वेद

हिन्दी भाषा की पढ़ाई लिखाई

लोग मिले सारे व्यापारी

निरमोही का चौथा छंद। हिन्दी दिवस 2019 के दिन आइ आइ टी खड़गपुर में प्रस्तुति के लिए लिखा हुआ गीत।

12-13
01:20

गीत गाता रहा

लाइव आडियो से... केवल आडियो।

11-27
04:23

शिक्षक हौं सिगरै जग को---बाबूजी की संघर्ष के दिनों की कविता।श्री एच एन मिश्र

यह कविता योग्य व्यक्तियों को समाज में उचित आजीविका न मिलने और अनैतिक लोगों के आश्रय में पलती व्यवस्था पर एक विचार यात्रा है।

03-12
05:17

स्मृति - श्री राम शर्मा की कहानी

यह रोमांचक कहानी... बचपन... भाइयों के प्रेम... बड़े भाई के रौब... कुआँ और साँप की कथा के साथ... प्रेम और भय के मनोविज्ञान की कथा भी है।

12-14
17:14

किसी खिड़की से कोई झाँकता है!

किसी खिड़की से कोई झाँकता है .. कोई चार तल्ले से डाकता है .. अरे ..sss प्लुत स्वर दूर तक.. ये घंटी बजी .. प्रार्थना की .. बाबूजी के स्वर में वह शक्ति हमें दो दयानिधे .. फिर हम दोहराते हैं । ये आए राय सर..क्यों बालक !! ये आए पी टी सर .. मिसिर के लइका ! हेतना दूबर? खा ले ना का रे बबुआ । ये आर के एस सर .. ..ई लोग तो तैल बेचेगा.. तुम क्या करोगे मिसिर .. अरे मिसिर को बैठने दो ठीक से .. ... ... आगे के बेन्च की ठेला ठेली से ऊबे तीन चार दोस्त .. रिंकू ,वेद,पंकज,अनिल पिछली बेन्च पर दिखायी देते हैं । एस के राय सर .. काहो मिसिर जी पीछे काहें ..।? अनगिन दृश्य .. अनगिन पाठ.. ..हैपी प्रिन्स के लिए चिन्ता रैबिट्स प्रिस्क्रिप्शन पर खुशी। .. ..आह धरती कितना देती है पर विस्मय ..अहा कितना कुछ .. और हेडसर का बदमाशों को लाइन पर लाने का मूलमंत्र .. तुम तो अच्छा लड़का है!! और बुरा लड़का कन्फ्यूज्ड ! सच में ? बरसातों में भींगते आने जाने के दिन राह चलते प्रश्नों और उत्तरों को दुहराने के दिन ... ..... ...और फिर दूर होकर परदेसी बन जाने के दिन। स्वीकार करो हे गुरुकुल हमारा कृतज्ञ नमन । हम उऋण होंगे भी तो कैसे ..? तुम्हारी हर एक स्मृति को नमन! परीक्षाओं, चिन्ताओं ..मित्रवत ईर्ष्याओं को नमन !! हँसी,रुदन, ..आह्लाद ....विस्मय,खेद उल्लास ... सबको .. स्मृति के गलियारे से झाँकते हर चेहरे को नमन!!! नमन डीएवी । .. Kamlesh Kumar Wadhwani Anil Bajaj Ajay Pandey Ajay Pandey Ajay Pandit और..वे सारे... जो... खिड़की से न दिखते हों...लेकिन जिनकी आवाजें सुनाई देती हैं..... रे.... वेद..!..👤

12-09
02:15

अंगरेजी कविता का पाठ

क्लेयर हार्मर की जिप्सी से। दिसंबर 1934

12-03
00:45

गगन के उस पार क्या...

डा. श्याम नारायण पाण्डेय जी की कविता।जौहर" के मंगलाचरण से।

11-08
02:21

रंग थे जो तुम्हारे नयन ले गये

एक गीत जो बरसों पहले लिखा था। अब सिग्नेचर गीत जैसा है।एंकर पोडकॉस्ट पर भी इसे आज डाल दिया।

07-02
06:38

सवेरे का सूरज

किशोर दा की याद में

04-07
01:01

प्रवीण पाठमाला से मृच्छकटिकम्

शूद्रक के नाटक का सार संक्षेप।

02-12
06:01

विष्णु स्तुति. Vishnu stuti

जय जगदीश हरे को अपने स्वर में गाने का जतन यत्न Om jai jagdish hare

09-16
05:20

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