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सुनो कहानी
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Author: डॉ .स्वाति तिवारी
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© डॉ .स्वाति तिवारी
Description
अभिव्यक्ति जीवन की कला है ।लेखन अभिव्यक्ति में इस अलग अलग देशकाल में रचित साहित्यों के समेकित रूप का नाम ही 'विश्व साहित्य' है, माना गया है कि इसी विश्व साहित्य की संकल्पना अनुवाद के बिना संभव नहीं है. मनुष्यता अपने मनोभावों को विभिन्न देशकालों में जिन विभिन्न भाषाओं में व्यक्त करती रही है कहते है अनुवाद उनके बीच संवाद को संभव बनाता है. यह संवादसेतु ही वैश्विकता का आधार है. ओर उन रचनाओं का पाठ उन्हे सर्व सुलभ बना देता है ,हम महासागर से कुछ मोती लाये है -सुनो कहानी पॉडकास्ट के माध्यम से आप तक यह अमूल्य निधि पन्हुचाने के उद्देश्य से --तो आइये सुनते है -- एक कहानी
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उस दिन मेरी ड्यूटी क्रिटिकल केयर वार्ड में थी। यह कोरोना की दूसरी लहर थी, जो भयावह रुख लेती जा रही थी। घर छोड़े मुझे आज दस दिन हो गए थे। पत्नी भी ड्यूटी पर तैनात थी। हालांकि, हम अलग-अलग वार्ड में थे, पर दोनों ही घर नहीं जा सकते थे। घर जाना मतलब अपने ही परिवार को मुसीबत में डालना था। पत्नी के लिए नर्सिंग होस्टल में एक रूम हो गया था, जहाँ वह कुछ देर आराम कर सकती थी। लेकिन, मेरे लिए अभी मेरी कार ही मेरा घर था। वही मेरा बेड, मेरी लाइब्रेरी, मेरा वार्डरोब बनी हुई थी।
आज बुजुर्ग की समस्या अकल्पनीय है. वृद्धावस्था अभिशाप सदृश होती जा रही है. उनका जीवनयापन बहुत ही कठिन होता जा रहा है.मध्यमवर्गीय बुजुर्गों की स्थिति और भी दयनीय है. यहाँ भी समयाभाव. आज के आपाधापी युग में उनकी संताने संघर्ष कर रहीं हैं. अपने को उच्च वर्ग में लाने केलिए. अपने माता-पिता के लिए उनके पास भी समय नहीं है. बस वे आगामी भविष्य के लिए अर्थात वे अपनी संतानों कि परवरिश में ही समय व्यतीत कर रहें हैं.अधिक बिडम्बना है,किसी को कुछ कह नहीं सकते हैं. समाज में अपनी संतानों कि छवि को कम नहीं करना चाहते फलतः घुट-घुट कर जी रहे हैं.
