आज के एपिसोड में हम सुनेंगे उस क्षण की कहानी जब द्रोणाचार्य की मृत्यु के बाद पांडव पक्ष में मिश्रित भावनाएँ उठीं। भीमसेन और धृष्टद्युम्न ने विजय का उत्सव मनाया, लेकिन अर्जुन अपने गुरु की हत्या से गहरे शोक में डूब गए। सात्यकि और धृष्टद्युम्न के बीच तनाव बढ़ा, जिसे कृष्ण और भीमसेन ने संभाला।दूसरी ओर, कौरवों में हाहाकार मच गया और अश्वत्थामा, अपने पिता के वध का बदला लेने के लिए क्रोधित होकर युद्ध में कूद पड़े। उन्होंने नारायणास्त्र का प्रकोप चलाया – एक ऐसा दिव्य अस्त्र, जो सामना करने पर पूरे युद्धभूमि को नष्ट कर सकता था। पांडव सेना भयभीत हो गई, सभी महारथियों ने कृष्ण के आदेश पर हथियार डालकर भूमि पर लेटकर आत्मसमर्पण किया। भीमसेन का अदम्य साहस और अर्जुन की तत्परता ही इस प्रलय से सेना को बचा सकी।इस एपिसोड में जानिए कैसे अश्वत्थामा का प्रकोप और नारायणास्त्र की शक्ति पांडवों के लिए सबसे बड़े संकट में बदल गई और किस तरह कृष्ण और अर्जुन ने समय रहते इसे नियंत्रित किया।
इस एपिसोड में हम जानेंगे कि कैसे कृष्ण ने युधिष्ठिर और पांडवों के साथ मिलकर द्रोणाचार्य को पराजित करने की रणनीति बनाई।
आज के एपिसोड में हम सुनेंगे उस असामान्य रात के बारे में, जब दोनों सेनाओं ने कुछ देर का विराम लिया और घायल योद्धाओं का इलाज किया। लेकिन रात के अंतिम प्रहर में युद्ध फिर से हिंसक रूप से शुरू हुआ, और द्रोणाचार्य ने पांडवों की सेना पर अत्यधिक आक्रमण किया। पांडवों के कई महान सहयोगी मारे गए, और युद्ध ने एक नया मोड़ लिया। अर्जुन और द्रोण के बीच संघर्ष और भीषण होता गया, जब श्रीकृष्ण ने अर्जुन को एक नई रणनीति अपनाने का संकेत दिया।
आज के एपिसोड में हम सुनेंगे उस भयंकर रात्रि युद्ध के बारे में, जब कौरवों ने थकान के बावजूद युद्ध जारी रखा। दुर्योधन के उन्माद और कर्ण की प्रतिहिंसा से युद्ध ने एक नया मोड़ लिया। अर्जुन और कर्ण का भीषण सामना हुआ, और साथ ही सात्यकि और सोमदत्त के बीच द्वंद्व ने माहौल को और गरमा दिया। इस एपिसोड में जानिए कैसे रात्रि के अंधेरे में दोनों पक्षों ने एक-दूसरे को चुनौती दी और युद्ध की तीव्रता बढ़ी।
आज के एपिसोड में हम सुनेंगे अर्जुन की प्रतिज्ञा के बारे में, जहां उन्होंने जयद्रथ का वध कर अपनी प्रतिज्ञा पूरी की। अर्जुन की वीरता और धर्म के संघर्ष को समझते हुए, हम देखेंगे कि कैसे उन्होंने कौरवों के खिलाफ एक के बाद एक शत्रुओं का सामना किया। इस एपिसोड में जयद्रथ के वध के बाद युद्ध का माहौल और भी भीषण हो गया, जब रात के अंधेरे में दोनों सेनाओं के बीच संघर्ष जारी रहा।
इस कड़ी में अर्जुन को अभिमन्यु की दुखद मृत्यु का समाचार मिलता है और वे जयद्रथ वध की प्रतिज्ञा लेते हैं। अगली सुबह अर्जुन अकेले विशाल व्यूह को भेदते हैं, जबकि सात्यकि और भीम भी उनके पीछे आते हैं। रणभूमि में जबरदस्त युद्ध होता है – वीरता, क्रोध और शोक सब चरम पर हैं। अर्जुन का हर कदम केवल एक लक्ष्य के लिए है: प्रतिशोध।
द्रोण पर्व में हम महाभारत के युद्ध के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुँचते हैं। भीष्म पितामह के शरशय्या पर जाने के बाद, युद्ध की बागडोर द्रोणाचार्य के हाथों में आती है। इस दौरान पांडवों की सेना और कौरवों के बीच भयंकर संघर्ष होता है, और अर्जुन के बेटे अभिमन्यु का साहसिक बलिदान भी इस पर्व में शामिल है। अभिमन्यु, जिसे चक्रव्यूह तोड़ने की कला सिखाई गई थी, परन्तु वह उसकी समाप्ति तक नहीं पहुँच पाता। इस एपीसोड में हम द्रोण पर्व की शुरुआत और अभिमन्यु के बलिदान तक के घटनाक्रम पर चर्चा करेंगे।
