Dinesh Mohan

मेरी रचनाएं, मेरी अनुभूति और मै

शाम-ए-गज़ल (भाग -2)

शाम -ए- गज़ल का दूसरा भाग भी समर्पित है, कुछ चुनिंदा गज़लों को... 

08-20
44:38

आज के समाज की सच्चाई

एक सीधा साधा बंदा इस समाज से नहीं टकरा सकता

07-18
01:06

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