Sambandh Ka Ke Ki

A conversation on books, conducted in Hindi.

एपिसोड 2: शैडो सिटी – अ वुमन वॉक्स काबुल - तरन खान

वर्ष २००६, अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान हुकूमत को गिरे हुए पाँच साल हो चुके हैं — तरन खान पहली बार हिंदुस्तान से अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल पहुँचती हैं तो उनको लगता है कि वे एक अजनबी शहर में आयी हैं, और साथ-साथ यह भी लगता है कि ऐसे शहर में आई हैं जिससे उनका पुराना परिचय हो। काबुल में उनकी पहचान शायरों, फिल्म निर्माताओं, पत्रकारों और शहर के अन्य बाशिंदो से होती है। वक़्त के साथ, वे पाती हैं कि उनकी कल्पना के शहर और उनकी हकीकत के शहर में फ़र्क़ है। आइये सुनते हैं, तरन खान के साथ उनकी किताब 'शैडो सिटी -- अ वुमन वॉक्स काबुल' पर एक चर्चा।       (आप शो नोट्स, sambandhkakeki.com पर भी देख सकते हैं।) इंस्टाग्राम पर तरन खान तरन खान द्वारा लिखी गईं पुस्तक — नॉन फिक्शन शैडो सिटी – अ वुमन वॉक्स काबुल   पॉडकास्ट में चर्चित अन्य किताबें -- नो गुड मेन अमंग द लिविंग -- अमेरिका, द तालिबान, एंड द वॉर थ्रू अफ़ग़ान आईज, लेखक आनंद गोपाल   तरन के दो चहेते गीत फिल्म काबुलीवाला का गीत, ऐ मेरे प्यारे वतन अहमद ज़हीर का गीत, लैली लैली जान ‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से। 

07-31
59:00

एपिसोड 38: 'आवर राइस टेस्ट्स ऑफ़ स्प्रिंग' − अनुमेहा यादव

आज़ादी के बाद, १९५० और १९६० के दशकों में, भारत को अपनी आबादी को भुखमरी से बचाने के लिए अक्सर अमरीकी अनाज पर निर्भर होना पड़ता था। फिर 'हरित क्रांति' यानी 'ग्रीन रेवोलुशन' के बदौलत, वर्ष १९७१ तक भारत अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भर बन गया। ये संभव हुआ, नए किस्म के उपजाऊ अनाज, सिंचाई व्यवस्था में बढ़ोत्तरी, और रासायनिक खाद व कीटनाशक दवाइयों के व्यापक इस्तेमाल से। लेकिन आत्मानिर्भरता के लिए देश को कीमत अदा करनी पड़ी। क्या असर हुआ है नई खेती प्रणाली का छोटानागपुर प्रान्त के आदिवासी गाँवों में? चित्रों समेत, एक सरल कहानी द्वारा इसका वर्णन किया है अनुमेहा यादव ने अपनी पुस्तक 'आवर राइस टेस्ट्स ऑफ़ स्प्रिंग' में, जो बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए लिखी गयी है।(आप⁠ शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं।)एक्स (ट्विटर) पर अनुमेहा यादव वर्डप्रेस पर अनुमेहा के ब्लॉग 'आवर राइस टेस्ट्स ऑफ़ स्प्रिंग' अमेज़न परछोटानागपुर क्षेत्र में धान के देसी बीजों के पुनः प्रयोग पर 'द वायर' में अनुमेहा का आलेख  कृषि वैज्ञानिक डॉ अनुपम पॉल के साथ धानके बीजों के संरक्षण पर 'द वायर' में अनुमेहा का इंटरव्यू 'प्लास्टिक' 'फोर्टीफाईड' चावल का आदिवासी क्षेत्रों में वितरण पर 'द वायर' में अनुमेहा की फिल्म कृत्रिम चावल के राशन द्वारा वितरण पर 'द हिन्दू' के साथ अनुमेहा का पॉडकास्ट (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)