आज हम देखेंगे कि किस तरह से युद्ध दूसरे दिन से चालू होता है और छठे दिन तक जाता है। हम कई तरह के व्यूह के बारे में भी जानेंगे।
हम देखेंगे कि महाभारत का युद्ध शुरू होता है। हम यह भी देखेंगे कि कौन से योद्धाओं ने युद्ध में अपनी जगह बदल ली है।
हम देखेंगे किस तरह से एक बार फिर पांडवों और कौरवों के बीच लड़ाई होती है। पांडवों का अज्ञातवास और वनवास खत्म होता है और वह कौरवों के सामने आते हैं। अंत में हम देखेंगे कि कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध का आगाज कैसे होता है।
इस एपीसोड में हम नल और दमयंती की कहानी सुनेंगे। साथ ही साथ हम यह भी देखेंगे कि किस तरह से अर्जुन पांडवों के साथ वापस आ गए हैं। हम दुर्योधन और उसकी सेना को नाकाम होते हुए भी देखेंगे।
हम देखेंगे कि किस तरह से दुर्योधन और शकुनि ने फिर से पांडवों को जुआ खेलने के लिए मजबूर कर दिया. इसके फलस्वरूप पांडवों को वनवास झेलना पड़ा। लेकिन इसके साथ ही पांडवों को इस वनवास में तरह तरह के अस्त्र शस्त्र मिले। इस एपिसोड में महाभारत का सभापर्व खत्म होता है और वनपर्व शुरू होता है।
हम देखेंगे कि किस तरह से दुर्योधन ने पांडवों के खिलाफ अपना बदला उन्हें जुए के खेल में हरा कर लिया। हम भगवान कृष्ण का एक और चमत्कार भी देखेंगे और देखेंगे कि किस तरह से अंत में पांडव और कौरवों के बीच में लड़ाई होते होते रह गई।
इस एपिसोड में हम देखेंगे कि युधिष्ठिर ने किस तरह से राजसूय यज्ञ किया और कृष्ण ने किस तरह से अपने एक शत्रु को मार दिया। हम दुर्योधन का पांडवों के प्रति द्वेष भी देखेंगे।
यह अभी तक महाभारत में अभी तक इस पॉडकास्ट में हुई सभी घटनाओं का संक्षिप्त वर्णन है।
इस एपिसोड में हम देखेंगे कि पांडवों ने एक अद्वितीय महल हासिल किया, और युधिष्ठिर ने महत्वकांक्षी होकर राजसूय यज्ञ करवाने के बारे में सोचा। हम कृष्ण की एक और पुराने शत्रु से मिलेंगे और देखेंगे कि कृष्ण ने किस तरह से शत्रु से द्वारका को बचाया।
आज हम देखेंगे कि किस तरह से अर्जुन एक वनवास में चले गए और वहां उन्होंने कई शादियां की. साथ में पांडवों ने इंद्रप्रस्थ को एक बहुत ही अच्छा राज्य बना दिया। हम यह भी देखेंगे कि कृष्ण और अर्जुन ने किस तरह से एक पूरा जंगल जलाने में अग्नि की मदद की।
हम देखेंगे कि पांडव वापस हस्तिनापुर कैसे पहुंचे। हम यह भी देखेंगे कि दुर्योधन और अन्य कौरव पांडवों से कितनी हद तक जलते थे। अंत में हम पांडवों के लिए खुश होंगे जब उनको राज करने के लिए एक देश मिलेगा।
इस एपिसोड में हम कृष्ण और बलराम के बारे में सुनेंगे। हम देखेंगे कि कैसे कृष्ण की 16000 बीवियां थी, और कैसे क्रोधित बलराम ने नदियों, कौरवों और समस्त नगरों को अपने सामने झुका दिया। यह भागवत पुराण की आखिरी कड़ी है।
Kalpesh Pagare
Thank you so much for detailed explanation.when to expect upcoming episodes?
Guru Randhawa
waiting for new episode
TInfinite
Aapki kahaani ki pesha bohot is saral evam... kahani ki jatil hisso ko dhyan mein rakh kar hai... Agar mai kisi tharh aap ki sahayata kar sakta hu to jarur batayen
Shweta Kurwalkar
I love your podcast! Please make more and frequently!
Shivam gargas
please release more videos.