात करेंगे ऑक्सफैम की 'इनिक्वालिटी वायरस रिपोर्ट’ रिपोर्ट पर. इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया कि देश के बिलेनियर्स की संपत्ति लॉकडाउन में करीब 35 फीसदी से बढ़ गई है. रिपोर्ट में कहा गया कि इसी बीच देश के 84 फीसदी घरों में अलग-अलग तरीके से आय का नुकसान हुआ. बात करेंगे ऑक्सफैम इंडिया के सीईओ अमिताभ बेहर से. इसके अलावा बात करेंगे HSBC की चीफ इकनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी है, प्रांजुल समझाएंगी कि कैसे बड़ी और छोटी कंपनियों के बीच मुनाफे में भी एक बड़ा अंतर है.
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आज के पॉडकास्ट में हम बात करेंगे आने वाले बजट के बारे में. केंद्रीय वित्त मंत्री 1 फरवरी को संसद में बजट भाषण पढ़ेंगी. इसी बजट भाषण सुनने के लिए सब कान लगाकर खड़े रहते हैं. शेयर बाजार से इंटरनेशनल बाजारों तक बजट का भारी रिएक्शन देखने को मिलता है. आज के पॉडकास्ट में हम आपको बताएंगे कि अलग-अलग सेक्टर्स को बजट से क्या उम्मीदें हैं और आपको सुनवाएंगे एक्सपर्ट्स की बातें.
कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी के एमडी नीलेश शाह से समझेंगे कि सरकार को अपनी आमदनी और खर्चों को कैसे मैनेज करना चाहिए.
इसके अलावा क्विंट के फाउंडिंग एडिटर राघव बहल से समझेंगे कि इकनॉमी को बूस्ट देने के लिए उनके पास क्या आइडिया है. साथ ही बात करेंगे HSBC इंडिया की चीफ इकनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी से.
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करीब दो महीने से दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन पर 26 जनवरी को 'हिंसा का दाग' लग गया. दिल्ली की सड़कों पर हिंसा, उन्माद, तोड़-फोड़, लाठी-डंडे सब कुछ चलता दिखा. ये हंगाम-बवाल तो 10-12 घंटे में खत्म हो गया लेकिन अब इससे जुड़ी कई तरह की बातें सामने आ रही हैं. जैसे अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि इस आंदोलन का भविष्य क्या होने जा रहा है? दो संगठनों ने आंदोलन से अलग होने का ऐलान कर दिया है लेकिन इसमें पेच है, उसके बारे में आपको बताएंगे. साथ ही पुलिस ने कहा है कि किसानों ने धोखा किया है और दोषी नहीं बख्शे जाएंगे, कई FIR भी दर्ज कर ली गई हैं.
आज के पॉडकास्ट में हम बात करेंगे 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दिन हुई हिंसा पर. आपको सुनाएंगे कुछ आंदोलनकारी चश्मदीदों की बात, इसके अलावा आपको कुछ प्रदर्शनकारियों के हमले में घायल पुलिसवालों की भी आंखोंदेखी सुनवाएंगे. पुलिस ने दिल्ली में हुई हिंसा पर क्या कार्रवाई की है आपको वो भी सारा कुछ बताएंगे.
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26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस को पूरा देश हर साल राजपथ पर होने वाली शानदार परेड देखता है, लेकिन इस बार देश ने राजधानी दिल्ली की सड़कों पर ऐसी तस्वीरें देखीं, जिनकी कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी. किसानों के ट्रैक्टर मार्च ने दिल्ली की सड़कों पर उतरते ही हिंसक रूप ले लिया, कुछ प्रदर्शनकारियों ने लाल किले तक पर चढ़ाई कर दी और वहां तिरंगे की जगह दूसरा झंडा फहरा दिया. दिल्ली की बॉर्डर्स पर कृषि कानूनों के खिलाफ करीब 2 महीनों से प्रदर्शन कर रहे किसानों ने तय किया था कि वो गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकालेंगे. किसान नेताओं ने इस परेड के लिए पुलिस के साथ मिलकर रूट भी तैयार किए थे. पुलिस ने दावा भी किया कि सुरक्षा के पूरे और पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, लेकिन ये सारी तैयारी, प्लानिंग धरी की धरी रह गई और कई किसान प्रदर्शनकारी आखिरकार उपद्रवियों में बदल गए, जिसके बाद उन्होंने किसान नेताओं की बात भी नहीं सुनी. उग्र प्रदर्शनकारी रास्ते में आने वाली हर चीज को अपने ट्रैक्टरों से रौंद देना चाहते थे.
