DiscoverNever Born, Never Died - हिन्दीतथाता का सूत्र -- सेतु है (अष्‍टावक्र : महागीता - 57)
तथाता का सूत्र -- सेतु है (अष्‍टावक्र : महागीता - 57)

तथाता का सूत्र -- सेतु है (अष्‍टावक्र : महागीता - 57)

Update: 2022-03-06
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Description

अष्टावक्र उवाच।


आत्मा ब्रह्मेति निश्चित्य भावाभावौ च कल्पितौ।

निष्कामः किंविजानाति किंब्रूते च करोति किम्‌।। 184।।

अयं सोऽहमयं नाहमिति क्षीणा विकल्पनाः।

सर्वमात्मेति निश्चित्य तूष्णीभूतस्य योगिनः।। 185।।

न विक्षेपो न चैकाग्रयं नातिबोधो न मूढ़ता।

न सुखं न च वा दुःखमुपशांतस्य योगिनः।। 186।।

स्वराज्ये भैक्ष्यवृत्तौ च लाभालाभे जने वने।

निर्विकल्पस्वभावस्य न विशेषोऽस्ति योगिनः।। 187।।

क्व धर्मः क्व च वा कामः क्व चार्थः क्व विवेकिता।

इदं कृतमिदं नेति द्वंद्वैर्मुक्तस्य योगिनः।। 188।।

कृत्यं किमपि नैवास्ति न कापि हृदि रंजना।

यथा जीवनमेवेह जीवनमुक्तस्य योगिनः।। 189।।


आत्मा ब्रह्मेति निश्चित्य भावाभावौ च कल्पितौ।

निष्कामः किं विजानाति किं ब्रूते च करोति किम्‌।।


पहला  सूत्र: ‘आत्मा ब्रह्म है और भाव और अभाव कल्पित है। यह निश्चयपूर्वक जान  कर निष्काम पुरुष क्या जानता है, क्या कहता है और क्या करता है?’


समझना: ‘आत्मा ब्रह्म है ऐसा निश्चयपूर्वक जान कर...।’

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