DiscoverEk Geet Sau Afsaneराह पे रहते हैं, यादों पे बसर करते हैं...
राह पे रहते हैं, यादों पे बसर करते हैं...

राह पे रहते हैं, यादों पे बसर करते हैं...

Update: 2024-03-05
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Description

राह पे रहते हैं, यादों पे बसर करते हैं...फिल्म : नमकीन


परिकल्पना : सजीव सारथी ।।


आलेख : सुजॉय चटर्जी।।


वाचन : शुभ्रा ठाकुर ।।


प्रस्तुति : संज्ञा टंडन ।।




नमस्कार दोस्तों,


’एक गीत सौ
अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण
है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला।
दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1982 की फ़िल्म ’नमकीन’ का गीत "राह पे रहते हैं, यादों पे बसर करते हैं"। किशोर कुमार की आवाज़, गुलज़ार के बोल, और राहुल देव बर्मन का संगीत।


क्या थी ’नमकीन’ की कहानी और कैसे यह गीत रचा-बसा है इस कहानी में? नवाब वाजिद अली शाह के किस शेर का आधार गुलज़ार ने इस गीत के मुखड़े को बनाया? भारत के स्वाधीनता संग्राम के सन्दर्भ में इस शेर का क्या महत्व रहा है? और किन किन फ़िल्मी गीतकारों ने भी इस शेर का सहारा लिया? पंचम ने अपने किस पुराने गीत की एक धुन का प्रयोग इस गीत के अन्तराल संगीत में किया? इस गीत के साथ इस फ़िल्म के दो अलग अन्त की क्या विडम्बना रही है? ये सब, आज के इस अंक में।


 









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