तेरी यादों में जलकर ये अहसास हुआ कि आग हो या प्यास...पानी से नहीं बुझती.... इसलिए ...मैं और मेरी तन्हाई...अक्सर ये बातेँ करते हैं कि... तुम होतीं ... तो कभी आँखों से पीते, कभी लबों से पीते... पैमाने मोहब्बतों वाले... हर ज़ाम में तेरी प्यास होती, हर घूंट में तेरी खुशबू हम घूंट- घूंट पीते पैमाने... मोहब्बतों वाले..... तुम होतीं... तो हर रात ये चांद भी मुस्कुराता, हम पे चाँदनी लुटाता हर सुबह होता जिक्र हर गुज़री रात का हर जज्ब हममे ढल जाता... तुम होतीं..तो हवाएं भी हंसती फिज़ायें कदमों की आहट से बजतीं हर मौसम तुम्हारे इशारों पे ठहर जाता और आलम-ए- तन्हाई मुक्कमल हो जाता तुम होतीं..तो मेरे मन के सागर में ना जाने कितनी रंगीनियाँ होतीं... जीवन में सिर्फ़ रोशनियां होतीं... लबों पे सिर्फ़ प्यार ही प्यार होता नयनों में सरगोशियां होतीं.. तुम होतीं...तो मेरे शब्दों को अर्थ मिल गये होते मुरझाए गुल भी खिल गये होते... ...मैं और मेरी तन्हाई..अक्सर ऐसी ही बातेँ करते हैं.. ...दिन हो या रात...तुम्हारी ही राह तकते हैं...
वो लम्हे जो दर्द थे तेरा वो लम्हे जो फर्ज थे मेरा निभाये जो आँसुओं की धार में वो लम्हे जो मुझपे कर्ज़ थे तेरा.... मगर कह के एहसां , जता दिया तूने अपनों की फ़ेहरिस्त से हटा दिया तूने हुस्न और इश्क़ की जद्दोजहद में मैं गैर हूँ तल्ख लहजे में बता दिया तूने... फिर भी मैं दहकता रहा उसी आग में गाता रहा तुझी को ग़मों के साज़ में घुटता रहा- मरता रहा- रहा फिर भी जिंदा पुकारता ही रहा दिल की हर आवाज में मगर तूने नहीं समझी मेरी चाहत मेरी मर्जी गुरूर ए हुस्न में अपने सुनी ना दिल की एक अर्जी तेरी मर्जी...तेरी मर्जी...तेरी मर्ज़ी
सुनो...लौट आओगी क्या पुनः मिलकर वही कहानी दोहराओगी क्या पुनः वैसी ही हसीन शामों में प्यार के वैसे ही नगमें गुनगुनाओगी क्या पुनः लहरा के आंचल वो मोहब्बतों वाले फैलाके दामन वो शिद्दतों वाले रातों में नींद से जगाओगी क्या पुनः जानती हो... ये आंखे तरसती हैं आज भी तुम्हारे ही इंतजार में ये दिल ये पागल दिल मेरा आज भी गुम है तुम्हारे ही प्यार में...
Tu hi subaha thi, tu hi shaam thi har raat k hr lamhe ka armaan thi aati jati hr saans me teri aahten thi do pal ki baaton me badi raahten thi teri dil nawaji ka mujhe bada guman tha Jism tha, aag thi, hr chhuan me ek dhuaan tha Ishq k mausam me Ishq jawaan tha Vo subha vo shaam...raaton k vo haseen armaan Vo husn murtaza vo lafz bejubaan Vo chhuan vo dhuan vo kashish vo tapish... tumhe haasil na kr pane vo khalish aaj bhi yaad hai mujhe...
Tumhare jane k bad... Maine jana...ki prano k rahte hue bhi mrat ho jana.....kiya hota hai Jab chali gai tum mukt hokar iss jahan se...tab... tab maine jana ...ki jism se jaan ka chale jana...fir bhi jinda rahne ka abhinaya karna....kiya hota hai.. Yah sb maine jana... Tumhare jane k bad...
