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शब्द
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लोग दूर चले जाते हैं।
कभी कभी हम कहना बहुत कुछ चाहते है पर किन्हीं कारणों से कह नहीं पाते उन्हीं अनकहे जज़्बातों की कहानी
मंज़िलें अलग हैं तुम्हारी और मेरी भी हो सके तो साथ चल
मंजुषा= छोटी सी पेटी या बक्सा, अमीषा=निष्कपट
हाँ सिर्फ तुम
वो नीली अन्तरदेशी और वो पीला पोस्टकार्ड अब ना तो हम कहीं भेजते हैं ना हमको कहीं से आता नहीं, हमने इन्हें खो दिया है।
पंत जी की पंक्तियाँ, वियोगी होगा पहला कवि, आह से उपजा होगा गान, निकलकर आँखों से चुपचाप,बही होगी कविता अनजान। इन्ही पंक्तियों से प्रेरित होकर प्रेम और वियोग के बारे में एक सोच ।
Audio of letter given on her birthday





