DiscoverStorybox with Jamshed Qamar Siddiquiकभी मैं, कभी तुम | स्टोरीबॉक्स विद जमशेद
कभी मैं, कभी तुम | स्टोरीबॉक्स विद जमशेद

कभी मैं, कभी तुम | स्टोरीबॉक्स विद जमशेद

Update: 2024-11-10
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Description

कॉफी का रंग घुलने लगा था। बावर्ची खाने में आंखों के कोरों पर ग़म को पोंछते हुए ज़ैनब चाय की पत्ती का डिब्बा ढूंढने लगी। दूसरी शादी का पहला दिन था वो। सब कुछ कितना अजनबी लग रहा था वहां। वो दीवारें, वो शेल्फ़, वो बर्तन... जैसे वो किसी अंजानी सड़क से गुज़र रही हो और तमाम अजनबी आंखें घूर रही हों। एक मां के तौर पर भी उसे खुद से शिकवा था, इस रिश्ते के लिए उसने अपने बच्चे को छोड़ दिया था - सुनिए पूरी कहानी 'कभी मैं, कभी तुम' जमशेद कमर सिद्दीक़ी से
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