तू मुझमें और मैं तुझमे हूँ ख्वाब मेरा तू - मैं उसमें हूँ वादों में हूँ - इरादों में हूँ तू क्या जाने - किस किस में हूँ कब मिलेंगे - कहाँ मिलेंगे वक़्त का पहिया घूम रहा है दूर गगन में - अपनी मगन में दिल....SAIYAARA ....ढूँढ़ रहा है ...I
उल्फत की बातेँ जन्मों के वादे वो रस्में वो कसमें और जन्नत सी रातें कितने जवां और कितने थे पक्के पत्थर की मानिंद तेरे इरादे फिर भी तूने जुल्म ये ढाया क्यूँ बेवफा मुझे इतना रुलाया मोहब्बत थी या फिर आवारगी थी कैसी वो तेरी दीवानगी थी कैसी वो तेरी दीवानगी थी........
यह कोमल और चंचल मन मेरा, उससे दूर नहीं जाना चाहता, नजरों में बसा कर रखना चाहता है..बाहों के दरमियाँ ना सही..वो करीब से गुजर जाये.. बस. ऐसी अजनबी मुलाकातों में ही सही..। ना दर्द हो..ना गम हो ना बोझ हो इस दिल पर कोई राहे मोहब्बत में मुश्किलों के चलते.. गर हो छोड़ना.तो एक खूबसूरत सा मोड़ हो कोई
कभी तेरे नैनों पे लिखा तो कभी नैनों के मोतियों पे लिखा कभी तेरे मासूम चेहरे पे लिखा तो कभी चेहरे की मासूमियत वाली बातों पे लिखा कभी इश्क़-ए - मिजाजी पे लिखा तेरी तो कभी इश्क़-ए-दगाबाजी पे लिखा कभी ग़ज़ल लिखी कभी गीत लिखा तो कभी खत-ए-मोहब्बत लिखा
Janti ho.... Tumhare bagair mausam ki fizayen bhi Garjate badal - Barishen aur...purva hawayen bhi Mera sath dene se darti hain Aa jao ab to janam Ye...BARISHEN ... tumhe bada yaad karti hain....
Kitna hi suhana mausam kiyoon na ho ... Thandi hawaon ke jhonke hi kiyoon na ho.... Jhilmil sitaron se bhara aasman hi kiyoon na ho... Ya fir kiyoon na ho rimjhim barishon ki jhadi hi... Tab Kuchh bhi mahsoos nhi hota mujhe Sivay iske ki vo sab tapte registan ki manind jalate rahte hain mujhe...bhitar tk... Kiyoon ki..na sambhalta hai ye mn...aur na hi bahlta hi hai yah kabhi... DILBAR TERI YAAD ME DIL TADAPTA HAI ABHI ....
माना कि... जो मैंने किया वह प्रेम भी था और लगाव भी... मगर जो उसने किया वह स्वार्थ ही था और जो दिया वह घाव ही... घाव देते वक़्त उसने तनिक भी ना सोचा कि क्या होगा मेरा जो अपने मन के मंदिर में पूजता है उसे प्रेम की देवी...मोहब्बत का देवता बना कर...और क्या गुज़रेगी मेरे उस मन पर जब गुजर जायेगा करीब से वो आंखे चुरा कर...
मेरी सांसों में रहती है मगर आँखों से बहती है मैं तुझ बिन जी नहीं सकता धड़कने मेरी कहती हैं जो मिल जायेंगे मैं और तुम ज़मी जन्नत बनाऊंगा अमीरी हो या फकीरी हो सभी नखरे उठाऊंगा ज़माने भर की हर रौनक तेरे कदमो में लगाऊंगा कहेंगे लोग पागल जो गुज़र हद से भी जाऊँगा मरे सीने से लग के बस इतना सा ही कह दे तू मैं तेरी हूँ मै तेरी हूँ मैं तेरी हूँ..........
