Kalam Bandagi

Share if you like ❣️

Doori

Aakhir Kab Humare Sapno ki potli.. Apno ki jimedaari ki bhaari potli taale dab jaati hai aur un sapno ko dam Kab ghut jaata hai pata nahi chalta…. Aakhir kab hum usi jimedaari ko nibhane ke liye…apno se hi door par apne andar chota sa ghar liye chal dete hai par jaate jaate “ ghar waapsi ki umeed” ka daaman Kab peeche choot jaata hai pata hi nahi chalta…. Wo Holi Rakhi aur Diwali Abhi sab ghar pe manate hai….. aksar chutti na mil Paane ke Bhane se Har baar Maa se aankhien Churatein hai Ab Kalai pe Rakhi aur diwali pe mithai hum khud se hi khud ko khilaate hai… … Kya krey ghar jaane ki chahat par aksar Bachhat ke khyaal bhaari pad pe jaate hai Pata hi nahi chalta… Kharche badhte jaate hai ….. Aur Hum sher badalte jaate hai….. Ghar ki doori aur Badhti chali jaati hai…. Aur jaante hai paise kam hum khud kharch jaida hote chalte jaate hai… Aur ye bhi Khud ko,khud ko hi pata nahi chalta…

11-10
01:44

Kurbaan

माना लफ़्ज़ों के सहारे किसी रिश्ते की पहचान नहीं होती.... पर सिर्फ लफ़्ज़ों के लारे भी ज़िंदगी कुर्बान नहीं होती....

12-04
00:48

Rang

फरिश्तों के दुनिया में कई रंग है.... कभी खाकी में तो कभी पहने सफेद रंग है.... इंसान ने बांटे तो कहीं धर्मो के रंग है.... ना बटां‍ उन फरिश्तों का फ़र्ज़...फिके पड़े उन कर्ज़ों के आगे कई रंग है.... फरिश्तों के दुनिया में कई रंग है.... कभी खाकी में तो कभी पहने सफेद रंग है.... "मज़हबी" सरहदे बनाई हमने करी इंसानियत हर तर्ज पर भंग है.... ना किया फर्क उन्होंने तब भी लड़ी सरहदों पर "फ़र्ज़ की जंग" है .... फरिश्तों के दुनिया में कई रंग है.... कभी खाकी में तो कभी पहने सफेद रंग है.... मातृभूमि का कर्ज समझे वो "किए भंग कई अंग"है.... दिया नया जीवन तुमको....पाया "दर्जा रब संग है".... फरिश्तों के दुनिया में कई रंग है... कभी खाकी में तो कभी पहने सफेद रंग है....

08-25
01:31

Teri Mitti

🇮🇳मुबारक हो आज़ादी🇮🇳 हिन्द से सिंध तक तिरंगे की शान है आज़ादी राम की दीवाली है और अल्लाह की रमज़ान है आज़ादी.. गुरुपर्व का प्रकाश है और क्रिसमस के संग आयी सौगात है आज़ादी... मुबारक हो आज़ादी ... 6 मौलिक अधिकारों में बटी और अंधे कानून में फंसी शान है आज़ादी. किताबो में "सेक्युलरिज्म (secularism) का ज्ञान और संघो के धार्मिक खेलो की असली पहचान है आज़ादी... मुबारक हो! आपसे आपकी पहचान छिनने वाली आज़ादी... सन 84 और गोधरा में ज़िंदा जलाए जाने वालों की पुकार है आज़ादी... बाबरी का नरसंहार और 90 में सुनी कश्मीरी पंडितों की गुहार है आज़ादी मुबारक हो! आपको , ऐसे नरसंहार की ये आज़ादी! चन ज़मीनों में उलझे ,कितने ज़मीरों का अहंकार है आज़ादी इंसानियत से ज्यादा धर्म की " Insaneiyat" में फंसे विचारो का घर संसार है आज़ादी मुबारक हो! आपको ऐसी छोटी सोच की ये आज़ादी... आज़ादी...? वतन की मिट्टी के लिए खुद मिट्टी में मिल जाने का नाम होती है आज़ादी... हर धर्म,रंग और भाषा को बराबर मिलने वाले सामान की पहचान होती है आज़ादी... भगत,शिवाजी,बोस,लक्ष्मीबाई और नजाने कितने शहीदों की शहादत का कर्ज होती है आज़ादी... अपने धर्मो का मान रख कर भी ...अपने इंसानियत के कर्म का फ़र्ज़ अदा कर जाना होती है आज़ादी.... शायद इसे कहते है " असली स्वराज की आज़ादी..." मुबारक हो हम सब को "भारत की ये आज़ादी"... 🇮🇳......जय हिन्द.....🇮🇳

08-16
02:13

Love you Zindagi

कभी गमो के पहाड़ तो कभी प्यार के समन्दर गहरे देखे है ... कभी सबका साथ तो कभी अकेलेपन की रात निहारें देखे है. हौसले ज़िन्दगी ने बुलंद हर बार देखें है...... कभी अभिमान का साथ लिए तो चांद की तरह खुद पर भी दाग कई हज़ार देखे है..... कभी आत्मसम्मान का साथ लिए तो रिश्तों को खोते जारो जार देखे है ... हौसले ज़िन्दगी ने बुलंद हर बार देखें है...... कभी टूटे हम कुदरत की मार से तो वक़्त को मरहम देते कई बार देखे है.... कभी टूटे हम वक़्त की मार से तो "तुम्हारे साथ"से खड़े खुद को हर बार देखे है..... हौसले ज़िन्दगी ने बुलंद हर बार देखें है....

