Jo Sindoor Tha Ab Sitara Bana - Aks
Update: 2025-05-14
Description
Listen in to a recitation of the poem "Jo Sindoor Tha Ab Sitara Bana" written by Aks.
Lyrics in Hindi:
जो सिंदूर था, अब सितारा बना,
जो बिखरा था कल, वो सहारा बना।
वो माँ की दुआ थी कि बेटे का फ़र्ज़,
जो चुप था कभी, अब इशारा बना।
जो कांपते लफ़्ज़ों में छुपती थी आग,
वही जख़्म अब इक शरारा बना।
जिसे ख़त में बस "मैं ठीक हूँ" लिखा,
वो जुमला ही जैसे दोबारा बना।
कभी जूते, कभी रेत में मिले नाम,
हर गुमशुदा अब नज़ारा बना।
वो बच्चा जो सीमा पे लहरा गया,
उसी का जुनूँ अब किनारा बना।
"अक्स" ने जो ख़ामोशी में कह दिया,
वो लफ़्ज़ हर दिल का नारा बना।
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