कहानी- दुख
मूल लेखक -अंतोन चेखव
कहानी पाठ -डॉ स्वाति तिवारी
अनुवाद - सुशांत सुप्रिय
लेखक अंतोन चेखव (1860-1904) को रूसी साहित्य में ही नहीं बल्कि विश्व साहित्य में महानतम कहानीकारों में से एक माना जाता है।
अन्तोन पाव्लाविच चेख़व रूसी कथाकार और नाटककार थे। अपने छोटे से साहित्यिक जीवन में उन्होंने रूसी भाषा को चार कालजयी नाटक दिए जबकि उनकी कहानियाँ विश्व के समीक्षकों और आलोचकों में बहुत सम्मान के साथ सराही जाती हैं। चेखव अपने साहित्यिक जीवन के दिनों में ज़्यादातर चिकित्सक के व्यवसाय में लगे रही
चेखव के विशद साहित्य में से कुछ कहानियों का चयन करना सरल नहीं। उनकी प्रत्येक कहानी विशिष्ट है। अतः स्वरुचि के आधार पर कहानी चयनित करते हुये पाठ किया हैं
प्रेम को सदैव अपने अंर्तमन में समाहित करने के लिए जरूरी है कि सब कुछ समर्पण भाव
स्वाति तिवारी
अंतर्वैयक्तिक संबंध, दो या अधिक लोगों के बीच का संबंध है जो अस्थायी या स्थिर स्वरूप का हो सकता है। किसी भी रिश्ते को सामान्यतः दो व्यक्तियों के बीच के संबंध के तौर पर देखा जाता है, जैसे कि रूमानी या घनिष्ठ संबंध.लिव इन रिलेशनशिप आज के समय में तेती से बढ़ रहा है। एक समय था जब ऐसे संबंधों पर लोग खुलकर बात करना पसंद नहीं करते थे। लेकिन आज लोग खुलकर लिव इन रिलेशन शिप में रहते हैं और इस बात को जगजाहिर भी करते हैं। लिव इन रिलेशनशिप के जहां कुछ फायदे हैं वही इसके कुछ नुकसान भी हैं। यानी जैसे हर सिक्के के नकारात्मक और सकारात्मक पहलू होते हैं, इस रिश्तें में भी कुछ ऐसा ही है। कहानी इस विषय पर केंद्रित है।
कहानियाँ रिश्तों की
"तो क्या कहूँ?" मेरे अंदर शब्द लिसलिसे से हो आए थे, कुछ सूझ ही नहीं रहा था उसके तर्क को नकारने के लिए ऊपर से गुस्सा आ रहा था मन कर रहा था एक जोरदार थप्पड़ जड़ दूँ उसके गाल पर।
"मेम आप तो सिंगमंड फ्रायड को पढ़ती रही है न, आपने ही एक बार फ्रायड को पढाते हुए समझाया था ना? आप तो मनोविज्ञान की टीचर हैं। मेम मुझे लगता है फ्रायड ठीक ही कहते रहे हैं यह विकृति (परवरसन) नहीं यह उलटाव (इनवरसन) है वे इसे बीमारी विमारी नहीं मानते?"
"फ्रायड सिर्फ पढने ने और समझने के मनोवैज्ञानिक है पगली, जीवन में उतारने के नहीं। तुम समझ क्यों नहीं रही मेरा मतलब?"
रवीन्द्रनाथ ठाकुर (7 मई 1861–7 अगस्त 1941), जिनको गुरुदेव दे नाम के साथ भी जाना जाता है, प्रसिद्ध बंगाली लेखक, संगीतकार, चित्रकार और विचारक थे। उनकी रचनायों में, उपन्यास: गोरा, घरे बाइरे, चोखेर बाली, नष्टनीड़, योगायोग; कहानी संग्रह: गल्पगुच्छ; संस्मरण: जीवनस्मृति, छेलेबेला, रूस के पत्र; कविता : गीतांजलि, सोनार तरी, भानुसिंह ठाकुरेर पदावली, मानसी, गीतिमाल्य, वलाका; नाटक: रक्तकरवी, विसर्जन, डाकघर, राजा, वाल्मीकि प्रतिभा, अचलायतन, मुक्तधारा, शामिल हैं। वह पहले ग़ैर-यूरोपीय थे जिनको 1913 में साहित्य के लिए नोबल पुरस्कार दिया गया। वे एकमात्र कवि हैं जिनकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं - भारत का राष्ट्र-गान 'जन गण मन' और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान 'आमार सोनार बाँग्ला' उनकी ही रचनाएँ हैं।
कहानी का पाठ स्वर -डॉ स्वाति तिवारी ,
17 फरवरी 1960 को धार म.प्र. में जन्म। मुख्य कृतियाँ : कहानी संग्रह : क्या मैंने गुनाह किया, ज़मीन अपनी-अपनी, मुड़ती है यूं जिंदगी, छह जमा तीन, विश्वास टूटा तो टूटा, मैं हारी नही, बैंगनी फूलोंवाला पेड़। सम्मान : भारत की १०० अचीवर्स वूमन ,राष्ट्रपति महामहिम प्रणव मुकर्जी द्वार सम्मानित .गजानंद माधव मुक्तिबोध राष्ट्रीय पुरस्कार ,सुभद्रा कुमारी चोहान प्रादेशिक पुरस्कार , लाडली मिडिया अवार्ड .पंचन गायत्री देवी पाथेय सम्मान ,राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग से नेशनल अवार्ड , पं. रामनारायण शास्त्री कथा पुरस्कार, सावित्रीबाई फुले साहित्य रत्न सम्मान, देवकीनंदन साहित्य सम्मान, शब्द साधिक सम्मान, मालवा भूषण सम्मान। कई देशों की यात्राएं .और कई विश्वविद्यालयों में कहानियों पर शोध कार्य .