09-08
01:00:21

एपिसोड 35: 'द डिस्मैंटलिंग ऑफ़ इंडिया'ज़ डेमोक्रेसी' − प्रेम शंकर झा

प्रेम शंकर झा की नई किताब का नाम है − 'द डिस्मैंटलिंग ऑफ़ इंडिया'ज़ डेमोक्रेसी'; हिंदी में कहें तो, 'भारतीय लोकतंत्र का विध्वंस'। झा को पत्रकारिता करते हुए पचास से ज़्यादा साल हो चुके हैं और वे देश के प्रतिष्ठित अखबारों में संपादक रह चुके हैं। उनका मानना है कि आज भारत में लोकतंत्र अपने अंतिम चरण पर है। इसके चारों स्तम्भ − कार्यपालिका (एक्सीक्यूटिव), विधान मंडल (लेजिस्लेचर), न्यायपालिका, और प्रेस या मीडिया − खोखले हो चुके हैं। क़िताब में झा बताते हैं कि किन कारणों से भारत की राजनीति और भारतीय समाज, दक्षिणपंथी राजनीति के चपेट में आ गए हैं। यानी, किन कारणों से भारत में हिंदुत्व की राजनीति का प्रभाव इतना बढ़ गया है। और, क्यों इस राजनीती से देश में लोकतंत्र और देश की अखंडता − दोनों को गंभीर खतरा है।(आप⁠ शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं।)फेसबुक पर प्रेम शंकर झा 'द डिस्मैंटलिंग ऑफ़ इंडिया'ज़ डेमोक्रेसी' अमेज़न पर प्रेम शंकर झा की अन्य पुस्तकें अमेज़न पर ('सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)

07-10
01:13:18

एपिसोड 34: 'सेलिब्रेशन एंड प्रेयर' − अशोक वाजपेयी

आज़ाद भारत के महान चित्रकार सय्यद हैदर रज़ा ने अपने लम्बे जीवन के ६० वर्ष फ्रांस में गुज़ारे, मगर उनकी कला का मुख्य प्रेरणा स्रोत भारत की संस्कृति रही। इस प्रेरणा का सबसे जाना-माना प्रतीक है 'बिंदु', वो काले या अन्य रंग का गोल घेरा जो रज़ा साहब के चित्रों में हमारी नज़र को अपनी ओर खींचता है। अपनी पुस्तक 'सेलिब्रेशन एंड प्रेयर' में अशोक वाजपेयी लिखते हैं, कि बिंदु − एक उत्पत्ति का बिंदु और एक अंत का बिंदु है; एक अधयात्मिक अवधारणा है और सौंदर्यशास्त्र से जुड़ी कृति है; एक स्थिर केंद्र और ऊर्जा का एक स्रोत है; एक मौन की बिंदु और स्फूर्त गति की शरुआत है; एकीकरण और ध्यान का केंद्र है; विकिरण की बिंदु है; और अंकुरण व प्रकाश की बिंदु है। सुनिए रज़ा और उनकी कला पर एक चर्चा अशोक वाजपेयी के साथ।(आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं।)फेसबुक पर रज़ा फाउंडेशन फेसबुक पर रज़ा न्यास इंस्टाग्राम पर रज़ा फाउंडेशन 'सेलिब्रेशन एंड प्रेयर' अमेज़न पर अशोक वाजपेयी की अन्य पुस्तकें अमेज़न पर (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)

07-01
01:04:14

एपिसोड 33: 'अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ़ द प्रेज़ेंट' — हिलाल अहमद

जुलाई २०२३ में रेलवे पुलिस के एक सिपाही ने जयपुर-मुंबई सुपरफास्ट एक्सप्रेस में सफर करते तीन मुसलमान यात्रियों की गोली मारकर हत्या कर दी, सिर्फ इसलिए क्योंकि वे मुसलमान थे। अपनी किताब में डॉ हिलाल अहमद लिखते हैं कि इस घटना से पता चलता है कि आज के भारत में हिंसात्मक मुस्लिम-विरोधी माहौल किस हद तक बढ़ चुका है। मगर उन्होंने पिछले दस वर्षों में भारत के मुसलमान नागरिकों के हालात और उनके मुस्लिम पहचान का आकलन सहनशील, निष्पक्ष, और शांतचित्त भाव से किया है। सुनिए एक चर्चा डॉ अहमद के साथ उनकी पुस्तक 'अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ़ द प्रेज़ेंट' पर। (आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं।)एक्स (ट्विटर) पर हिलाल अहमद फेसबुक पर हिलाल अहमद 'अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ़ द प्रेज़ेंट' अमेज़न पर हिलाल अहमद की अन्य पुस्तकें अमेज़न पर  (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)

