गीता महायज्ञ - अध्याय-10
Description
श्रीमद भगवद गीता के १०वें अध्याय के ऊपर आज प्रकाश डालते हुए पूज्य स्वामी आत्मानन्द जी ने गीता महायज्ञ के १२वें दिन बताया की अध्याय का नाम विभूति योग है और इसका विषय भगवान् अपनी ऐसी समस्त विभूतियों की गणना से करते है जिससे ईश्वर का सतत भजन करा जा सके। इसमें जाने से पूर्व व्यक्ति का अत्यंत विनम्रता से ये जानना चाहिए की वो ईश्वर के बारे में नहीं जनता है। हमें दुनिया के विविध कार्य देखकर उनके कारण की तरह से विद्यमान कर्ता-धर्ता की सच्चाई में जगना है। धारणाओं एवं अभिमान से युक्त हमारी कभी भी सत-गति नहीं होती है। सबसे पहली विभूति बताते हुए भगवान् कहते हैं की हम ही सब शरीरों में उनकी आत्मा की तरह से विद्यमान है। अनेकानेक विभूतियाँ बताने के बाद वे कहते हैं की इनका कोई अंत नहीं है तुम तो इन सबको हमारे तेज के छोटे से अंश मात्र से धारण किया हुआ जानो।