शिक्षक हौं सिगरै जग को---बाबूजी की संघर्ष के दिनों की कविता।श्री एच एन मिश्र
Update: 2021-03-12
Description
यह कविता योग्य व्यक्तियों को समाज में उचित आजीविका न मिलने और अनैतिक लोगों के आश्रय में पलती व्यवस्था पर एक विचार यात्रा है।
Comments 
In Channel