Masoomiyat ka haseen nazara thi voh, matlab har lafz me adakari -sahajta aur saralta wali yoon to haasil karne ki zid thi hume, chahte to paa sakte the use magar... pyaar kya hota hai usi ki masoom nigaho se seekha tha humne shaayad isiliye usko jaane diya uski khushi ke liye aur mohabbat ki had se guzarne lage hum, ishq karne lage hum, masoom kehne lage hum-masoom kehne lage hum...
ना शाखों ने जगहा दी...ना हवाओं ने बख्शा वो पत्ता आवारा ना बनता तो क्या करता...l
अब लफ्जों में हैं उसके खामोशियां अब रही ना वो पहले सी नजदीकियां आती नहीं मुझको अब हिचकियाँ जाती नहीं मन से क्यूं सिसकियाँ याद आती हैं उसकी वो सरगोशियां कहता था उसको मैं "मासूम" तब उसकी मासूमियत ये क्या हो गया वो जो मुझसे मिला मेरी जां हो गया मोहब्बत भरी दास्ताँ हो गया संग मेरे चला अंग भी वो लगा रफ्ता रफ़्ता मेरी जाने जां हो गया वो मासूम इश्क़ वो मासूम इश्क़ वो मासूम इश्क़
Some silences are louder than screams. Some eyes, deeper than oceans. This episode is not just a story — it's a surrender. Of a heart that once loved without holding back, Of a soul that drank pain like wine — quietly, completely. "PAIMANE TERI AANKHON SE..." is for those who've ever looked into someone's eyes and forgotten how to breathe. For those who've walked away carrying the weight of someone else's goodbye. Tune in — not just to listen, but to feel. तू गुजर गई करीब से मेरा मयार छोड़ कर मैं डूब गया साकिया मोहब्बत में तेरी तेरा प्यार ओढ़कर ग़ज़ब का इश्क़ है मेरा धड़कनो से तू जाती ही नहीं कहीं तुझे क्या मालूम तेरे सारे दर्द मेरे हिस्से लिए थे मैंने पैमाने तेरी आँखों से जो पिये थे मैने कितने लम्हे रहगुज़र में तेरी जिये थे मैंने पैमाने तेरी आँखों से जो पिये थे मैंने...
तू कहती थी तेरी ही हूँ मैं तू कहती थी तेरी रहूंगी बगावत भी कर लूँगी जग से तेरी होने को सब कुछ सहूंगी समंदर की तरहा तू रहना मैं नदिया सी संग संग बहूँगी दर्द तूने दिया मर मिटा मैं लोग कहते हैं तू बेगुनाह थी आखिरी सांस तक तुझको चाहूँ तू क्या जाने तू मेरा खुदा थी बेपनाह इश्क़ करता था तुझसे मेरे जीने की तू ही वज़ह थी
मेरे इश्क़ का तू दरिया सागर मैं चाहतों का चाहें आये तूफ़ाँ कितने तेरा प्यार राहतों सा तू ही ज़ख्म तू ही मरहम तू ही दर्द की दवा है सासों में तेरी खुशबू आँखों में तू बसा है कहती है दुनिया सारी मुझे तेरा ही नशा है मुझे तेरा ही नशा है,
तुम जो धड़कती थी सीने में जिंदगी बनकर.....मेरे ज़िस्म मेरे शरीर में मेरी रूह बनकर.....मेरे दिल के हर हिस्से में दौड़ते रक्त प्रवाह की मानिंद..... कहीं तुम्हें कोई दर्द ना हो मेरी वज़ह से तुम्हें कोई आघात ना हो...मेरे प्रेम की निरंतरता उसकी एकाग्रता भंग ना हो नीरसता का एक अंश भी घर ना कर पाए हमारे प्रेम के अहसासों में.... शायद इसीलिए......तुम्हारी वह मोहब्बत जो अक्सर मुझसे छुअन मांगती थी मैंने तुम्हारे मोह का त्याग कर दिया.....क्योंकि.... वह चंचल मन मेरा बार बार तुमसे कहता था...... ...तुझे छूने को दिल करे........