Banka Baiga - ATIT KE DARPAN SE SWADHINTA SANGRAM
Description
इतिहासकारों की मानें तो गोवा को पुर्तगालियों से मुक्त कराने के लिए 1960 में हुए आंदोलन में जिले से एक जत्था गया था। इसमें सीधी से चंद्रप्रताप तिवारी, बांकेलाल उर्फ बंका बैगा, रामभजन बैगा, नीलकंठ तिवारी तथा रीवा से जमुना प्रसाद शास्त्री व जगदीश चंद्र जोशी गए थे। जब आंदोलन शुरू हुआ और पुर्तगाली गोली चलाने लगे तो आंदोलन के नेतृत्वकर्ताओं ने सभी से जमीन पर लेटने के लिए कहा। सभी लेट गए पर बंका बैगा समझ नहीं पाए। इससे खड़े ही रह गए। उसी दौरान उनके जंघा में गोली के छर्रे लग गए और भाग नहीं पाए। पुर्तगालियों ने उन्हें खूब मारा, जिससे रीढ़ की हड्डी टूट गई थी। बंका बैगा के बाल बड़े थे, इसलिए किसी पुर्तगाली ने कहा कि लगता है साधू है और फिर एक गड्ढेे में कीचड़ में ही छोड़कर चले गए। इसके बाद भारतीय सैनिकों ने उपचार कराया। जब ठीक हो गए तो गोवा से पैदल ही चल दिए। कुछ दिन चलते फिर कहीं मजदूरी करते। फिर चलते। ऐसा करते 4 महीने में घर पहुंचे थे।










