भूला बिसरा याराना - सर्वजीत Bhula Bisra Yarana - Hindi Poem by Sarvajeet D Chandra
Description
भूला बिसरा याराना - सर्वजीत
महीने बीत जातें हैं जिनके इंतजार में
वह दोस्त आते नहीं अब गली, बाज़ार में
कब तक सीने से लगा रखूँ दोस्ती को
आँखों से कैसे कमी निकालूँ मैं बावरे
गम नही संध्या में महफिल नही सजती
चिराग़ जलते बुझते, सुख़न-वरों के आसरे
रंज नही यारों को याद नहीं आती
आस-पास रहकर भी, दिलों में फ़ासले
दोस्ती इक्के-दुक्के से प्रगाढ़ होती थी
सैकड़ों अजनबी, ऑनलाइन मैत्री के वास्ते
क्यूँ कोई किसी का एतबार नही करता
अनजान शहर में खोजूँ, चिर परिचित रास्ते
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