Bhagavad Gita 5.6

Bhagavad Gita 5.6

Update: 2022-12-10
Share

Description

Bhagavad Gita 5.6 in Hindi

अध्याय 5 : कर्मयोग - कृष्णभावनाभावित कर्म


श्लोक 5 . 6


संन्यासस्तु महाबाहो दु:खमाप्तुमयोगतः |

योगयुक्तो मुनिर्ब्रह्म नचिरेणाधिगच्छति || ६ ||


संन्यासः – संन्यास आश्रम; तु – लेकिन; महाबाहो – हे बलिष्ठ भुजाओं वाले; दुःखम् – दुख; आप्तुम् – से प्रभावित; अयोगतः – भक्ति के बिना; योग-युक्तः – भक्ति में लगा हुआ; मुनिः – चिन्तक; ब्रह्म – परमेश्र्वर को; न चिरेण – शीघ्र ही; अधिगच्छति – प्राप्त करता है |

 

भावार्थ


भक्ति में लगे बिना केवल समस्त कर्मों का परित्याग करने से कोई सुखी नहीं बन सकता | परन्तु भक्ति में लगा हुआ विचारवान व्यक्ति शीघ्र ही परमेश्र्वर को प्राप्त कर लेता है |


 तात्पर्य


संन्यासी दो प्रकार के होते हैं | मायावादी संन्यासी सांख्यदर्शन के अध्ययन में लगे रहते हैं तथा वैष्णव संन्यासी वेदान्त सूत्रों के यथार्थ भाष्य भागवत-दर्शन के अध्ययन में लगे रहते हैं | मायावादी संन्यासी भी वेदान्त सूत्रों का अध्ययन करते हैं, किन्तु वे शंकराचार्य द्वारा प्रणीत शारीरिक भाष्य का उपयोग करता हैं |भागवत सम्प्रदाय के छात्र पांचरा त्रिकी विधि से भगवान् की भक्ति करने में लगे रहते हैं | अतः वैष्णव संन्यासियों को भगवान् की दिव्यसेवा के लिए अनेक प्रकार के कार्य करने होते हैं | उन्हें भौतिक कार्यों से सरोकार नहीं रहता, किन्तु तो भी वे भगवान् की भक्ति में नाना प्रकार के कार्य करते हैं | किन्तु मायावादी संन्यासी, जो सांख्य तथा वेदान्त के अध्ययन एवं चिन्तन में लगे रहते हैं, वे भगवान् की दिव्य भक्ति का आनन्द नहीं उठा पाते | चूँकि उनका अध्ययन अत्यन्त जटिल होता है, अतः वे कभी-कभी ब्रह्मचिन्तन से ऊब कर समुचित बोध के बिना भागवत की शरण ग्रहण करते हैं | फलस्वरूप श्रीमद्भागवत का भी अध्ययन उनके लिए कष्टकर होता है | मायावादी संन्यासियों का शुष्क चिन्तन तथा कृत्रिम साधनों से निर्विशेष विवेचना उनके लिए व्यर्थ होती है | भक्ति में लगे हुए वैष्णव संन्यासी अपने दिव्य कर्मों को करते हुए प्रसन्न रहते हैं और यह भी निश्चित रहता है कि वे भगवद्धाम को प्राप्त होंगे ! मायावादी संन्यासी कभी-कभी आत्म-साक्षात्कार के पथ से निचे गिर जाते हैं और फिर से समाजसेवा, परोपकार जैसे भौतिक कर्म में प्रवृत्त होते हैं | अतः निष्कर्ष यह निकला कि कृष्णभावनामृत के कार्यों में लगे रहने वाले लोग ब्रह्म-अब्रहम विषयक साधारण चिन्तन में लगे संन्यासियों से श्रेष्ठ हैं, यद्यपि वे भी अनेक जन्मों के बाद कृष्णभावनाभावित हो जाते हैं |

Comments 
In Channel
Bhagavad Gita 5.2

Bhagavad Gita 5.2

2022-11-2201:04:24

Bhagavad Gita 5.3

Bhagavad Gita 5.3

2022-11-2601:24:29

Bhagavad Gita 5.4-5

Bhagavad Gita 5.4-5

2022-12-0958:57

Bhagavad Gita 5.6

Bhagavad Gita 5.6

2022-12-1001:05:59

Bhagavad Gita 5.7

Bhagavad Gita 5.7

2022-12-1901:13:02

Bhagavad Gita 5.8-9

Bhagavad Gita 5.8-9

2022-12-2701:10:44

Bhagavad Gita 5.11

Bhagavad Gita 5.11

2023-01-1201:14:44

Bhagavad Gita 5.12

Bhagavad Gita 5.12

2023-01-1701:03:35

Bhagavad Gita 5.20

Bhagavad Gita 5.20

2023-05-2253:55

Bhagavad Gita 5.21

Bhagavad Gita 5.21

2023-05-2201:14:33

Bhagavad Gita 5.22

Bhagavad Gita 5.22

2023-05-2201:10:43

Bhagavad Gita 5.23

Bhagavad Gita 5.23

2023-05-2201:13:14

Bhagavad Gita 5.24

Bhagavad Gita 5.24

2023-05-2201:18:52

Bhagavad Gita 5.25

Bhagavad Gita 5.25

2023-05-3001:06:57

Bhagavad Gita 5.26

Bhagavad Gita 5.26

2023-06-0301:09:48

Bhagavad Gita 5 .27-28

Bhagavad Gita 5 .27-28

2023-06-1001:03:18

Bhagavad Gita 5.29

Bhagavad Gita 5.29

2023-06-1901:03:14

Bhagavad Gita 6.1

Bhagavad Gita 6.1

2023-07-1701:15:15

Bhagavad Gita 6.2

Bhagavad Gita 6.2

2023-07-1701:23:53

Bhagavad Gita 6.3

Bhagavad Gita 6.3

2023-07-1701:10:23

loading
00:00
00:00
x

0.5x

0.8x

1.0x

1.25x

1.5x

2.0x

3.0x

Sleep Timer

Off

End of Episode

5 Minutes

10 Minutes

15 Minutes

30 Minutes

45 Minutes

60 Minutes

120 Minutes

Bhagavad Gita 5.6

Bhagavad Gita 5.6

Dvijamani Gaura Das