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रातों का Humsafar
जानता हूँ गुनाह है तेरे करीब आना, फिर भी इस कदर हद से आगे जाने की चाहत है मेरी ❤

जानता हूँ गुनाह है तेरे करीब आना, फिर भी इस कदर हद से आगे जाने की चाहत है मेरी ❤
Update: 2021-05-25
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Description
A beautiful romantic hindi poetry written & recited by Jagdeep Bhatia
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