Bhagavad Gita 6.3

Bhagavad Gita 6.3

Update: 2023-07-17
Share

Description

Bhagavad Gita Chapter 6 Verse 3


अध्याय 6 : ध्यानयोग


श्लोक 6 . 3


आरूरूक्षोर्मुनेर्योगं कर्म कारणमुच्यते |

योगारुढस्य तस्यैव शमः कारणमुच्यते || ३ ||


आरुरुक्षोः – जिसने अभी योग प्रारम्भ किया है; मुनेः – मुनि की; योगम् – अष्टांगयोग पद्धति; कर्म – कर्म; कारणम् – साधन; उच्यते – कहलाता है; योग – अष्टांगयोग; आरुढस्य – प्राप्त होने वाले का; तस्य – उसका; एव – निश्चय हि; शमः – सम्पूर्ण भौतिक कार्यकलापों का त्याग; कारणाम् – कारण; उच्यते – कहा जाता है |

 

भावार्थ


अष्टांगयोग के नवसाधक के लिए कर्म साधन कहलाता है और योगसिद्ध पुरुष के लिए समस्त भौतिक कार्यकलापों का परित्याग ही साधन कहा जाता है |

 

 तात्पर्य


परमेश्र्वर से युक्त होने की विधि योग कहलाती है | इसकी तुलना उस सीढ़ी से की जा सकती है जिससे सर्वोच्च आध्यात्मिक सिद्धि प्राप्त की जाती है | यह सीढ़ी जीव की अधम अवस्था से प्रारम्भ होकर अध्यात्मिक जीवन के पूर्ण आत्म-साक्षात्कार तक जाती है | विभिन्न चढ़ावों के अनुसार इस सीढ़ी के विभिन्न भाग भिन्न-भिन्न नामों से जाने जाते हैं | किन्तु कुल मिलाकर यह पूरी सीढ़ी योग कहलाती है और इसे तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है – ज्ञानयोग, ध्यानयोग और भक्तियोग | सीढ़ी के प्रारम्भिक भाग को योगारुरुक्षु अवस्था और अन्तिम भाग को योगारूढ कहा जाता है |


जहाँ तक अष्टांगयोग का सम्बन्ध है, विभिन्न यम-नियमों तथा आसनों (जो प्रायः शारीरिक मुद्राएँ ही हैं) के द्वारा ध्यान में प्रविष्ट होने के लिए आरम्भिक प्रयासों को सकाम कर्म माना जाता है | ऐसे कर्मों से पूर्ण मानसिक सन्तुलन प्राप्त होता है जिससे इन्द्रियाँ वश में होती हैं | जब मनुष्य पूर्ण ध्यान में सिद्धहस्त हो जाता है तो विचलित करने वाले समस्त मानसिक कार्य बन्द हुए माने जाते हैं |


किन्तु कृष्णभावनाभावित व्यक्ति प्रारम्भ से ही ध्यानावस्थित रहता है क्योंकि वह निरन्तर कृष्ण का चिन्तन करता है | इस प्रकार कृष्ण की सेवा में सतत व्यस्त रहने के करण उसके सारे भौतिक कार्यकलाप बन्द हुए माने जाते हैं |


Comments 
In Channel
Bhagavad Gita 5.2

Bhagavad Gita 5.2

2022-11-2201:04:24

Bhagavad Gita 5.3

Bhagavad Gita 5.3

2022-11-2601:24:29

Bhagavad Gita 5.4-5

Bhagavad Gita 5.4-5

2022-12-0958:57

Bhagavad Gita 5.6

Bhagavad Gita 5.6

2022-12-1001:05:59

Bhagavad Gita 5.7

Bhagavad Gita 5.7

2022-12-1901:13:02

Bhagavad Gita 5.8-9

Bhagavad Gita 5.8-9

2022-12-2701:10:44

Bhagavad Gita 5.11

Bhagavad Gita 5.11

2023-01-1201:14:44

Bhagavad Gita 5.12

Bhagavad Gita 5.12

2023-01-1701:03:35

Bhagavad Gita 5.20

Bhagavad Gita 5.20

2023-05-2253:55

Bhagavad Gita 5.21

Bhagavad Gita 5.21

2023-05-2201:14:33

Bhagavad Gita 5.22

Bhagavad Gita 5.22

2023-05-2201:10:43

Bhagavad Gita 5.23

Bhagavad Gita 5.23

2023-05-2201:13:14

Bhagavad Gita 5.24

Bhagavad Gita 5.24

2023-05-2201:18:52

Bhagavad Gita 5.25

Bhagavad Gita 5.25

2023-05-3001:06:57

Bhagavad Gita 5.26

Bhagavad Gita 5.26

2023-06-0301:09:48

Bhagavad Gita 5 .27-28

Bhagavad Gita 5 .27-28

2023-06-1001:03:18

Bhagavad Gita 5.29

Bhagavad Gita 5.29

2023-06-1901:03:14

Bhagavad Gita 6.1

Bhagavad Gita 6.1

2023-07-1701:15:15

Bhagavad Gita 6.2

Bhagavad Gita 6.2

2023-07-1701:23:53

Bhagavad Gita 6.3

Bhagavad Gita 6.3

2023-07-1701:10:23

loading
00:00
00:00
x

0.5x

0.8x

1.0x

1.25x

1.5x

2.0x

3.0x

Sleep Timer

Off

End of Episode

5 Minutes

10 Minutes

15 Minutes

30 Minutes

45 Minutes

60 Minutes

120 Minutes

Bhagavad Gita 6.3

Bhagavad Gita 6.3

Dvijamani Gaura Das