उसे आज अपनी गलतियों का एहसास होने लगा था । मम्मी पापा कि बात न मानना उसे आज बहुत महंगा पड़ रहा था लेकिन वक्त .....
कभी-कभी घर की छोटी-छोटी बातें घर तबाह कर देती हैं, घर बसने से पहले ही उजाड़ देती हैं,सपनों के ताजमहल मिनट में ढेर कर देती हैं । मेरी बेटी का क्या कसूर था ? ये सब सोचते हुए उठते हैं और शिवानी से सामान पैक करने को कहते हैं
संतान चाहे जो हो वो हमेशा माता-पिता के लिए खास होता है। बेटा हो तो इंसान को ये सर्वमान्य होता है कि वो हमेशा उसका साथ रहता है लेकिन बेटियां तो शायद दुनिया में आकर ही पराई हो जाती है। सुनिए ऐसी ही एक बेटी की कहानी।