08-16
01:22

Qismat

" किस्मत की उलझनों में सिमटी" .. इस रिश्ते की ये भी कैसी ज़िन्दगी है ... दो दिलों के इस रिश्ते में चाहकर भी दो दिल एक साथ नहीं... ये भी भला कैसी बंदगी है ... लम्हे अच्छे थे या बुरे .. इन सबसे रिश्तों को कोई मात नहीं... तुझे पा भी लूं आज तो ..तुझमें पहले जैसी कोई बात नहीं... कभी तुम थे तो हम नहीं...शायद वाक़िफ तुझसे मेरी मजबूरियां रही.... पर आज हम है और तुम नहीं..शायद वाक़िफ हमसे तेरी ये दूरियां रही... कितने दूर हो कर भी पास है ना हम.. शायद वक्त की यही रीत रही... वक़्त से पहले और किस्मत से ज़्यादा.. ना मिलना ही इस कहानी की प्रीत रही ...

08-02
01:40

Mere liye Tum Kaafi Ho

काफी दफा मंज़िल तक पहुंचना मुश्किल... पर तुम्हारा खुद मंज़िल बन जाना जुनून बन जाने सा लगता है.... काफी दफा अपने जज़्बातों को समझाना मुश्किल...पर तुम्हारा खुद सब समझ जाना रुनझुन सुनने सा लगता है.... काफी दफा "काफी है ये सब" कहना मुश्किल...पर तुम्हारा खुद "मेरे लिए काफी" हो जाना सुकून मिल जाने सा लगता है....

07-15
00:57

Zindagi

रास्ते फिर बन जाएंगे....आज जो खोया है वो कल फिर पा जाएंगे,पर वो पल तुम्हारे "कल होने" का "इंतज़ार" कर रहा है.... ज़िन्दगी को गले लगाओ....कोई अपना नहीं तो "कोई गैर" ही सही, तुम्हारे "दिल का हाल" सुनने का "इंतज़ार" कर रहा है.... अगर एक बंद दरवाज़ा तुम्हे मन की हार जैसा लग रहा है....पर वहीं अगला दरवाज़ा "ज़िंदगी की जीत" लिए "तुम्हारा इंतज़ार" कर रहा है...

07-08
01:32

Meri Maa

तेरे साये में ही रहना मुझको भाना है"मां"...कैसे बताऊं इन लबों ने "पहला अक्षर" भी ... तेरे नाम का ही कहना है.... तेरे हाथ को थामे मुझे इस दुनिया में आना है "मां"...कैसे बताऊं इन हाथो से बने खाने का भी...अपना अलग अफसाना है.... मेरे हर दर्द का मुझसे पहले तेरा हो जाना है"मां"...कैसे बताऊं हर फ़र्ज़ के आगे भी...इस कर्ज़ का बढ़ते जाना है.... तेरे होने से मेरा होना है "मां" ...कैसे बताऊं इस "रब" ने भी खुद ..."पहला रब" तुझी में पाना है..... ❤️

05-09
01:13

Meri zindagi ka Gulzaar Ban jana

चांद और तारों के रिश्ते का पैमाना बहुत पुराना है.. तहाम रोज़ आयी नई चांदनी और तारों की छाओं का भी अपना अलग अफसाना है.. अ़फसानो का बन जाना और तेरा मेरा मिल जाना है .... जैसे अमवस्या की रैना को दीवाली सा जगमगाना है... जगमगाते रिश्तों की रोशनी में तेरा होना मेरे इश्क का काबिल हो जाना है.... तेरे करीब होने से मेरा और मेरी का ज़िन्दगी का गुलज़ार बन जाना है ..... अगर मिले मुझे तू जन्नत में जैसे मेरी मन्नत का मुकमल हो जाना है..... तेरे करीब होने से मेरा और मेरी का ज़िन्दगी का गुलज़ार बन जाना है .....

05-07
01:06

Haal e Dil

जितना दिखाता नहीं उसे ज्यादा फिक्र करता हूं तेरी। जितना बतलाता नहीं उसे ज्यादा बातों में जिक्र करता हूं तेरी। कैसे दिख लाओ "हाल ए दिल",किस हद तक चाहता हूं पाकर तुम्हे... बस यूं ही नहीं थोड़ा थोड़ा रोज़ मर जाता हूं देखकर तुम्हे....

05-07
00:42

Kinare

**Part 1 - रुक जाऊं अगर तेरे कहने पर तो समझ जाना कि बिसरा अभी भी कुछ बाकी है ... थम जाऊं अगर तेरे थामने पर तो समझ जाना कि साथ अभी भी कुछ बाकी है.... ना बेहके दिल अगर बेहकाने पर भी तो समझ जाना कि शायद मेरे लौट आने की आस अभी भी कुछ बाकी है ... ❣️ **Part 2 - माना बिसरा भी कुछ बाकी था.. बचा साथ भी जीने के लिए काफी था.. बेहकाया दिल को भी दिलासों से .."क्या" तेरे आने की आस में बैठे रहना ही काफी था.. ख़ामोशियों को कोशिश बना... ज़िन्दगी से फिर रूबरू हो रहे है हम... छोडा़ तूने मझधार में हमें... पर अब शायद खुद ही "किनारा बन पार" हो रहे है हम... लौट आओगे भी तो बहुत आगे बढ़ चले है हम... उस "अधूरे रिश्ते की कच्ची पगडंडी" को छोड़ किसी रिश्ते की "मजबूत" राहों पे फिर से दौड़ चले है हम...❣️.

04-25
02:22

Recommend Channels