Bhagavad Gita 5.21

Bhagavad Gita 5.21

Update: 2023-05-22
Share

Description

Bhagavad Gita Chapter 5 Verse 21

अध्याय 5 : कर्मयोग - कृष्णभावनाभावित कर्म


श्लोक 5 . 21


बाह्यस्पर्शेष्वसक्तात्मा विन्दत्यात्मनि यत्सुखम् |

स ब्रह्मयोगयुक्तात्मा सुखमक्षयमश्र्नुते || २१ ||


बाह्य-स्पर्शेषु – बाह्य इन्द्रिय सुख में; असक्त-आत्मा – अनासक्त पुरुष; विन्दति – भोग करता है; आत्मनि – आत्मा में; यत् – जो; सुखम् – सुख; सः – वह; ब्रह्म-योग – ब्रह्म में एकाग्रता द्वारा; युक्त-आत्मा – आत्म युक्त या समाहित; सुखम् – सुख; अक्षयम् – असीम; अश्नुते – भोगता है |


भावार्थ

 

ऐसा मुक्त पुरुष भौतिक इन्द्रियसुख की ओर आकृष्ट नहीं होता, अपितु सदैव समाधि में रहकर अपने अन्तर में आनन्द का अनुभव करता है | इस प्रकार स्वरुपसिद्ध व्यक्ति परब्रह्म में एकाग्रचित्त होने के कारण असीम सुख भोगता है |

 

 तात्पर्य


कृष्णभावनामृत के महान भक्त श्री यामुनाचार्य ने कहा है –


यदवधि मम चेतः कृष्णपादारविन्दे

नवनवरसधामन्युद्यतं रन्तु मासीत् |

तदवधि बत नारीसंगमे स्मर्यमाने

भवति मुखविकारः सृष्ठु निष्ठीवनं च ||


“जब से मैं कृष्ण की दिव्य प्रेमाभक्ति में लगकर उनमें नित्य नवीन आनन्द का अनुभव करने में लगा हूँ और मेरे होंठ अरुचि से सिमट जाते हैं |” ब्रह्मयोगी अथवा कृष्णभावनाभावित व्यक्ति भगवान् की प्रेमाभक्ति में इतना अधिक लीन रहता है कि इन्द्रियसुख में उसकी तनिक भी रूचि नहीं रह जाती | भौतिकता की दृष्टि में कामसुख ही सर्वोपरि आनन्द है | सारा संसार उसी के वशीभूत है और भौतिकतावादी लोग तो इस प्रोत्साहन के बिना कोई कार्य ही नहीं कर सकते | किन्तु कृष्णभावनामृत में लीन व्यक्ति कामसुख के बिना ही उत्साहपूर्वक अपना कार्य करता रहता है | यही अतम-साक्षात्कार की कसौटी है | आत्म-साक्षात्कार तथा कामसुख कभी साथ-साथ नहीं चलते | कृष्णभावनाभावित व्यक्ति जीवन्मुक्त होने के कारण किसी प्रकार के इन्द्रियसुख द्वारा आकर्षित नहीं होता |


Comments 
In Channel
Bhagavad Gita 5.2

Bhagavad Gita 5.2

2022-11-2201:04:24

Bhagavad Gita 5.3

Bhagavad Gita 5.3

2022-11-2601:24:29

Bhagavad Gita 5.4-5

Bhagavad Gita 5.4-5

2022-12-0958:57

Bhagavad Gita 5.6

Bhagavad Gita 5.6

2022-12-1001:05:59

Bhagavad Gita 5.7

Bhagavad Gita 5.7

2022-12-1901:13:02

Bhagavad Gita 5.8-9

Bhagavad Gita 5.8-9

2022-12-2701:10:44

Bhagavad Gita 5.11

Bhagavad Gita 5.11

2023-01-1201:14:44

Bhagavad Gita 5.12

Bhagavad Gita 5.12

2023-01-1701:03:35

Bhagavad Gita 5.20

Bhagavad Gita 5.20

2023-05-2253:55

Bhagavad Gita 5.21

Bhagavad Gita 5.21

2023-05-2201:14:33

Bhagavad Gita 5.22

Bhagavad Gita 5.22

2023-05-2201:10:43

Bhagavad Gita 5.23

Bhagavad Gita 5.23

2023-05-2201:13:14

Bhagavad Gita 5.24

Bhagavad Gita 5.24

2023-05-2201:18:52

Bhagavad Gita 5.25

Bhagavad Gita 5.25

2023-05-3001:06:57

Bhagavad Gita 5.26

Bhagavad Gita 5.26

2023-06-0301:09:48

Bhagavad Gita 5 .27-28

Bhagavad Gita 5 .27-28

2023-06-1001:03:18

Bhagavad Gita 5.29

Bhagavad Gita 5.29

2023-06-1901:03:14

Bhagavad Gita 6.1

Bhagavad Gita 6.1

2023-07-1701:15:15

Bhagavad Gita 6.2

Bhagavad Gita 6.2

2023-07-1701:23:53

Bhagavad Gita 6.3

Bhagavad Gita 6.3

2023-07-1701:10:23

loading
00:00
00:00
x

0.5x

0.8x

1.0x

1.25x

1.5x

2.0x

3.0x

Sleep Timer

Off

End of Episode

5 Minutes

10 Minutes

15 Minutes

30 Minutes

45 Minutes

60 Minutes

120 Minutes

Bhagavad Gita 5.21

Bhagavad Gita 5.21

Dvijamani Gaura Das