दोनों मध्यम स्वर वाले राग – 3 : राग छायानट
Description
जबहिं थाट कल्याण में, दोनों मध्यम पेखि,
प रे वादी-संवादि सों, छायानट को देखि।
दोनों मध्यम स्वर वाले रागों के क्रम में तीसरा राग ‘छायानट’ है। इससे पूर्व की कड़ियों में आपने राग कामोद और केदार का रसास्वादन किया था। यह दोनों राग, कल्याण थाट से सम्बद्ध हैं और इनको रात्रि के पहले प्रहर में ही गाने-बजाने की परम्परा है। आज का राग छायानट भी इसी वर्ग का राग है। राग छायानट, कल्याण थाट के अन्तर्गत माना जाता है। इसमें दोनों मध्यम स्वरों का प्रयोग किया जाता है। यह सम्पूर्ण-सम्पूर्ण जाति का राग होता है, अर्थात आरोह और अवरोह में सात-सात स्वरों का प्रयोग किया जाता है। अवरोह में काभी-कभी राग की सुन्दरता को बढ़ाने के लिए विवादी स्वर के रूप में कोमल निषाद स्वर का प्रयोग कर लिया जाता है। तीव्र मध्यम का अल्प प्रयोग दो पंचम स्वरों के बीच होता है। परन्तु गान्धार और पंचम स्वरों के बीच तीव्र मध्यम स्वर का प्रयोग कभी नहीं किया जाता। राग छायानट में तीव्र मध्यम स्वर को थाट-वाचक स्वर माना गया है। इसी आधार पर यह राग कल्याण थाट के अन्तर्गत माना जाता है। कुछ विद्वान इस राग में तीव्र मध्यम का प्रयोग नहीं करते और इसे बिलावल थाट का राग मानते है। इस राग का वादी स्वर ऋषभ और संवादी स्वर पंचम होता है। कुछ विद्वान इस राग का वादी स्वर पंचम और संवादी स्वर ऋषभ मानते हैं, किन्तु ऐसा मानने पर यह राग उत्तरांग प्रधान हो जाएगा। वास्तव में ऐसा है नहीं, राग में ऋषभ का स्थान इतना महत्त्वपूर्ण है कि इसे वादी स्वर माना जाता है। इस राग के गायन-वादन का समय रात्रि का प्रथम प्रहर माना जाता है।























