Day 220: क्या पैसा एक आशीष है या एक श्राप है?
Update: 2021-08-08
Description
लॉरेंस चर्च के धन के भंडारी थे। वह एक डिकन भी थे। उनके चारों ओर एक महान पुर्नजागरण शुरु हुआ। ऐसा कहा जाता था कि,”समस्त रोम मसीह बन रहा था।”
इसके परिणामस्वरूप, वर्ष ए.डी. 250 में सम्राट वेलरियन के अंतर्गत सताव शुरु हो गया। जिन मसीहों के पास जायदाद थी उन्होंने चर्च के सभी धन और खजाने को शहर के गरीबों में बांट दिया।
वेलरियन ने आदेश दिया कि सभी बिशप, याजक और डिकन को बंदी बनाया जाएं और मार दिया जाएं। उन्होंने लॉरेंस के सामने प्रस्ताव रखा कि उन्हें छोड़ दिया जाएगा यदि वह दिखायेंगे कि चर्च के सभी खजाने कहाँ पर रखे गए थे।
लॉरेंस ने तीन दिन माँगे ताकि इसे एक स्थान में इकट्ठा कर ले। उन्होंने अंधो, गरीब, अपंग, बीमार, बूढ़े, विधवा और अनाथों को इकट्ठा किया। जब वेलरियन आए, लॉरेंस ने दरवाजा खोल दिया और कहा,”ये चर्च के खजाने हैं!”
वेलरियन इतना क्रोधित हुआ कि उसने निर्णय लिया कि सिर काटा जाना लॉरेंस के लिए ज्यादा भयानक नहीं होगा। उन्होंने आदेश दिया कि इस साहसी मनुष्य को जाली के ऊपर आग में भूना जाएं। इस तरह से 10अगस्त ए.डी 258 में लॉरेंस की मृत्यु हो गई। यहाँ तक कि उन्होंने उनके हत्यारों के साथ मजाक किया,”आप मुझे पलट सकते हैं। इस तरह से मैं भुन चुका हूँ।” उनके साहस ने इतना प्रभाव बनाया कि रोम में पुनर्जीवन केवल बढ़ा, बहुत से लोग मसीह बने, जिनमें उच्चतम सभा के सदस्य भी शामिल थे जिन्होंने उनकी हत्या होते हुए देखी थी।
सेंट लॉरेंस के पास यीशु के संदेश की महान समझ थी। उन्होंने समझ लिया था कि गरीब चर्च के सच्चे खजाने थे।
गरीबों के प्रति हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए? धनी के विषय में क्या? क्या गरीबी एक आशीष है या श्राप? क्या अमीरी आशीष है या श्राप? क्या सुसमाचार समृद्धि का वायदा करता है?
इसके परिणामस्वरूप, वर्ष ए.डी. 250 में सम्राट वेलरियन के अंतर्गत सताव शुरु हो गया। जिन मसीहों के पास जायदाद थी उन्होंने चर्च के सभी धन और खजाने को शहर के गरीबों में बांट दिया।
वेलरियन ने आदेश दिया कि सभी बिशप, याजक और डिकन को बंदी बनाया जाएं और मार दिया जाएं। उन्होंने लॉरेंस के सामने प्रस्ताव रखा कि उन्हें छोड़ दिया जाएगा यदि वह दिखायेंगे कि चर्च के सभी खजाने कहाँ पर रखे गए थे।
लॉरेंस ने तीन दिन माँगे ताकि इसे एक स्थान में इकट्ठा कर ले। उन्होंने अंधो, गरीब, अपंग, बीमार, बूढ़े, विधवा और अनाथों को इकट्ठा किया। जब वेलरियन आए, लॉरेंस ने दरवाजा खोल दिया और कहा,”ये चर्च के खजाने हैं!”
वेलरियन इतना क्रोधित हुआ कि उसने निर्णय लिया कि सिर काटा जाना लॉरेंस के लिए ज्यादा भयानक नहीं होगा। उन्होंने आदेश दिया कि इस साहसी मनुष्य को जाली के ऊपर आग में भूना जाएं। इस तरह से 10अगस्त ए.डी 258 में लॉरेंस की मृत्यु हो गई। यहाँ तक कि उन्होंने उनके हत्यारों के साथ मजाक किया,”आप मुझे पलट सकते हैं। इस तरह से मैं भुन चुका हूँ।” उनके साहस ने इतना प्रभाव बनाया कि रोम में पुनर्जीवन केवल बढ़ा, बहुत से लोग मसीह बने, जिनमें उच्चतम सभा के सदस्य भी शामिल थे जिन्होंने उनकी हत्या होते हुए देखी थी।
सेंट लॉरेंस के पास यीशु के संदेश की महान समझ थी। उन्होंने समझ लिया था कि गरीब चर्च के सच्चे खजाने थे।
गरीबों के प्रति हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए? धनी के विषय में क्या? क्या गरीबी एक आशीष है या श्राप? क्या अमीरी आशीष है या श्राप? क्या सुसमाचार समृद्धि का वायदा करता है?
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