मेरी रचनाएं, मेरी अनुभूति और मै
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शाम -ए- गज़ल का दूसरा भाग भी समर्पित है, कुछ चुनिंदा गज़लों को...
एक सीधा साधा बंदा इस समाज से नहीं टकरा सकता
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