"काबुलीवाला" 1892 में रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित एक बंगाली कहानी है. मानवीय संबंधों पर आधारित एक मर्मस्पर्शी कहानी है। इस कहानी में पिता-पुत्री के प्रगाढ़ संबंधों को दर्शाया गया है। इसके अलावा कहानी की एक मुख्य पात्र बच्ची ‘मिनी’ एवं ‘काबुलीवाला’ के बीच आत्मीय संबंधों को भी दर्शाया गया है। मिनी के प्रति उसके पिता का अपार स्नेह है और काबुली वाला के साथ मिनी के आत्मीय संबंधों का गहन चित्रण इस कहानी के माध्यम से किया गया है। काबुलीवाला एक अफगानी व्यक्ति है जो अपने देश अफगानिस्तान से दूर भारत में रोजी-रोटी कमाने के लिए आया है। वह सूखे मेवे बेचने का काम करता है। उसे अपने परिवार से दूर होने का दुख है। उसकी बेटी की आयु भी मिनी की आयु के समान है, इसलिए उसे मिनी से लगाव हो जाता है। वह मिनी में अपनी बेटी की छवि पाने की कोशिश करता है। । इस तरह काबुलीवाला कहानी मानवीय संबंधों के अलग-अलग पहलुओं को उजागर करती है।काबुलीवाला एक पठान है और मिनी एक हिन्दू परिवार से संबंधित है। दोनों के मध्य उत्पन्न स्नेह में धर्म की दीवार का नामोनिशान नहीं है। काबुलीवाला मिनी से ही अपनी पुत्री के स्नेह की पूर्ति करता है.यह कहानी मन के किसी कोने में अपनी गहरी छाप छोड़ देती है
ये कहानी दूसरे विश्व युद्ध के समय की घटना है जब जर्मनी की फौजें यूरोप के बहुत से देशों पर आक्रमण करके स्थानीय लोगों को या तो मार रही थी या बंदी बना रही थी.अर्नेस्ट हेमिंग्वे ने लिखा है कि लेखन के आरंभिक दौर में उन्हें यह सूझा कि कहानी लिखते हुए मुख्य घटना का वर्णन छोड़ देना चाहिए। उसे लिखना नहीं चाहिए। बाद में आलोचकों ने उनकी इस तकनीक हिडेन फैक्ट के नाम से जाना। ।
अर्नेस्ट हेमिंग्वे (1899-1961) अमेरिकन उपन्यासकार तथा कहानीकार थे। 1954 ई० में साहित्य में नोबेल पुरस्कार विजेता।1950 ई० में प्रकाशित 'अक्रॉस द रिवर एंड इन टू द ट्रीज़' में उन्होंने मृत्यु का वर्णन कर अपनी ही मृत्यु की कल्पना की है। यह पुस्तक भी बेस्टसेलर सिद्ध हुई थी। 1954 में उनकी संसार प्रसिद्ध रचना दि ओल्ड मैन एंड द सी (बूढ़ा मछुआरा और समुद्र) प्रकाशित हुई और इसी रचना पर उन्हें नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ।[5] हेमिंग्वे की इस रचना को न केवल उनकी सर्वश्रेष्ठ रचना घोषित किया गया है बल्कि इस रचना में वर्णित बूढ़े मछुआरे की जिजीविषा एवं संघर्ष अपने आप में प्रेरणा के एक प्रतीक का रूप ले चुका है। सामान्य व्यक्ति से लेकर रचनाकारों तक ने इस रचना से प्रेरणा ली है तथा उस रचनात्मक प्रतीक का उपयोग भी किया है