06-15
01:06:42

एपिसोड 32: 'अ ड्रॉप इन द ओशन' − सईदा सईदैन हमीद

पड़ोस के बच्चों ने सात साल की सईदा सईदैन के साथ खेलने से इंकार कर दिया क्योंकि वो मुसलमान थी। नन्ही सईदा ने इस घटना पर एक कहानी लिखी जो बहुत सराही गयी और एक किताब के रूप में छपी। किताब खूब चली और सईदा को तत्कालीन प्रधानमन्त्री पंडित नेहरू के हाथों एक गुड़िया पुरूस्कार में मिली। आगे चल के डॉ सईदा हमीद ने पढ़ा-लिखा, घर बसाया, और घर के बाहर भी बहुत कुछ हासिल किया। वे योजना आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य रहीं, और उन्होंने एक कुशल लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता, व शिक्षा-क्षेत्र में कार्यकर्ता के रूप में अपना स्थान बनाया। कितना आसान और कितना मुश्किल है भारत में एक मुसलमान होना − इसका अंदाज़ लगता है डॉ हमीद के संस्मरण 'अ ड्राप इन द ओशन' को पढ़ के।(आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं।)इंस्टाग्राम पर सईदा हमीद फेसबुक पर सईदा हमीद इंस्टाग्राम पर मुस्लिम विमेंस फोरम  फेसबुक पर मुस्लिम विमेंस फोरमइंस्टाग्राम पर ख्वाजा अहमद अब्बास मेमोरियल ट्रस्ट  फेसबुक पर ख्वाजा अहमद अब्बास मेमोरियल ट्रस्ट'अ ड्राप इन द ओशन' अमेज़न पर  सईदा हमीद की अन्य पुस्तकें अमेज़न पर(‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)

05-31
57:11

एपिसोड 31: 'द ग्रेट निकोबार बिट्रेयल' − पंकज सेखसरिया

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का सबसे दक्षिणी द्वीप 'द ग्रेट निकोबार' करीब-करीब पूरी तरह से घने जंगल से ढका हुआ है और आधुनिक सभ्यता से लगभग अछूता है। शोम्पेन और 'ग्रेट निकोबारी' आदिवासी समुदाय इस छोटे से द्वीप में सैकड़ों हज़ारों वर्षों से रह रहे हैं। यहाँ अनेकों दुर्लभ पशु-पक्षि, मछलियाँ, व अन्य प्राणी-प्रजातियां पाई जाती हैं। अब भारत सरकार 'द ग्रेट निकोबार' द्वीप में एक विशाल 'ट्रांसशिपमेंट कंटेनर पोर्ट' यानी बंदरगाह का निर्माण करने जा रही है। साथ ही साथ, एक नए शहर, अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे, और पावर प्लांट का भी निर्माण होगा। ये सब करने के लिए १० लाख पेड़ों को काटा जाएगा। परियोजना की लागत होगी, ८०,००० करोड़ रुपये। सुनिए एक चर्चा 'द ग्रेट निकोबार बिट्रेयल' के संपादक डॉ पंकज सेखसरिया के साथ जिसमें वे बताते हैं कि ये परियोजना विनाश का पर्याय है, विकास का नहीं।(आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं।)इंस्टाग्राम पर पंकज सेखसरिया  एक्स (ट्विटर) पर पंकज सेखसरिया फेसबुक पर पंकज सेखसरिया लिंक्ड इन पर पंकज सेखसरिया 'द ग्रेट निकोबार बिट्रेयल' अमेज़न पर  'सिविल सोसाइटी' पत्रिका में 'द ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट' पर आलेख    'सिविल सोसाइटी' पत्रिका में एडमिरल अरुन प्रकाश का इंटरव्यू (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)

