ऊर्जा का स्त्रोत बनना चाहते हैं तो ये उपाय आजमाकर देखिए
( Power of Positivity series )
Update: 2021-09-01
Description
ऊर्जा का स्त्रोत बनना चाहते हैं तो ये उपाय आजमाकर देखिए
आपके इर्द-गिर्द अगर कोई लगातार नकारात्मक बातें कर रहा है, ऐसे में पॉजिटिव बने रहना मुश्किल हो जाता है। दूसरों को भी नकारात्मकता से भर देने वाले इंसान के साथ कोई वक्त नहीं बिताना चाहता आप कैसा इंसान बनना चाहते हैं? दूसरों को ऊर्जा से भरने वाले या अपनी बातों से उनकी ऊर्जा खत्म करने वाले ऊर्जा का संचार करने वाले व्यक्ति बनना चाहते हैं, तो अपने अंदर अतिरिक्त रूप से सकारात्मक नजरिया विकसित करना होगा। इसके लिए चंद उपाय आजमाने होंगे।
1. अपने दिमाग में न्यूरॉन्स को प्रभावित करके तत्काल सकारात्मक हो जाना मुमकिन नहीं है। 'आउटस्मार्ट योर स्मार्टफोन' किताब की लेखिका डाव्ल्स विभिन्न अध्ययनों व साक्षात्कारों के आधार पर कहती हैं कि सकारात्मकता समय मांगती है, लेकिन इच्छाशक्ति व निरंतरता से यह आसान है। दिमाग को सकारात्मक सूचनाएं देते रहिए, सकारात्मक शब्दावली प्रयोग करिए। जब एटीट्यूड पॉजिटिव होगा, तो विचार, स्मृतियां व भावनाएं भी उसी दिशा में काम करने लगेंगी।
2. सकारात्मकता के लिए जद्दोजहद करने वाले लोग किसी भी हालात, व्यक्ति या वस्तु
में नकारात्मकता खोज ही लेते हैं। अगली बार अगर आप ऐसे किसी भी हालात में फंसें तो खुद से चंद सवाल पूछें कि इस परिस्थिति में कुछ अवसर है? इससे क्या कुछ सीखा जा सकता है? इस तरह आप अपना ध्यान बांटकर ऊर्जा बचा सकते हैं।
3. अगर आप अपने काम में विनम्रता रखेंगे, तो ये व्यक्तित्व में भी झलकेगी। विनम्रता साथ चंद प्रशंसा के लफ्ज अपनों को कहते रहें। ये आपकी परवाह दर्शाते हैं।
4, पॉजिटिव एटीट्यूड, सकारात्मक सोचने और काम करने से कहीं ज्यादा है। सही मायनों में सकारात्मकता मतलब जोवन का आनंद लेना है। जिंदगी में हर क्षण का लुत्फ उठाते रहिए। इस तरह आप दूसरों के लिए, ऊर्जा पुंज का काम करेंगे।
आपके इर्द-गिर्द अगर कोई लगातार नकारात्मक बातें कर रहा है, ऐसे में पॉजिटिव बने रहना मुश्किल हो जाता है। दूसरों को भी नकारात्मकता से भर देने वाले इंसान के साथ कोई वक्त नहीं बिताना चाहता आप कैसा इंसान बनना चाहते हैं? दूसरों को ऊर्जा से भरने वाले या अपनी बातों से उनकी ऊर्जा खत्म करने वाले ऊर्जा का संचार करने वाले व्यक्ति बनना चाहते हैं, तो अपने अंदर अतिरिक्त रूप से सकारात्मक नजरिया विकसित करना होगा। इसके लिए चंद उपाय आजमाने होंगे।
1. अपने दिमाग में न्यूरॉन्स को प्रभावित करके तत्काल सकारात्मक हो जाना मुमकिन नहीं है। 'आउटस्मार्ट योर स्मार्टफोन' किताब की लेखिका डाव्ल्स विभिन्न अध्ययनों व साक्षात्कारों के आधार पर कहती हैं कि सकारात्मकता समय मांगती है, लेकिन इच्छाशक्ति व निरंतरता से यह आसान है। दिमाग को सकारात्मक सूचनाएं देते रहिए, सकारात्मक शब्दावली प्रयोग करिए। जब एटीट्यूड पॉजिटिव होगा, तो विचार, स्मृतियां व भावनाएं भी उसी दिशा में काम करने लगेंगी।
2. सकारात्मकता के लिए जद्दोजहद करने वाले लोग किसी भी हालात, व्यक्ति या वस्तु
में नकारात्मकता खोज ही लेते हैं। अगली बार अगर आप ऐसे किसी भी हालात में फंसें तो खुद से चंद सवाल पूछें कि इस परिस्थिति में कुछ अवसर है? इससे क्या कुछ सीखा जा सकता है? इस तरह आप अपना ध्यान बांटकर ऊर्जा बचा सकते हैं।
3. अगर आप अपने काम में विनम्रता रखेंगे, तो ये व्यक्तित्व में भी झलकेगी। विनम्रता साथ चंद प्रशंसा के लफ्ज अपनों को कहते रहें। ये आपकी परवाह दर्शाते हैं।
4, पॉजिटिव एटीट्यूड, सकारात्मक सोचने और काम करने से कहीं ज्यादा है। सही मायनों में सकारात्मकता मतलब जोवन का आनंद लेना है। जिंदगी में हर क्षण का लुत्फ उठाते रहिए। इस तरह आप दूसरों के लिए, ऊर्जा पुंज का काम करेंगे।
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