एक मिट्टी के दो रंग - Hindi Translation Of A Harlem Trajedy - O'Henry
अनुवाद -देवेन्द्र बिशनपुरी
कहानी पाठ -डॉ । स्वाती तिवारी
सुनो कहानी पॉडकास्ट खूबसूरत हिंदी कहानियों की एक शृंखला है जो सुप्रसिद्ध कथाकार स्वाती तिवारी द्वारा बयान की गयी है,
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लड़की : अरे ये क्या कर रहे हो ?लड़का: दिख नहीं रहा बुद्धू पौधा लगा रहा हूँ !लड़की : वो तो दिख ही रहा है पर अचानक क्या सूझी ?लड़का : आज तुम्हारा जन्मदिन है ना.. तो मैंने तय किया है कि तुम्हारे हर जन्मदिन पर एक पौधा लगाउँगा और देखना एक दिन ये सारे पौधे विशाल पेड़ बनेंगे और बग़ीचे का हर कोना तुम्हारे अहसास से भरा होगा मेरे दिल की तरह,और जब हमारे बच्चे और बच्चों के बच्चे होंगे ना वो सब भी तुम्हारे नाम की ऑक्सिजन लेंगे”।लड़की ने ज़ोर का ठहाका लगाया और बोली “तुम सच में पागल हो गए हो और बता देती हूँ जनाब आपका ये पैधे लगाने वाला आइडीया ज़्यादा से ज़्यादा तीन साल तक चलेगा फिर भूल जाओगे तुम जैसे हर चीज़ भूलते हो”।लड़के के चेहरे का भाव बदल गया।”ऐसे मत कहो ना यार,और जब मैं कोई चीज़ दिल से करता हूँ ना तो उसे कभी नही भूलता “।लड़की बोली “तो फिर वादा करो तुम ज़िंदगी भर मेरे हर जन्मदिन पर यहाँ पौधे लगाओगे चाहे हम साथ हो या ना हो..लड़का बोला ‘मैं वादा करता हूँ.. मगर आगे से कभी तुम ये साथ ना रहने की बात नहीं करोगी”।लड़की ने प्यार से उसे ज़ोर से गले लगा लिया।ओह मेरे डब्बू….पूरे बीस साल हो गए…न जाने वो वक़्त की कौनसी अभागिन घड़ी थी जिसने दोनो को जुदा कर दिया था आज लड़की फिर उसी शहर में थी.. वहाँ का हर कोना,हर गली,हर जगह,लड़के की याद दिला रही थी.. लड़की की नज़रें लड़के की एक झलक के लिए तरस रही थी मगर वो कहीं नहीं दिखा.. “बस वक्त की ऐसी मार पड़ी और उन्हें बिछड़ना पड़ा और जाते हुए आख़री बार उसी ने तो उससे वादा लिया था के कभी पलट के नहीं आओगे मेरी ज़िंदगी में”।तेज़ बारिश हो रही थी भीगते हुए चलते-चलते उसके क़दम ख़ुद ही उस बग़ीचे की तरफ़ बढ़ने लगे, वहाँ पहुँचते ही उसका गला भर आया।यही वह जगह थी जहाँ उसने लड़के के साथ अपने जीवन के सबसे बेहतरीन और सुकून भरे पल गुज़ारे थे.. अंदर जा कर देखा तो बग़ीचा बेहद ख़ूबसूरत और हरा-भरा दिख रहा था और तभी अचानक उसकी नज़र लड़के पर पड़ी जो वहाँ बैठा पौधा लगा रहा था।उसे देखते ही वो ख़ुद को रोक नहीं पायी और दौड़ के उसे गले लगा लिय।