वैतरणी के पार [कहानी ]
Update: 2021-05-20
Description
आज बुजुर्ग की समस्या अकल्पनीय है. वृद्धावस्था अभिशाप सदृश होती जा रही है. उनका जीवनयापन बहुत ही कठिन होता जा रहा है.मध्यमवर्गीय बुजुर्गों की स्थिति और भी दयनीय है. यहाँ भी समयाभाव. आज के आपाधापी युग में उनकी संताने संघर्ष कर रहीं हैं. अपने को उच्च वर्ग में लाने केलिए. अपने माता-पिता के लिए उनके पास भी समय नहीं है. बस वे आगामी भविष्य के लिए अर्थात वे अपनी संतानों कि परवरिश में ही समय व्यतीत कर रहें हैं.अधिक बिडम्बना है,किसी को कुछ कह नहीं सकते हैं. समाज में अपनी संतानों कि छवि को कम नहीं करना चाहते फलतः घुट-घुट कर जी रहे हैं.
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