Daastan-e-Jamali Kamali || दास्ताँ -ए -जमाली कमाली।
Update: 2021-07-30
Description
वक्त की बेरुखी सब कुछ नहीं मिटा पाती, बल्कि कुछ पुराने निशान जो इतने गहरे होते है जिनपर वक़्त का भी असर नहीं होता ह। सैकड़ो साल बीतने पर भी वो आज भी मौजूद है, अपने वजूद और अनदेखी रूहो के रूप में। इमारतों का तो हम आँखों से दीदार कर सकते है पर रूहो को महसूस और सिर्फ महसूस कर सकते है।
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