दिन 169: तीन परिवर्तन जिनकी सभी को आवश्यकता है
Update: 2025-06-18
Description
अल्फा कॉन्फरेंस में, किसी ने मुझे कागज का एक टुकड़ा दिया जिसमें लिखा था कि उसके मित्र के साथ क्या हुआः
सू (जो कि एक मसीह नहीं थी) रेहाब क्लिनिक में जाया करती थी जो कि सांस की परेशानी वाले लोगों के लिए है. उन्हें एक बीमारी थी (सीओपीडीः क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिसीस) जो कि दिन प्रतिदिन बदतर होती जा रही थी. क्लिनिक हमारी चर्च ईमारत के पास है. वह अपने क्लिनिक में आयी, लेकिन वहाँ पर कोई नहीं था (उसे गलत तारीख मिल गई थी!). वह थोड़ी देर रुकी और हमारे अगले अल्फा के विषय में परचे को देखने लगी.
सू हमारी बुधवार शाम की सभा में आयी. उसने यह सब अपने अंदर लिया और उत्साह और रूचि से भर गई. वह रविवार को चर्च में आयी और बुधवार को फिर से आयी. अचानक से सू को समझ में आया कि यीशु परमेश्वर हैं! उसके लिए चित्रों का टूटा हुआ बड़ा टुकड़ा. उसने परमेश्वर को अपना जीवन दिया – नाटकीय. उसने अपनी बहन को बुलाया, उसे बताने के लिए कि वह एक मसीह बन चुकी है और उसकी बहन अपने एक मित्र के साथ सभा में थी, सू के लिए प्रार्थना करने के लिए! वह उसके लिए पच्चीस सालों से प्रार्थना कर रही थी!
अगले रविवार – सू चर्च में आयी, चंगाई के लिए प्रार्थना के लिए आगे आयी और सीओपीडी से उल्लेखनीय रूप से चंगी हो गई. वह घर में सीढ़ीयों से चढ़ती और उतरती हैं, दवाईयाँ लेना बंद कर दिया है, इत्यादि! वह क्लिनिक में अपने चिकित्सक से मिली, जो यह देखकर चकित रह गए कि उसके साथ क्या हुआ था – उल्लेखनीय अंतर. वह चंगी हो गई थी और तब से उसने दूसरों के लिए प्रार्थना की है और उन्हें चंगा होते हुए देखा है, जिसमें एक कैंसर के व्यक्ति शामिल हैं!
30अप्रैल को सू का बपतिस्मा हुआ और उसने 150 से अधिक मित्रों और परिवार को अपने साथ उत्सव मनाने के लिए बुलाया. वह लोगों पर एक महान प्रभाव बना रही है –हर उस व्यक्ति को प्रचार करते हुए जो सुनने के लिए स्थिर खड़े रहते हैं!
जॉन विंबर अक्सर कहते थे कि हम सभी को तीन परिवर्तन की आवश्यकता हैः मसीह में आना, उनके चर्च और उनके उद्देश्य में आना. निश्चित ही सू ना केवल मसीह में आयी, लेकिन तुरंत ही उनके उद्देश्य में आयी! आज का लेखांश विशेष रूप से इस तीसरे परिवर्तन को बताता है.
सू (जो कि एक मसीह नहीं थी) रेहाब क्लिनिक में जाया करती थी जो कि सांस की परेशानी वाले लोगों के लिए है. उन्हें एक बीमारी थी (सीओपीडीः क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिसीस) जो कि दिन प्रतिदिन बदतर होती जा रही थी. क्लिनिक हमारी चर्च ईमारत के पास है. वह अपने क्लिनिक में आयी, लेकिन वहाँ पर कोई नहीं था (उसे गलत तारीख मिल गई थी!). वह थोड़ी देर रुकी और हमारे अगले अल्फा के विषय में परचे को देखने लगी.
सू हमारी बुधवार शाम की सभा में आयी. उसने यह सब अपने अंदर लिया और उत्साह और रूचि से भर गई. वह रविवार को चर्च में आयी और बुधवार को फिर से आयी. अचानक से सू को समझ में आया कि यीशु परमेश्वर हैं! उसके लिए चित्रों का टूटा हुआ बड़ा टुकड़ा. उसने परमेश्वर को अपना जीवन दिया – नाटकीय. उसने अपनी बहन को बुलाया, उसे बताने के लिए कि वह एक मसीह बन चुकी है और उसकी बहन अपने एक मित्र के साथ सभा में थी, सू के लिए प्रार्थना करने के लिए! वह उसके लिए पच्चीस सालों से प्रार्थना कर रही थी!
अगले रविवार – सू चर्च में आयी, चंगाई के लिए प्रार्थना के लिए आगे आयी और सीओपीडी से उल्लेखनीय रूप से चंगी हो गई. वह घर में सीढ़ीयों से चढ़ती और उतरती हैं, दवाईयाँ लेना बंद कर दिया है, इत्यादि! वह क्लिनिक में अपने चिकित्सक से मिली, जो यह देखकर चकित रह गए कि उसके साथ क्या हुआ था – उल्लेखनीय अंतर. वह चंगी हो गई थी और तब से उसने दूसरों के लिए प्रार्थना की है और उन्हें चंगा होते हुए देखा है, जिसमें एक कैंसर के व्यक्ति शामिल हैं!
30अप्रैल को सू का बपतिस्मा हुआ और उसने 150 से अधिक मित्रों और परिवार को अपने साथ उत्सव मनाने के लिए बुलाया. वह लोगों पर एक महान प्रभाव बना रही है –हर उस व्यक्ति को प्रचार करते हुए जो सुनने के लिए स्थिर खड़े रहते हैं!
जॉन विंबर अक्सर कहते थे कि हम सभी को तीन परिवर्तन की आवश्यकता हैः मसीह में आना, उनके चर्च और उनके उद्देश्य में आना. निश्चित ही सू ना केवल मसीह में आयी, लेकिन तुरंत ही उनके उद्देश्य में आयी! आज का लेखांश विशेष रूप से इस तीसरे परिवर्तन को बताता है.
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