रूह की शबनम - सर्वजीत Ruh Ki Shabnam- Hindi Poem by Sarvajeet D Chandra
Description
रूह की शबनम - सर्वजीत
मैं बहुत कुछ चाहता था तुझमें
उजालों के संग, तेरा अंधकार
मिठास के साथ, तेरा कड़वापन
रातों के बिखरे हुए तेरे बाल
तेरी ख़लिश, बेबस सी मुस्कान
तेरी सुबह की नींद भरी आवाज़
तेरी आशंकाएँ, टूटे हुए सपने
सोंधी मिट्टी सी तेरी ख़ुशबू
तेरे बदन पर खिलते गुलाब
तेरे कंधे पर खरोंच के निशान
तेरे आँगन के जलते-बुझते दीप
तेरी बाँहों का ज़ोर से चिमटना
काँटों से चुभते, बेचैन नाख़ून
पहाड़ी फूलों से भरे तेरे रास्ते
मंज़िल ढूँढते, तेरे भटके कदम
स्वाभिमान से भरी तेरी आँखें
तेरी हसरतें, अधूरी सी मुराद
तेरा नूर, सर का दिलकश झुकाव
झलकती हुई पलकों की खामोशी
बिना तारों का, तेरा ख़ाली आसमान
मैं इस दुनिया में कुछ भी चाह सकता था
पर झड़े पत्ते, ठंड में छुपी बहार चाहता था
तेरी विभिन्नताएँ, तेरे रद्द-ओ-बदल मौसम
तेरी रूह की शबनम, तेरा सार चाहता था
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