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आज बात करेंगे बॉम्बे हाईकोर्ट के एक अटपटे से आदेश की. आदेश में कहा गया है कि किसी नाबालिग के ब्रेस्ट को बिना ‘स्किन टू स्किन’ कॉन्टैक्ट के छूना POCSO यानि Protection of Children from Sexual Offences एक्ट के तहत सेक्सुअल असॉल्ट की श्रेणी में नहीं आएगा.
हाईकोर्ट की नागपुर बेंच की जज पुष्पा गनेडीवाला ने आदेश में कहा है कि किसी भी छेड़छाड़ की घटना को यौन शोषण की श्रेणी में रखने के लिए घटना में ‘यौन इरादे से किया गया स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट’ होना चाहिए.
इस मामले में कानून की पेचीदगियों पर बात करेंगे क्विंट के लीगल एडिटर वकाशा सचदेव से.
साथ ही पॉक्सो कोर्ट्स में प्रैक्टिस करने वाली वकील सीमा मिश्रा से जानेंगे कि अब इस केस में आगे क्या हो सकता है.
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अगर आपने कोरोना वायरस संकट शुरु होने के वक्त शेयर बाजार में 25 हजार रुपये लगाए होते तो आज वो 50 हजार रुपये हो गए होते. ये कमाल सिर्फ शेयर बाजार में ही हो सकता है. 21 जनवरी को मुंबई के शेयर बाजार सेंसेक्स ने 50 हजार का स्तर छू लिया है. 23 मार्च, 2020 को शेयर बाजार 25,900 के स्तर पर था और 10 महीने के अंदर-अंदर शेयर बाजार दो गुना हो गया है. बाजार की इस रैली ने कई लोगों के खूब पैसे बनवाए हैं. जिन लोगों ने पहले से शेयर बाजार में पैसा लगा रखा है वो तो खुशी के मारे झूम रहे हैं, लेकिन अब इस तेजी के बाद नए निवेशक शेयर बाजार में पैसा लगाने से कतरा रहे हैं. क्यों कि ऐसे महंगे बाजार में पैसा लगाने में रिस्क है, हाल में हर्षद मेहता पर आई वेब सीरीज SCAM 1992 में डायलॉग है 'रिस्क है, तो इस्क है.' लेकिन हां स्मार्ट इन्वेस्टर होने के नाते इश्क में अंधा नहीं होना है. सोचकर, समझकर, बुद्धि लगाकर ही निवेश करना है.
सेंसेक्स के 50 हजार के स्तर को छूने के बाद शेयर बाजार में आगे क्या हो सकता है?, अगर शेयर बाजार में निवेश करना है तो क्या स्ट्रेटजी होना चाहिए?, म्यूचुअल फंड सही है या फिर सीधे शेयरों में पैसा लगाएं. आज इन्हीं सवालों पर करेंगे बात.
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अमेरिका के इतिहास में बाइडेन-कमला युग की शुरुआत हो चुकी है. शपथ लेने के तुरंत बाद अमेरिका के नए नवेले राष्ट्रपति जो बाइडेन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से पहला ट्वीट किया. बाइडेन ने अपने ट्वीट में सख्त, कड़े और अहम फैसले लेने के संकेत दिए हैं. ऑफिस में काम संभालते ही 17 कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए हैं. जो बाइडेन ने अपने कार्यकाल के पहले दिन कई अहम फैसलों पर हस्ताक्षर किए, वहीं पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कई फैसले पलट दिए. जो बाइडेन ने प्रवासियों को राहत दी है, वहीं कई मुस्लिम देशों पर लगे ट्रैवल बैन को खत्म कर दिया है. साथ ही ट्रंप द्वारा WHO से हटने के फैसले को भी बाइडेन ने पलट दिया है.
आज बिग स्टोरी में बात करेंगे अमेरिका में हुए राष्ट्रपति- उपराष्ट्रपति शपथ ग्रहण समारोह की. जो बाइडेन और कमला हैरिस के पास अब यूनाइडेट स्टेट्स ऑफ अमेरिका की कमान है. पॉडकास्ट में आपको बाइडेन की शपथ के बाद दिया गया भाषण हिंदी में सुनाएंगे. इसके अलावा जो बाइडेन का राष्ट्रपति बनना अमेरिका के इतिहास में क्यों अहम है इस पर बात करेंगे क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया से. साथ ही बाइडेन के फैसलों और आगे की योजना पर भी करेंगे बात.
