DiscoverYatraसमर शेष है (Samar Shesh Hai)
समर शेष है (Samar Shesh Hai)

समर शेष है (Samar Shesh Hai)

Update: 2021-04-30
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Description

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी की इस कविता को हम जितनी बार पढ़ते हैं, उतनी बार नया राष्ट्र, नया कलाप सामने होता दीख पड़ता है। समय की व्यथा, राष्ट्र का दुःख, जनता का अपनत्व साफ समझ आता है। हर ओर से ऐसा लगता है जैसे बस यही कविता है जिसने जियाले अपने भीतर सहेजे हुए हैं।
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Ankit Pandey