05-20
54:49

एपिसोड 30: 'एच-पॉप' − कुनाल पुरोहित

कुनाल पुरोहित की किताब में तीन किरदार हैं − गायिका कवि सिंह, लेखक व राजनैतिक ‘कमेंटेटर’ संदीप देओ, और कवि कमल अग्नेय। तीनों के कला और हुनर का, आजीविका और पेशे का, केंद्र है हिंदुत्व की विचारधारा; और तीनों अपने श्रोताओं तक पहुँचने के लिए निर्भर हैं इंटरनेट व 'ऑनलाइन' जगत पर। क़िताब में, कुनाल इनके सोच, परिवेश, काम-काज, और जीवन के उतराव-चढ़ाव को उजागर करते हैं। और इस तरह, 'एच-पॉप − द सेक्रेटिव वर्ल्ड ऑफ़ हिंदुत्वा पॉप स्टार्स' हमारे समय का एक आइना बन जाता है।इंस्टाग्राम पर कुनाल पुरोहितएक्स (ट्विटर) पर कुनाल पुरोहितफेसबुक पर कुनाल पुरोहितलिंक्ड इन पर कुनाल पुरोहित'एच-पॉप' अमेज़न पर बद्री नारायण कृत 'रिपब्लिक ऑफ़ हिंदुत्वा' अमेज़न पर(‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।) 

05-07
01:19:44

एपिसोड 28: 'द मेनी लाइव्स ऑफ़ सईदा एक्स' − नेहा दीक्षित

नेहा दीक्षित की किताब 'द मेनी लाइव्स ऑफ़ सईदा एक्स' कहानी है सईदा की, जो बनारस के दंगो में सब कुछ खोने के बाद, आजीविका की तलाश में अपने पति और छोटे बच्चों के साथ १९९६ में दिल्ली आ जाती है। अगले २४ सालों में सईदा दिल्ली में ५० अलग-अलग तरह के काम करती है, जैसे साइकिल के पुर्जे बनाना, बादाम छीलना, डॉक्टर के क्लीनिक में सफाई करना, या गजक, खिलौने और अगरबत्ती बनाना। दिन में १६ से १८ घंटों काम करने के बावजूद सईदा रोटी, कपड़े, और मकान के लिए हमेशा झुझती रहती है। वर्ष २०२० में दिल्ली में दंगे होते हैं और एक बार फिर सईदा का सब कुछ लुट जाता है। सुनिए 'द मेनी लाइव्स ऑफ़ सईदा एक्स' पर एक चर्चा, नेहा के साथ।(आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देखसकते हैं।)इंस्टाग्राम पर नेहा दीक्षित  एक्स (ट्विटर) पर नेहा दीक्षित  फेसबुक पर नेहा दीक्षित  नेहा दीक्षित का वेबसाइट  अमेज़न पर 'द मेनी लाइव्स ऑफ़ सईदा एक्स'(‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)

03-28
01:21:23

एपिसोड 27: 'स्टिल, लाइफ़' − ईशान तन्खा

सितम्बर २०१९ में शुरु हुआ एक घटनाक्रम, जिसकी चार मुख्य कड़ियाँ थीं।पहली कड़ी थी दिल्ली के शाहीन बाग़ इलाके में सी.ए.ए.−एन.आर.सी. कानूनों का विरोध-प्रदर्शन, जो यहाँ से देश के अन्य भागों में फैला। इसके बाद फ़रवरी २०२१ में दिल्ली में दंगे हुए और इन दंगों के तुरंत बाद पुरे देश में कोविड महामारी का लॉक-डाउन लगा। घटनाक्रम की आखिरी कड़ी थी किसान आंदोलन, जिसके केंद्र थे दिल्ली के बॉर्डर इलाके। ऐसा लगने लगा कि ज़िन्दगी में कुछ बुनियादी बदलाव आ गया है। यही अहसास ताज़ा कर देती हैं फोटो जर्नलिस्ट ईशान तन्खा की तसवीरें, जो उन्होंने तीन पतली पत्रिकाओं में संकलित कर के 'स्टिल, लाइफ' के नाम से छापा है। सुनिए 'स्टिल, लाइफ' पर एक चर्चा, ईशान तन्खा के साथ।(आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देखसकते हैं।)इंस्टाग्राम पर ईशान तन्खा  एक्स (ट्विटर) पर ईशान तन्खा  फेसबुक पर ईशान तन्खा  ईशान तन्खा का वेबसाइट  'स्टिल, लाइफ' की प्रति ख़रीदने का लिंक (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)

