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Hindi Novel - सीता सोचती थी
Author - डॉ. अशोक शर्मा
Narrator - नन्द कुमार
Chapter 8 – " और एक मोड़.... भाग-1 " हम अपने श्रोताओं को बता दें कि उपन्यास "सीता सोचती थी" श्रीमद्भ-वाल्मीकि रामायण प्रसंगों पर आधारित है , सीता की मनःस्थिति का वर्णन काल्पनिक नहीं है। जयश्रीराम।
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Hindi Novel - सीता सोचती थी
Author - डॉ. अशोक शर्मा
Narrator - नन्द कुमार
Chapter 8 – " साँसों में गीत "
हम अपने श्रोताओं को बता दें कि उपन्यास "सीता सोचती थी" श्रीमद्भ-वाल्मीकि रामायण प्रसंगों पर आधारित है , सीता की मनःस्थिति का वर्णन काल्पनिक नहीं है। जयश्रीराम।
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Hindi Novel - सीता सोचती थी
Author - डॉ. अशोक शर्मा
Narrator - नन्द कुमार
Chapter 7 – अनिष्ट की आशंकाओं के मध्य
राम और सीता रथ पर सवार थे। सीता, आँधी के वेग से भयभीत सी होकर राम के िनकट िखसककर बैठ गइ। राम ने उनका हाथ थामकर मानो उह आत िकया। राम के इस थम पश से सीता रोमांिचत हो उठ। उनके ने के समुख, उपवन म राम का थम दशन, िफर माँ गौरी क मूित पर सजी मुकु राहट अनायास ही छा गई। भावनाओं से भरी सीता ने ने बद कर िलये।
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Hindi Novel - सीता सोचती थी, Chapter 6 – "स्वयंवर"
Author - डॉ. अशोक शर्मा
Narrator - नन्द कुमार
Description: सीता ने कहा। तीन बहन शरमाकर हँस पड़, िकतु िकसी को नह पता था िक सीता क अनजाने ही कही गई ये बात सच होने वाली है, और सचमुच सब सीता के साथ ही जायगी। सीता जब थोड़ी देर िवाम करने के बाद उठ, तो पता लगा वयंवर क सभा सज चुक थी। बहत से राजाओं और राजकु मार से सभाथल पूरी तरह भर चुका था। ऋिष, मुिन सभाथल के एक ओर ऊँ चे थान पर अपने-अपने आसन पर िवराजमान थे। जनकपुरी क जा सभाथल के अदर तो थी, िकतु जो अदर थान नह पा सके थे, ऐसे हजार यि सभाथल के बाहर जमा थे। जन-सैलाब उमड़ा पड़ रहा था।
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Hindi Novel - सीता सोचती थी, Chapter 5b – "स्वप्न जगे तो"
Author - डॉ. अशोक शर्मा
Narrator - नन्द कुमार
Description: ‘‘ सीता, बहधा िनय सायंकाल उिमला और अपनी सिखय के साथ यहाँ आती थ, अत: उस समय उस जगह पर पुष का आना विजत था। मिदर म जाकर पूजा करना और िफर कु छ देर सरोवर के पास बैठकर सिखय से बात करना उह िय था। उनके वयंवर क ितिथ और उसके िलये ितबध उनके िपता राजा जनक िनधारत कर चुके थे। उसम मा एक िदन शेष था। शाम हो चुक थी। सीता अपनी सिखय के साथ उपवन म आईं। "
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Hindi Novel - सीता सोचती थी
Author - डॉ. अशोक शर्मा
Narrator - नन्द कुमार
Description: ‘‘बेटी, तुम कपना नह कर सकत िक राम के साथ तुहारे और लमण के वन जाने के बाद, मने जीवन को िकस कार िजया है। क तो सभी ने उठाये, िकतु तुमने िनदष होते हये भी जो कु छ सहा है, वह अकपनीय है और आज लव व कु श के प म हमारी भावी पीढ़ी भी उस ासदी को झेल रही है... बेटी आमलािन मुझे जीने नह दे रही है।''
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Hindi Novel "सीता सोचती थी ...!"
Chapter - 4: " राम अब क्यों कुटी में रहते हैं ....? "
Author: डॉ. अशोक शर्मा
Podcast: नन्द कुमार,
Podcast by Nannd Kumar
Small part from the podcast.... "सीता ने ने उठाकर राम क ओर देखा। बारह वष के अतराल के बाद वही राम थे। कुछ भी बदला नह था। बस, उह वे थोड़े दुबले से लगे। जब वे उनसे िमलने के िलये चली थ, तब पता नह िकतनी ही बात उनके मन म आ रही थ। उह महसूस हो रहा था िक इन वष म उहने िकतने भी मोह यागे ह, िकतु राम क कु शलता क िचता सदैव उनके मन म थी।
Podcast by Nannd Kumar
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Hindi Novel "सीता सोचती थी ...!"