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OTT प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम पर 15 जनवरी को रिलीज हुई वेब सीरीज तांडव को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. रिलीज होने के 24 घंटे भी नहीं बीते कि ट्विटर पर वेब सीरीज को बैन करने की मांग होने लगी. आरोप लगे हैं कि वेब सीरीज के जरिए हिंदू भावनाओं को आहत किया गया है. इसके बाद सीरीज के मेकर्स के खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों से कई सारी एफआईआर दर्ज हो गईं. कई सारे बीजेपी नेताओं ने भी इस वेब सीरीज के कुछ सींस को लेकर नाराजगी जाहिर की है. दूसरी तरफ मुंबई में अमेजन प्राइम के दफ्तर के बाहर और एक्टर सैफ अली खान के खिलाफ पुलिस बंदोबस्त बढ़ाया जा रहा है. साथ ही एक बार फिर से OTT प्लेटफॉर्म्स के रेगुलेशन पर चर्चा शुरू हो गई है.
आज के पॉडकास्ट में हम आपको समझाएंगे कि ये विवाद असल में क्यों खड़ा हुआ है, वेब सीरीज में ऐसा क्या है जो इतना हंगामा बरपा है. साथ ही हम वेब कंटेट के रेगुलेशन से जुड़े कानूनी ढांचे पर भी बात करेंगे. OTT रेगुलेशन पर हम बात करेंगे उद्भव तिवारी से, उद्भव मोजिला में पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर हैं. इसके अलावा हम आपको फिल्म डायरेक्टर दिबांकर बनर्जी की भी बात सुनाएंगे.
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टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया के गाबा मैदान पर आखिरी टेस्ट मैच जीतकर इतिहास रच दिया है. साथ ही भारत ने टेस्ट सीरीज 2-1 से अपने नाम की है. ऑस्ट्रलिया ने इस सीरीज में सही गलत हर हथियार चलाया लेकिन आखिर कुछ काम न आया. किसी भारतीय खिलाड़ी को गाली सुननी पड़ी तो किसी को नस्लीय कमेंट का सामना करना पड़ा. एक के बाद एक अनुभवी खिलाड़ी चोटिल होते गए. ऑस्ट्रेलिया की धरती पर मिली ये जीत कई मायनों में बहुत बहुत खास है.
भारत ने गाबा इंटरनेशनल स्टेडियम में खेले जा रहे चौथे टेस्ट मैच के पांचवें और आखिरी दिन आस्ट्रेलिया के 328 रनों के टारगेट को 7 विकेट खोकर हासिल कर ही लिया. पॉडकास्ट में बात करेंगे जर्नलिस्सट और क्रिकेट एक्सपर्ट अयाज मेमन से. इसके अलावा बात करेंगे क्विंट के मैनेजिंग एडिटर रोहित खन्ना से. रोहित क्रिकेट में खास दिलचस्पी रखते हैं. इसके अलावा आपको कुछ क्रिकेट फैंस का भी मैच देखते वक्त का अनुभव भी सुनाएंगे.
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आज पॉडकास्ट में बात करेंगे मुनव्वर फारुकी गिरफ्तारी के मामले की. एक हंसने-हसाने वाला युवा 15 से ज्यादा दिनों से जेल में बंद है. पुलिस उसके खिलाफ सबूत तक नहीं पेश कर पाई और अदालत ने भी उसे जमानत देने से मना कर दिया है. बात करेंगे मध्य प्रदेश के स्वतंत्र पत्रकार काशिफ ककवी से और उनसे इस केस के ताजा अपडेट लेंगे. इसके अलावा क्विंट के लीगल एडिटर वकाशा सचदेव से समझेंगे कि फारुकी के केस में जमानत याचिका खारिज होना क्यों चौंकाता हो. साथ ही कॉमेडियन संजय रजौरा से समझेंगे कि क्यों आज के दौर में कॉमेडी करना कठिन होता जा रहा है?
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कोरोना वायरस संकट की वजह से हमने बीते साल काफी कुछ खोया है लेकिन कोरोना वैक्सीन आने के बाद से उम्मीद की किरण जागी है. भारत में कोरोना वैक्सीनेशन का पहला चरण 16 जनवरी से शुरू होने जा रहा है. ये दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान बनने जा रहा है. लेकिन इसी वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल हैं और शंकाएं हैं. जैसे- वैक्सीन के आम लोगों तक पहुंचने की प्रक्रिया क्या होगी? कोविन एप पर कब रजिस्टर करना होगा? कौन से डॉक्यूमेंट जरूरी होंगे? आपको किन नियमों का पालन करना है? क्या मार्केट से वैक्सीन खरीद पाएंगे? क्या आपके पास ऑप्शन होगा कि आपको कोविशील्ड और कोवैक्सिन में से चुन सकें कि आपको कौन सी वैक्सीन लगवाना है? कौन सी वैक्सीन बेहतर है?