03-07
58:36

एपिसोड 24: ‘सर्कल्स ऑफ़ फ्रीडम’ – टी. सी. ए. राघवन

आज हम गाँधी, नेहरू, सरदार पटेल, और भगत सिंह जैसे स्वतंत्रता संग्राम के बड़े नेताओं और क्रांतिकारिओं के जीवन से वाकिफ तो हैं, मगर आसफ अली जैसे स्वतंत्रता सैनानि व नेताओं के जीवन का ज्ञान हमको प्रायः नहीं के बराबर होता है। दिल्ली में, भले ही हम आसफ़ अली रोड, अरुना आसफ अली रोड, अंसारी रोड, मौलाना मोहम्मद अली मार्ग जैसे सडकों पर चलते हों, मगर कौन थे ये लोग जिनके यादगार में इन सड़कों का नाम रखा गया है, क्या भूमिका थी इनकी स्वतंत्रता संग्राम में, कैसी थी इनकी ज़िन्दगी, क्या कुर्बानियां दी इन्होंने – ये सब उजागर किया है टी. सी. ए. राघवन ने अपनी किताब 'सर्कल्स ऑफ़ फ्रीडम' में। (आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं।) 1.  फेसबुक पर टी. सी. ए. राघवन    2.  एक्स (ट्विटर) पर टी. सी. ए. राघवन   3.  'सर्कल्स ऑफ़ फ्रीडम' अमेज़न पर 4.   टी. सी. ए. राघवन की अन्य पुस्तकें अमेज़न पर (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)  

12-31
01:05:32

एपिसोड 23: 'आइकोनिक ट्रीज़ ऑफ़ इंडिया' — एस. नटेश

शहंशाह शाहजहाँ, टीपू सुल्तान, और मराठा साम्राज्य के आखरी पेशवा, बाजी राओ द्वितीय – इन्होंने कौन से पेड़ लगाए थे, जो आज भी जीवित हैं? भारत में कहाँ है दुनिया का सबसे बड़ा पेड़ जिसके नीचे एक बार में २०,००० आदमी खड़े हो सकते हैं? कहाँ है भारत का सबसे पुराना वृक्ष, जिसकी उम्र है २०२३ साल? किस पेड़ के नीचे गुरु नानक बैठे थे, और किसके नीचे रबिन्द्रनाथ टैगोर बैठे? किस पेड़ को महात्मा गाँधी ने लगाया था और किसको विश्व विख्यात एक्स्प्लोरर डेविड लिविंगस्टोन ने? इनमे से कुछ सवालों के जवाब आपको मिलेंगे डॉ एस. नटेश के साथ इस चर्चा में, और शेष सवालों के जवाब मिलेंगे उनकी किताब, 'आइकोनिक ट्रीज ऑफ़ इंडिया', यानी ‘भारत के बहुत खास पेड़’, में। 1.   इंस्टाग्राम पर 'आइकोनिक ट्रीज ऑफ़ इंडिया' 2.  अमेज़न पर 'आइकोनिक ट्रीज ऑफ़ इंडिया' (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)

11-18
01:15:58

एपिसोड 22: 'राष्ट्र और नैतिकता − नए भारत से उठते 100 सवाल' − राजीव भार्गव

दिल्ली के रिंग-रोड सड़क पर जब राजीव भार्गव की गाड़ी एक अन्य गाड़ी से टकराते-टकराते बची, तो अपनी गाड़ी से उतरकर उन्होंने दूसरी गाड़ी के ड्राइवर से पूछा, 'क्या आपको मालूम है कि साइड रोड पर चलती गाड़ी को मेन रोड पर आती हुई गाड़ी के लिए रुकना होता है?' दुसरे ड्राइवर ने जवाब दिया, ‘जो गाड़ी जिस रोड पर होती है, उसके लिए वही मेन रोड होता है।' ऐसे ही व्यक्तिगत अनुभव, एवं देश और समाज की खबरें, इतिहास से लिए गए उदाहरण, और गाँधी व नेहरू जैसे हस्तियों के सोच के जरिये से डॉ भार्गव समकालीन भारत के नैतिक स्वास्थ का आकलन करते हैं, अपनी किताब 'राष्ट्र और नैतिकता' में। किताब में, जहाँ-जहाँ डॉ भार्गव को अंधेरा दिखता है, वहाँ से उजियारे की ओर जाने का रास्ता भी दिखाते हैं। (आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं।) फेसबुक पर राजीव भार्गव इंस्टग्राम पर राजीव भार्गव एक्स (ट्विटर) पर राजीव भार्गव  ‘बिटवीन होप एंड डिस्पेयर’ अमेज़न पर 'राष्ट्र और नैतिकता' अमेज़न पर राजीव भार्गव की अन्य पुस्तकें अमेज़न पर एपिसोड 4: जॉर्ज ओरवेल की कालजयी उपन्यास '1984' पर एक चर्चा अभिषेक श्रीवास्तव के साथ  एपिसोड 21: राधा कुमार के साथ एक चर्चा उनकी पुस्तक 'द रिपब्लिक रीलर्न्ट' पर  (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)