Chapter - 3: "अपनों के मध्य...!"
Author: डॉ. अशोक शर्मा
Podcast: नन्द कुमार, Podcast by Nannd Kumar
Small part from the podcast....
"सीता ने ने उठाकर राम क ओर देखा। बारह वष के अतराल के बाद वही राम थे। कु छ भी बदला नह था। बस, उह वे थोड़े दुबले से लगे। जब वे उनसे िमलने के िलये चली थ, तब पता नह िकतनी ही बात उनके मन म आ रही थ। उह महसूस हो रहा था िक इन वष म उहने िकतने भी मोह यागे ह, िकतु राम क कु शलता क िचता सदैव उनके मन म थी।
Podcast by Nannd Kumar
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Hindi Novel: "सीता सोचती थी ...!"
Chapter - 1: " कठिन पल... ! "
Author: डॉ. अशोक शर्मा
Podcast: नन्द कुमार,
Podcast by Nannd Kumar
Small part from the podcast.... ‘‘तुहारे ही पु ह।'' सुनकर राम ने होठ को दबाया, धीरे से एक गहरी साँस ली, शूय क ओर देखा िफर पलक जोर से भचकर आँख खोल द। ऐसा लगा, जैसे इन कु छ ही पल म वे पता नह कहाँ-कहाँ से गुजर गये हैं ...."
".... राम ने संकेत करके उन्हें भी बुलाया। सीता देख रही थी, राम के स्वर में अनुरोध है, आदेश नहीं ... यह सीता को असहज लग रहा था।.....
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Hindi Novel: "सीता सोचती थी ...!"
Chapter - 1 "अयोध्या की और...! "
Author: डॉ. अशोक शर्मा
Podcast: नन्द कुमार,
Podcast by Nannd Kumar
Small part from the podcast.... ‘‘मुझे लगता है अिधकांश लोग आज भी अपनी महारानी को िनदष समझते ह और उनम ा रखते ह, परतु कु छ लोग, कु छ उटी-सीधी बात भी करते ह।'' ‘‘तुह या लगता है, वे लोग कौन हो सकते ह?'' ‘‘ऐसा लगता है उह िकसी ने बहका रखा है; वे दूिषत भावनाओं से यु कु छ लालची वृि के लोग लगते ह, और मेरा अनुमान है िक य के दौरान भी कुछ ववाद खड़ा कर यवधान डालने क चेा कर सकते हैं ।'' ‘‘चलो, य थल क ओर चलते ह।''
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One of the world's most beautiful Rāmāyaṇa manuscripts prepared for Maharana Jagat Singh, the ruler of the Rajput kingdom of Mewar in Rajasthan, in the middle of the 17th century.
The Mewar Rāmāyaṇa, also known as the Jagat Singh Rāmāyaṇa, is the finest copy of the work ever commissioned by a Hindu ruler. The story held a special significance for the Mewar ruling family, as the Sisodiya Rajputs counted Rāma among their direct ancestors in the Solar Dynasty. The care – and expense – lavished upon the manuscript demonstrates that its preparation was a great act of family devotion.
This manuscript is also the most heavily illustrated Rāmāyaṇa known, originally containing perhaps as many as 450 paintings. The large format of each individual painting is also remarkable. This was one of the greatest manuscript projects ever undertaken in India and required close collaboration between teams of painters, although a single scribe copied the text. The manuscript took five years to complete, from 1648 to 1653.
This was the short introduction about Mewar Ramayana by Nannd Kumar
Source: British Library
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जय श्री राम। ...
हमारा आज का प्रसंग है , क्यों माता सीता ने राम से सुनहरी मृग का शिकार करने की बात कही थी और राम उस मृग को मारने भी चले गए, जबकि धर्म तो यह नहीं सिखाता, तो क्या राम सीता के कहने पर धर्म के विपरीत चल पड़े थे।
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रामायण भोग की नहीं त्याग की कथा हैं, चारो भाइयों और उनकी पत्नियों में त्याग की प्रतियोगिता चल रही हैं और सभी प्रथम हैं, कोई पीछे नहीं, जानें कैसे ? अत्यधिक मार्मिक प्रसंग....
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Kekai Sita ka relationship, Atadhik Bhavuk... Good work Nannd ji
Dil ko chhu liya aap ne...
Heart Touching...
Great to listen...