Discoverप्रशांत सौरभ
प्रशांत सौरभ
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प्रशांत सौरभ

Author: Prashant Saurabh

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मैं तो कलावंत हूं नहीं, शिष्य साधक हूं, जीवन के अनकहे सत्य का साक्षी।
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भारत सिर्फ देश नहीं बल्कि भावनाओं का एक ज्वार है। भारत को केवल एक भूखंड में नहीं परिभाषित किया जा सकता, बल्कि यह तो एक भावना है जो पूरे विश्व के कल्याण की कामना करता है। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' ने कुछ यही भाव लेकर एक अमर कविता लिखी थी 'वृथा मत लो भारत का नाम'। इस कविता के वाचन का मैंने छोटा सा प्रयास किया है। आशा है आपको पसंद आएगा।
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