10-09
01:18:16

एपिसोड 21: 'द रिपब्लिक रीलर्न्ट − रीन्यूइंग इंडियन डेमोक्रेसी − 1947 टू 2024' − राधा कुमार

अपनी किताब में राधा कुमार कहती हैं कि भारत में पहले गणराज्य की स्थापना हुई थी १९४७ में, जब देश को आज़ादी मिली। वे ये भी कहती हैं कि २०१९ में − जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दोबारा एन. डी. ए. (राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन) की सरकार सत्ता में आई − तब भारत में 'सेकंड रिपब्लिक', यानी दूसरे गणराज्य की स्थापाना हो गई। वो इसलिए, क्योंकि इस प्रशासन के लक्ष्य, और उन लक्ष्यों को हासिल करने के तरीकों, का भारत के संविधान से वास्ता कम था। ये एक गंभीर आरोप है। राधा कुमार क्यों और किन तथ्यों के आधार पर ऐसा मानती हैं, ये जानने के लिए आप पढ़ सकते हैं उनकी पुस्तक 'द रिपब्लिक रीलर्न्ट − रीन्यूइंग इंडियन डेमोक्रेसी − 1947 टू 2024'। (आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं।) एक्स (ट्विटर) पर राधा कुमार   'द रिपब्लिक रीलर्न्ट’ अमेज़न पर राधा कुमार की अन्य पुस्तकें अमेज़न पर (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)

09-16
01:18:49

एपिसोड 20: 'द पावर प्लांट − फ़्रैगमेन्ट्स इन टाइम' − रवि अगरवाल

दिल्ली में महात्मा गाँधी की समाधी 'राजघाट' के निकट यमुना नदी के तट से सटा एक पावर प्लांट हुआ करता था जिसका उद्घटान पंडित जवाहरलाल नेहरू ने १९६३ में किया था। पचास साल से ऊपर देश की राजधानी को बिजली प्रदान करने के बाद इस बिजली घर को बंद कर दिया गया। कारण था, शहर में प्रदुषण का प्रकोप, जिसमे योगदान था इसके चिमनियों से निकलते कोयले के धुंए का। रवि अगरवाल तेरह साल की उम्र में ही, हाथ में कैमरा लिए, इस बिजली घर के इर्द-गिर्द घूम चुके थे। इसके बंद होने के कुछ समय बाद रवि − अब एक जानेमाने पर्यावरण कार्यकर्ता और कलाकार की हैसियत से − कैमरों से लैस, इस वीरान कारखाने के अंदर अकेले गए और वहाँ चार दिनों के अंदर कई तस्वीरें उतारी। उन तस्वीरों का संकलन है, उनकी 'फोटो बुक', यानी तस्वीरों की किताब, 'द पावर प्लांट − फ़्रैगमेन्ट्स इन टाइम'। आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं। 1.  फेसबुक पर रवि अगरवाल 2. इंस्टग्राम पर रवि अगरवाल 3. रवि अगरवाल का वेबसाइट 4. 'द पावर प्लांट -- फ़्रैगमेन्ट्स इन टाइम', रवि अगरवाल की वेबसाइट पर 5. रवि द्वारा लिखी गई अन्य पुस्तकें व लेख रवि अगरवाल की वेबसाइट पर 6. 'दिल्ली रिज' के बचाव पर रवि का लेख 7.  गांधीजी और 'क्लाइमेट चेंज' पर रवि का लेख (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)

