DiscoverSwami Atmananda PodcastsAtma-Bodha Lesson # 60 :
Atma-Bodha Lesson # 60 :

Atma-Bodha Lesson # 60 :

Update: 2021-10-30
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आत्म-बोध के 60th श्लोक में भी भगवान् शंकराचार्यजी हमें ब्रह्म की महिमा बता रहे हैं। सत्य की खोज सतत और सर्वत्र होती रहती है। प्रत्येक देश और काल में यह मानव की जिज्ञासा का विषय रहा है। सत्य की खोज करते-करते मनुष्य को अनेकानेक महत्वपूर्ण वस्तुएँ मिल जाती हैं जो की बहुत की काम की भी होती हैं, कई बार हम लोग उन महत्वपूर्ण और उपयोगी वस्तुओं को अपना भगवान् मान लेते हैं। आचार्यश्री यहाँ पर ऐसी अनेकानेक वस्तुओं के बारे में कहते हैं की जो भी दृष्ट है, ग्राह्य है, वो भले महत्वपूर्ण हो, लेकिन हमें ध्यान रखना चाहिए की ये सब कार्यरूपा हैं। ये मूल सत्य नहीं हैं। मूल सत्य, अर्थात ब्रह्म वो है जो की अजन्मा है, किसी भी गुण और रंग आदि से युक्त नहीं होता है। समस्त दृष्ट वस्तुओं का निषेध करो और फिर अधीस्तान को जानो। 


इस पाठ के प्रश्न : 



  • १. क्या सत्य वस्तु को जानने के लिए कसौटी उस वस्तु की व्यावहारिक उपयोगिता है ? 

  • २. कोई व्यक्ति अणु की दुनिया से मोहित है, तो कोई गृह-नक्षत्रों से - इन दोनों व्यक्तियों में क्या समानता है ? 

  • ३. कारण भूत तत्व, अगर कार्य के समस्त धर्मों से रहित है तो उसे कैसे जाना जाता है ? 


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Swami Atmananda Saraswati