Episode: 2 Safar Ki Shuruaat l सफर की शुरूआत
Description
घोड़ा गाड़ी हार्कर के बैठने को प्रतीक्षा म॑ खड़ी थी, इसलिए वह चुपचाप अपनी जगह...पर जाकर बैठ गया।
उसके बैठते ही सारे मुसाफिर खिसक-खिसक कर दूर हो गये फिर अपनी अजनबी बोली में बातें करने लगे।
हार्कर ने घोड़ा-गाड़ी की खिड़की खोल दी-उस समय तक सामने वाले मैदान में सूरज की रोशनी फैल चुकी थी-लेकिन सूरज अभी पूरी तरह उगा नहीं था-हरियाली को छटा एक छोर से दूसरे छोर तक फैली हुई थी-बड़ा ही मोहक दृश्य था। वह उस दृश्य की रमणीयता में खो गया-उन क्षणों में वह कुछ देर के लिए पिछले दो दिनों की थकान को भूल
घोड़ा-गाड़ी आड़ी-तिरछी पगडंडियों पर हिचकोले खाती हुई बढ़ती जा रही
“क...कब्रिस्तान...!” उसके कानों से एक फुसफुसाता स्वर टकराया। वह चीः
इस शब्द के बाद उसने सबके चेहरों पर डर दिख रहा था।
आंखों से झांकते भय के साये दिखने लगे। उसने खिड़की से बाहर देखा।
सचमुच बग्धी एक कब्रिस्तान से गुजर रही थी।
ऊंची-नीची कब्रें.......
आइए सुनते है सफर की कहानी
आपको episode कैसा लगा जरूर बताएं
Instagram: nishlifequotes