DiscoverChant and Sing with Golokians357 - कविता... "हाथ थाम ले बनवारी" मोना गुप्ता जी...कोलकाता
357 - कविता... "हाथ थाम ले बनवारी" मोना गुप्ता जी...कोलकाता

357 - कविता... "हाथ थाम ले बनवारी" मोना गुप्ता जी...कोलकाता

Update: 2022-10-12
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Description

 भावार्थ... 


इस सुंदर कविता की रचना मोना जी ने की है! इस कविता के माध्यम से मोना जी भगवान के प्रति पूर्णता शरणागति के भाव को व्यक्त किया हैं! जब हम नित्य निरंतर सत्संग, साधना,सेवा और सदाचार को अपने जीवन में उतारते हैं तो हमारे हृदय में प्रेमा भक्ति का संचार होता है जिसके फलस्वरूप हम पूर्णता भगवान के ऊपर निर्भर हो जाते हैं! हमारे जीवन में फिर जैसी भी परिस्थिति हो हम हमेशा भगवान की कृपा को अनुभव करते हुए उनका गुणगान करते हैं! यह भक्ति का उच्चतम स्तर है!


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Team Golokexpress