08-02
50:01

एपिसोड 19: 'द कलर्स ऑफ़ नैशनलिज़्म' − नंदिता हक्सर

नंदिता हक्सर का जन्म नए-नए आज़ाद भारत के एक कुलीन परिवार में हुआ। उनके पिता आला सरकारी अफसर थे और नेहरू परिवार से उनके करीबी रिश्ते थे। मगर, कम उम्र से ही सत्ता से दूरी रखते हुए, नंदिता ने वक़ालत की पढ़ाई की और एक मानवाधिकार कार्यकर्ता बन गईं। आज़ादी के सात साल बाद जन्मी नंदिता के सपनों का भारत, सदैव पंडित नेहरू के समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष आदर्शों का भारत रहा है। इन आदर्शों से प्रेरित हो, वे मानवाधिकार-हनन से पीड़ित भारतियों को न्याय दिलाने के काम में जुट गईं − चाहे वो हिंसा के साये में रहते भयभीत अल्पसंख्यक हों, सैनिक-शासन जैसे हालात के चपेट में आए पूर्वोत्तर के नागा निवासी हों, या गरीबी और भुखमरी से ग्रस्त आदिवासी हों। नंदिता हक्सर के इस लम्बे सफर की दास्ताँ है उनका संस्मरण, 'द कलर्स ऑफ़ नैशनलिज़्म' यानी 'राष्ट्रवाद के रंग। (आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं।) 1. 'द कलर्स ऑफ़ नैशनलिज़्म' अमेज़न पर   2. 'द फ्लेवर्स ऑफ़ नैशनलिज़्म' अमेज़न पर   3. 'फ्रेम्ड ऐज़ अ टेररिस्ट' अमेज़न पर 4. नंदिता हक्सर की अन्य पुस्तकें अमेज़न पर (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)

07-11
01:05:57

एपिसोड 18: 'कास्ट प्राइड − बैटल्स फॉर इक्वालिटी इन हिन्दू इंडिया' − मनोज मित्ता

११ जून १९९७ को मुंबई के घाटकोपर इलाके के रमाबाई नगर नाम के बस्ती में, पुलिस ने १० दलितों की गोली मर के हत्या कर दी। बस्ती में बाबासाहेब आंबेडकर की मूर्ति को किसी ने चप्पल की माला पहना दी थी और वहाँ के दलित निवासी इसके विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। वहीं, १५ जून २००२ को, हरयाणा में दुलीना नाम के कस्बे में 'गोरक्षक' पाँच घायल दलितों को पुलिस चौकी में लाते हैं और गोहत्या के 'जुर्म' में उनको पीट-पीट कर मार देते हैं। पुलिस-कर्मी तमाशा देखते रहते हैं। क्यों था पुलिस का रवैया इतना फ़र्क, इन दोनो वाकयों में? जवाब आपको मिलेगा, मनोज मित्ता की किताब 'कास्ट प्राइड − बैटल्स फॉर इक्वालिटी इन हिन्दू इंडिया' में। पिछले २०० सालों में, हिंदुस्तान में जाति-प्रथा और समाज में उसके प्रभाव को ले के बने क़ानूनों की कहानी है 'कास्ट प्राइड'। (आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं।) 1.      'कास्ट प्राइड' अमेज़न पर 2.      मनोज मित्ता की अन्य पुस्तकें अमेज़न पर (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)

06-09
02:16:44

एपिसोड 17: 'बीइंग हिन्दू, बीइंग इंडियन' − वन्या वैदेही भार्गव

अंग्रेजी हुकूमत के पुलिस के डंडों के निर्मम प्रहार ने लाला लाजपत राय की जान ले ली। इसका बदला लेने के लिए भगत सिंह और राजगुरु ने अंग्रेजी पुलिस अफसर जे. पी. सॉन्डर्स की गोली मार के हत्या कर दी, और फांसी पर चढ़ के देश के लिए शहीद हो गए। आज, लाला लाजपत राय की स्मृति शायद भगत सिंह के स्मृति के साये में रह गयी है। मगर लाजपत राय स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, राज नेता, विचारक, और लेखक थे। वे आज़ाद भारत के निर्माताओं में से एक थे। हिन्दू समाज के सशक्तिकरण की बात करने वाले लाजपत राय, एक कट्टर 'सेक्युलर' यानी धर्मनिरपेक्ष थे। ये बातें बड़ी स्पष्टता से उजागर होती हैं, वन्या वैदेही भार्गव की किताब 'बीइंग हिन्दू, बीइंग इंडियन' में — जो लाजपत राय के उभरते और बदलते सोच, विचारों और सिद्धांतों की जीवनी है। (आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं।) 1. इंस्टाग्राम पर वन्या वैदेही भार्गव   2. एक्स (ट्विटर) पर वन्या वैदेही भार्गव   3. फेसबुक पर वन्या वैदेही भार्गव 4. 'बीइंग हिन्दू, बीइंग इंडियन' अमेज़न पर 5. द कलेक्टेड वर्क्स ऑफ़ लाला लाजपत राय अमेज़न पर (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)