फूट फूट के रोने लगी.. लड़का कुछ नही बोला बस मौन खड़ा रहा.. तभी एक लड़की आयी और बोली “सॉरी आंटी मेरे पापा कई साल पहले अपनी याददाश्त खो चुके हैं.. ही इज़ अल्ज़ाइमर पेशंट” कई सालों से वो जुलाई की हर सात तारीख़ को बस एक बार यहाँ आते हैं और एक पौधा लगा जाते हैं” जब भी हम इसका कारण पूछते है तो इनका एक ही जवाब होता है- “उसने कहा था” आइये हम भी आने वाले वंश के लिए ऑक्सीजन का प्रबंध करे- ओर घर परिवार में हर शुभ मौके पर एक पौधा अवश्य लगाए- डॉ दर्शन बांगिया
खोया हुआ बच्चा: मुल्कराज आनंद की कहानी
'द लॉस्ट चाइल्ड' मुल्क राज आनंद की मशहूर कहानियों में से एक है। यह कहानी एक बच्चे के मन की कहानी को दर्शाती है। यह समझती है कि बच्चे को उसके माता-पिता से बहुत प्यार होता है। इस कहानी में एक बच्चे को शामिल किया गया है।
छोटे बच्चे अपने आस-पास की छोटी-छोटी चीज़ों से आकर्षित हो जाते हैं और अक्सर अपने माता-पिता पर उन चीज़ों को खरीदने के लिए दबाव डालते हैं। हालाँकि, उनकी असली ख़ुशी अपने माता-पिता के साथ रहने में है। "द लॉस्ट चाइल्ड" एक ऐसे लड़के की कहानी है जिसे अपने माता-पिता की अनुपस्थिति में कोई भी चीज लुभा नहीं सकती।
कहानी पाठ -डॉ.स्वाति तिवारी
आपने ‘द लास्ट लीफ’ नामक कहानी को जरूर कभी न कभी पढ़ा या सुना होगा। इस विश्व विख्यात कहानी के कहानीकार है ओ हेनरी।
इस मशहूर कहानीकार का मूल नाम विलियम सिडनी पोर्टर है जिनका जन्म 11 सितंबर 1862 में अमेरिका के ग्रींसबोरो नॉर्थ कैरोलिना में हुआ था।वे आमतौर पर अमेरिकी लघु कथा लेखक के रूप में जाने जाते हैं।
"द लास्ट लीफ" (अंग्रेज़ी: The Last Leaf, हिन्दी: अन्तिम पत्ता) ओ हेनरी द्वारा रचित एक लघु कथा है। ग्रीनविच गाँव में में रहने वाले पात्रों और विषयों के बारे में इसमें बताया जाता है जैसा ओ हेनरी की कृतियों में पाया जाता है।
ये एक बहुत ही फेमस स्टोरी हैं। बहुत सारे स्कूल्स और कॉलेजेस में आज भी ये पढ़ाई जाती है। इसे 1907 में लिखा गया था और पब्लिश भी 1907 में ही किया गया था।
"द लास्ट लीफ" एक गरीब युवा महिला जॉन्सी की कहानी है जो निमोनिया के कारण गंभीर रूप से बीमार है। उसका मानना है कि जब उसकी खिड़की के बाहर दीवार पर लगी आइवी लता की सारी पत्तियाँ गिर जाएँगी, तो वह भी मर जाएगी। हालाँकि, उसका पड़ोसी, बेहरमन, एक कलाकार, दीवार पर एक पत्ती की पेंटिंग बनाकर उसे धोखा देता है। जॉन्सी ठीक हो गया। हालाँकि, पत्ते पर पेंटिंग करते समय बेहरमैन को निमोनिया हो गया। परिणामस्वरूप, उसकी मृत्यु हो जाती है।
Episod-4
कहानी-पुर्जा
भाषा : स्वीडिश.
