क्या आप New Year's Resolutions बनाते हैं? (आइए जानते हैं इनको एक नए अन्दाज़ में)
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एक बार फिर, साल का वो समय आ गया है जब हममें से कई लोग, अगले साल की to-do list बनाने में busy हो जाते हैं। बड़े बड़े goals से सजी हुई list किसे अच्छी नहीं लगती? लेकिन, उससे भी अच्छी बात तो तब होती है, जब उस list को अच्छे से follow भी किया जाए।मेरा पूछे तो मैं ऐसी कोई लिस्ट नहीं बनाती हूँ। इसका ये ज़रा भी मतलब नहीं है की मुझे बदलाव पसंद नहीं है। अपनी ज़िंदगी में कुछ exciting होता रहे ये हर किसी को पसंद होता है। लेकिन मेरे resolution ना बनाने का कारण ये है की मुझे resolutions से ज़्यादा promises में भरोसा है। resolution ये शब्द मुझे एक pressure का अनुभव कराता है। इसीके opposite, promises या वादे, मुझे feel good factor देते हैं। वो इसलिए क्योंकी जब हम ख़ुद से किए हुए वादों को पूरा कर पाते हैं ना तो उससे ख़ुशी होती है। इसलिए मैं New Year’s Resolutions की जगह ख़ुद से अपनी ज़िंदगी में अच्छी आदतों को अपनाने का वादा करती हूँ। आज इसी के बारे में थोड़ा detail में बात करते हैं।
नई आदतों को अपनी ज़िंदगी में शामिल करना कठिन नहीं है। इसके पहले सबसे पहले ये तय करें की आप किस तरह की ज़िंदगी की चाह रखते है। उसके बाद उसके लिए किन बातों की , कैसे माहौल की ज़रूरत है। अब two minute rule try कीजिए। ये देखिए की क्या आप इस नयी आदत को दो मिनट के लिए आसानी से कर पाते हैं? अगर नहीं तो आपको इस आदत को और छोटे parts में break करना होगा। और आख़िरी स्टेप है की हर दी उस नयी आदत की ओर आप जो भी क़दम उठाए उसके लिए ख़ुश होना सीखिए। उसे नज़र अन्दाज़ ना करें।
तो दोस्तों अब बताइए, क्या आपने कभी New Year Resolutions को इस नज़रिए से देखा है? अगर नहीं तो कोशिश कर के देखिए। एक बार ख़ुद को Challenge कर के देखिए। ख़ुद से अपनी ज़िंदगी में अच्छी आदतों को अपनाने के वादे को पूरा करने के बाद जो ख़ुशी मिलती है ना वो कुछ अलग ही होती है। आप सबको नए साल की बहुत शुभकामनाएँ।
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