05-10
01:37:53

एपिसोड 16: 'द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ़ जॉर्ज फर्नांडेस' — राहुल रामगुंडम

जॉर्ज फर्नांडेस की छवि है, एक निर्भीक, प्रखर, बेबाक नेता की जिसने अपना राजनितिक सफर आरम्भ किया मात्र १९ वर्ष की उम्र में, समाजवाद के आदर्शों से प्रेरित हो, कामगारों के हक़ की लड़ाई लड़ते हुए। और, साठ वर्ष पश्चात, उस सफर का अंत किया उन हिन्दूवादी राजनितिक ताकतों से पूरी तरह जुड़े हुए, जो भारत के राजनैतिक नक़्शे पर छाये हुए थे। एक अति-साधारण युवा जिसने सत्ता को निर्भीकता से ललकारा और उससे लोहा लिया, और एक वरिष्ठ राजनेता जो कई वर्षों तक स्वयं सत्ताधारी रहा — इन दो चरणों और उनके बीच की कहानी आपको मिलेगी, राहुल रामगुंडम की किताब 'द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ़ जॉर्ज फर्नांडेस' में।  आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं। 1.       ट्विटर पर राहुल रामगुंडम 2.      'द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ़ जॉर्ज फर्नांडेस' अमेज़न पर 3.      राहुल रामगुंडम द्वारा लिखी गईं अन्य पुस्तकें अमेज़न पर 4.      'द मेनी शेड्स ऑफ़ जॉर्ज फर्नांडेस' — 'द सीन एंड द अनसीन' पॉडकास्ट पर एक चर्चा 5.      'फ्रीडम ऐट मिडनाईट' — लेखक लैरी कॉलिंस व डॉमिनिक ला पीयेर — अमेज़न पर 6.      'इज़ पैरिस बर्निंग' — लेखक लैरी कॉलिंस व डॉमिनिक ला पीयेर — अमेज़न पर (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)

04-10
01:32:16

एपिसोड 15: 'द डायरी ऑफ़ गुल मोहम्मद' – हुमरा कुरैशी

चौदह-वर्षीय गुल मुहम्मद अपने माँ-बाप, दादी, और भाई गुलज़ार के साथ स्रीनगर में रहता है। साल २०१६ है, और हालात ठीक नहीं हैं। पिता का शॉल बेचने का काम है, मगर शॉल खरीदने वाले ग्राहक बचे ही नहीं हैं। फिर, गुल मुहम्मद के भाई गुलज़ार की एक आँख में सुरक्षा-कर्मियों के बन्दूक से दागे छर्रे लगते हैं और उस आँख की रौशनी ख़त्म हो जाती है। बिगड़ते हालात और आर्थिक तंगी से परेशान, गुल मुहम्मद के घर वाले उसको दिल्ली के एक मदरसे में भेज देते हैं, जहाँ से शुरू होता है उसके एक शहर से दुसरे कस्बे भटकने का सिलसिला, जिसका कोई अंत नहीं दिखता है। अगस्त २०१६ से सितम्बर २०१७ के बीच घटी अपनी आप-बीती का विवरण गुल मोहम्मद एक डायरी में लिखता जाता है। यही डायरी है, वरिष्ठ लेखक हुमरा कुरैशी का उपन्यास, 'द डायरी ऑफ़ गुल मोहम्मद'।  आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं। 1.  इंस्टाग्राम पर हुमरा क़ुरैशी     2.  'द डायरी ऑफ़ गुल मोहम्मद' अमेज़न पर 3.  हुमरा क़ुरैशी द्वारा लिखी गईं अन्य पुस्तकें अमेज़न पर 4.  'काशीर — बींग अ हिस्ट्री ऑफ़ कश्मीर फ्रॉम द अरलिएस्ट टाइम्स टू आवर ओन' अमेज़न पर (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)

03-14
48:14

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