अपना अपना भाग्य : जैनेन्द्र कुमार
Update: 2021-02-16
Description
प्रस्तुत कहानी का उद्देश्य आज के समाज में व्याप्त स्वार्थपरता, संवेदनशून्यता और आर्थिक विषमता को उजागर करना है। आज के समाज में परोपकारिता का अभाव हो गया है। निर्धन की सहायता करने की अपेक्षा सब उसे अपना-अपना भाग्य कहकर मुक्ति पा लेते हैं। हर कोई अपनी सामजिक जिम्मेदारी से बचना चाहता है। किसी को अन्य के दुःख से कुछ लेना-देना नहीं होता।
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