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देश में पिछले कुछ दिनों से लव जिहाद के नाम पर काफी कुछ हो रहा है. लव जिहाद जैसे शब्द का बीजेपी नेताओं पर सबसे ज्यादा असर हुआ है. यहां तक कि अब बीजेपी शासित राज्यों में इसके खिलाफ कानून बनाने की होड़ लग चुकी है. बीजेपी के मुख्यमंत्री लगातार डंके की चोट पर धमकी भरे अंदाज में कानून का पाठ पढाते हुए दिखते हैं. लेकिन इसी बीच अब इंटरफेथ मैरिज को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का एक अहम फैसला आया है. इस फैसले के तहत कोर्ट ने 1954 के स्पेशल मैरिज एक्ट के एक प्रवाधान को अनिवार्य की बजाय वैकल्पिक बना दिया है. इस फैसले से दो अलग-अलग धर्मों के जोड़े के लिए शादी करना आसान हो जाएगा. ये फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कानून के इस नियम को किसी भी भारतीय नागरिक की निजता का हनन बताया है. अब कोर्ट के इस फैसले को काफी अहम माना जा रहा है. आगे आपको बताएंगे कि आखिर स्पेशल मैरिज एक्ट के किस प्रावधान को लेकर ये बदलाव किया गया है और ये कितना बड़ा फैसला है.
होस्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद
प्रोड्यूसर: वैभव पालिनिटकर
असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई
म्यूजिक: बिग बैंग फज
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इस साल की सबसे बड़ी खुशखबरी है- देश के लिए 'कोरोना वैक्सीन' और इस वैक्सीन को देने की प्रक्रिया 16 जनवरी से शुरू होने वाली है. भारत कोविड-19 के खिलाफ सबसे बड़ा इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम शुरू करने के लिए तैयार है. तो वैक्सीन दिए जाने की प्रक्रिया शुरू हो उसके पहले कई सारे सवाल है जिनके जवाब आपको जानना ही चाहिए. पहले सवाल सुनिए- वैक्सीन के आम लोगों तक पहुंचने की प्रक्रिया क्या होगी? कौन से डॉक्यूमेंट जरूरी होंगे? साइट पर कैसे पहुंचेगी वैक्सीन, आपको किन नियमों का पालन करना है?
इसके अलवा ये सवाल भी अहम हैं कि वैक्सीनेशन रोलआउट करने के पहले टेस्टिंग और ट्रेसिंग का क्या महत्व है? सरकार को किस रणनीति पर काम करना चाहिए और सबसे अहम ये कि सरकार को वैक्सीन के प्रति भरोसा जगाने के लिए क्या करना चाहिए?
होस्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद
प्रोड्यूसर: वैभव पालिनिटकर
म्यूजिक: बिग बैंग फज
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किसान कानूनों के खिलाफ देशभर में चल रहे प्रदर्शनों के बीच सुप्रीम कोर्ट में 12 जनवरी को अहम फैसला सुनाया. देश की सबसे बड़ी अदालत ने किसान कानूनों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इन कानूनों के लागू होने पर रोक लगा दी है. साथ ही कानूनों पर किसानों की आपत्ति को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी बनाने का भी फैसला किया है. इस कमेटी और इसके सदस्यों के बारे में आगे विस्तार से चर्चा करेंगे. लेकिन अब बात उनकी करें जिनकी वजह से ये सुनवाई और फैसले हो रहे हैं, तो प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि फैसला तो अपनी जगह है लेकिन आंदोलन पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है. किसान अपने आंदोलन को उसी अंदाज में जारी रखने वाले हैं और सरकार 15 जनवरी को अगली बातचीत के लिए तैयार हैं.
आज के पॉडकास्ट में हम बात करेंगे कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई पर. और सबसे अहम बात कि क्या अब किसान और सरकार के बीच कोई समझौता निकलेगा? पॉडकास्ट में बात करेंगे क्विंट के लीगल एडिटर वकाशा सचदेव से. इसके अलावा आपको प्रदर्शनकारी किसानों की भी बातचीत सुनाएंगे.
होस्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद
प्रोड्यूसर: वैभव पालिनिटकर
असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई
म्यूजिक: बिग बैंग फज
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superb coverage...
Loved the interview ! Exposes BJP hypocrisy and how clueless they are
Good one.