Discoverपंचतंत्र की कहानियां Panchatantra ki Kahaniyanब्राह्मणी और काले तिल | Brahmini and black sesame
ब्राह्मणी और काले तिल | Brahmini and black sesame

ब्राह्मणी और काले तिल | Brahmini and black sesame

Update: 2022-11-10
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Description

नाकस्माच्छाण्डिली मातर्विक्रीणाति तिलैस्तिलान्।


लुञ्चितानितरैर्येन हेतुरत्र भविष्यति॥


 


अर्थात् यदि शाण्डली अपने धुले हुए तिल देकर बदले में काले तिल लेना चाहती है, तो उसके पीछे अवश्य ही कोई कारण होना चाहिए।


 


एक नगर में एक ब्राह्मण रहता था। एक दिन प्रातःकाल ब्राह्मण ने अपनी पत्नी से कहा आज दक्षिणायन संक्रान्ति है, आज दान करने का बहुत अच्छा फल मिलता है मैं इसी आशा से जा रहा हूँ। तुम किसी एक ब्राह्मण को भोजन करा देना। पति की यह बात सुनकर ब्राह्मणी बोली, “क्या तुम्हें यह सब कहते शर्म नहीं आती? इस ग़रीब घर में रखा ही क्या है, जो किसी को भोजन कराया जाए? ना ही हमारे पास पहनने को कोई अच्छे कपड़े हैं, ना कोई सोना- चाँदी। हम भला क्या ही किसी को कुछ दान देंगे!” 





पत्नी के कठोर वचन सुनकर ब्राह्मण ने कहा, “तुम्हारा यह सब कहना उचित नहीं है। धन तो आज तक किसी को भी नहीं मिला। हमारे पास जितना है उसमें से थोड़ाकुछ किसी जरूरतमन्दको देना ही सच्चा दान है।” 


 


पति के इस प्रकार समझाने-बुझाने पर ब्राह्मणी बोली, “ठीक है। घर में थोड़े-से तिल रखे हैं, मैं उनके छिलके उतार लेती हूँ उनसे ही किसी ब्राह्मण को भोजन करा दूँगी।”


 


पत्नी से आश्वासन मिलते ही ब्राह्मण दूसरे गाँव दान लेने चला गया। इधर ब्राह्मणी ने तिलों को कूटा, धोया और सूखने के लिए उन्हें धूप में रख दिया। तभी एक कुत्ते ने धूप में सूख रहे तिलों पर पेशाब कर दिया। ब्राह्मणी सोचने लगी, यह तो कंगाली में आटा गीला वाली बात हो गई। अब किसी को अपने धुले तिल देकर उससे बिना धुले तिल लाने की कोशिश करती हूँ।

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