लेखक- ऑगस्ट स्ट्रिंडबर्ग
अनुवाद - विजय शर्म
कहानी पाठ- डॉ स्वाति तिवारी
लेखक- ऑगस्ट स्ट्रिंडबर्ग एक स्वीडिश नाटककार, उपन्यासकार, कवि, निबंधकार और चित्रकार। स्वीडन में, स्ट्रिंडबर्ग को एक निबंधकार, चित्रकार, कवि और विशेष रूप से एक उपन्यासकार और नाटककार के रूप में जाना जाता है, लेकिन अन्य देशों में उन्हें ज्यादातर नाटककार के रूप में जाना जाता है।
मुख्य कृतियाँ
नाटक : मास्टर ओलोफ, द फादर (पिता), मिस जूलिया, क्रेडिटर्स (जिनका पैसा बकाया है) द डांस ऑफ डेथ (मृत्यु का नाच) आदि 60 नाटक
उपन्यास : अलोन (एकाकी), द रेड रूम (लाल कमरा), बाइ द ओपेन सी (खुले सागर के किनारे) आदि 30 से ज्यादा उपन्यास
कहानी संग्रह : गेटिंग मैरिड (शादी करना), यूटोपियाज इन रियलिटी (वास्तविकताओं में स्वप्नलोक)
आत्मकथा : द सन ऑफ अ सर्वेंट (नौकर का बेटा)
निबंध : ऑन साइकिक मर्डर (मानसिक मृत्यु के बारे में)
कहानी पाठ- डॉ स्वाति तिवारी
अनुवाद - सुशांत सुप्रिय
अंतोन चेखव (1860-1904) को रूसी साहित्य में ही नहीं बल्कि विश्व साहित्य में महानतम कहानीकारों में से एक माना जाता है।
अन्तोन पाव्लाविच चेख़व रूसी कथाकार और नाटककार थे। अपने छोटे से साहित्यिक जीवन में उन्होंने रूसी भाषा को चार कालजयी नाटक दिए जबकि उनकी कहानियाँ विश्व के समीक्षकों और आलोचकों में बहुत सम्मान के साथ सराही जाती हैं।चेखव के विशद साहित्य में से कुछ कहानियों का चयन करना सरल नहीं। उनकी प्रत्येक कहानी विशिष्ट है। अतः स्वरुचि के आधार पर एक कहानी चयनित कर यहाँ पाठ किया हैं
वह लड़का : मैक्सिम गोर्की (The Little Boy)
रूसी भाषा की कहानी
कहानी पाठ -डॉ स्वाति तिवारी
रूसी साहित्य के सबसे चमकते सितारे मैक्सिम गोर्की का अपने देश ही नहीं, विश्व में भी ऊंचा दर्ज़ा है. वे रूस के निझ्नी नोवगरद शहर में जन्मे थे. पिता की मौत के बाद उनका बचपन मुफ़लिसी और रिश्तेदारों के तंज़ खाते हुए गुज़रा में गुज़रा. गोर्की ने चलते-फिरते ज्ञान हासिल किया और पैदल घूम-घूमकर समाज और दुनियादारी की समझ हासिल की.असमर्थ युग के समर्थ लेखक के रूप में मैक्सिम गोर्की को जितना सम्मान, कीर्ति और प्रसिद्धि मिली, उतनी शायद ही किसी अन्य लेखक को अपने जीवन में मिली होगी। वे क्रांतिदृष्टा और युगदृष्टा साहित्यकार थे। जन्म के समय अपनी पहली चीख़ के बारे में स्वयं गोर्की ने लिखा है- 'मुझे पूरा यकीन है कि वह घृणा और विरोध की चीख़ रही होगी।उनकी रचनाओं में व्यक्त यथार्थवादी संदेश केवल रूस तक ही सीमित नहीं रहे। उनके सृजनकाल में ही उनकी कृतियाँ विश्वभर में लोकप्रिय होना प्रारंभ हो गईं।



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