DiscoverMaya's Magicचाय में पड़ा मुआ मच्छर
चाय में पड़ा मुआ मच्छर

चाय में पड़ा मुआ मच्छर

Update: 2021-08-21
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Description

F: कल चाय की प्याली में फ़िर एक मुआ मच्छर आकर कुर्बान हो गया 

मेरे होठों पर मुस्कान सी खेल उठी 

नहीं मुझे चाय में पड़ा शहीद मच्छर देखना कुछ ख़ास पसंद नहीं 

पसंद है हर वो पल जो तुम्हारे साथ जिया है 


M : माज़ी की तरल सतह पर जब मन तैरता है

ख़ुद ब ख़ुद एक मुस्कान सी कूद पड़ती है लबों पर आज भी 

मुस्कानों का एक सिरा आज तक तुमसे जो जुड़ा है 

आईना झूठ नहीं कहता 

आज भी मुझे आईने में मैं नहीं, तुम दिखती हो 

ये जो तमाम बिंदियां तुमने इस आईने पर चिपका छोड़ी थीं 

आज भी चिपकी हैं जस की तस

इनके आस पास अपना चेहरा एडजस्ट करके देखता हूँ 

यूँ जैसे नसीब भी घुल मिल गए हैं तमाम उम्र के लिए 

तुम्हारा न होना भी तुम्हारे होने जितना ही हसीन है 


F: मैंने भी तो तुम्हारी हर निशानी 

हाथ की मुट्ठी में आज तक भींच रखी है 

तुम्हारी लिखाई मेरे दिल पर, ज़हन पर, डायरी के कवर पर, खिड़की के पल्ले पर, किचन में रखे flower pot पर 

मेरी जीन्स पर, दुपट्टे पर

कहाँ कहाँ तो तुमने लिख छोड़े हैं नाम, दस्तख़त, ज़ज्बात 

अहसासात


M: तुम्हें याद है जब हम पहली बार मिले थे 

तुम मेरी मौजूदगी से अंजान 

बतिया रही थी अपने दोस्तों से 

ठहाके लगा रही थी

उसी खनक पर तो दिल हार दिया था मैने 

तुम्हारा खिलखिलाना जैसे 

खुला खुला, धुला धुला,

बहते पानियों सा 



F: तुम्हें बता दिए दूँ आज 

कि मुझे खूब पता था कि कनखियों से तुम मुझे किस तरह देख रहे थे 

अंजान होने का नाटक भर कर रही थी मैं 

भीतर ही भीतर सिहर रही थी मैं 

कहते हैं लम्हा ग़र इतना ख़ूबसूरत हो तो नज़र लग जाती है 

उस लम्हे की मन ही मन नजर उतारी थी मैने 


M : काश तुमने कहा होता उस रोज़ 

उतना समय न लगा होता

कुछ समय और मिला होता


F: काश तुमने बिन कहे ही समझ लिया होता

कोई शिकवा न रहा होता

कोई गिला न होता


M: वो जो तुम मर मिटी थी 'इजाज़त' के इन्दर पर 

माया की सी शरारतें तुम्हारी मेल जो खाती थी किरदार से 

मैं मन ही मन जल उठा था कि शायद मुझसे ज्यादा उस किरदार से प्यार था

और डर भी गया था कि कहीं माया की तरह तुम भी… 


F: तुमने कभी बताया होता

तो मैने शायद ठीक से जताया होता


M: एक बार तो कहती 

यूँ रूठ जाने का भी क्या था


F: तुमसे कभी रूठने का दिल न चाहा सच 

रूठी तो ख़ुद से थी 

ख़ुद ही को मना न पायी 

बहुत बार हूक उठी तुम्हारे नाम की 

चिंगारियां उठी कितनी ही मर्तबा अरमानों की राख तले 

मैं किसी चिंगारी को फ़िर सुलगा न पाई 


M: एक बार, बस एक बार, किसी बारिश में भीगती चली आओ 

कुछ न कहो 

कुछ न कहने को कहो 

बालों की चांदी में सब सबब छुपा रखो 

बस एक चाय gas के चूल्हे पर चढाओ

अदरक से खौल जाएँ हम तुम भी

महक जाएं उसी इश्क़ वाली खुशबु में 

और हाँ तुम्हारी पसंदीदा नेचर थीम वाले Coasters रखें हैं किचन स्लैब पर, 

चाय ढक कर लाना

फिर एक मुआ मच्छर कुर्बान न हो जाए

नहीं, मुझे चाय में पड़ा शहीद मच्छर देखना कुछ ख़ास पसंद नहीं 

पसंद है हर वो पल जो तुम्हारे साथ जिया है 

©माया
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चाय में पड़ा मुआ मच्छर

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Maya Khandelwal